सनातन धर्म अतिथि को विशेष महत्व दिया गया है। अतिथि का सम्मान व सत्कार होना हिंदू सनातन परम्परा का अभिन्न अंग है। अतिथि को देवता मानकर मान- सम्मान देने की परम्परा है। चीन व जापान में भी अतिथि को विशेष महत्व देने की परम्परा है। उनकी इच्छाओं का आदर किया जाता है। उसे प्रसन्न रखने की हर संभव चेष्ठा की जाती है।
अतिथि अगर अधिक समय के लिए घर में ठहरता है, उसके रहने की व्यवस्था कहां हो, इसका सुझाव भी फेंगशुई में दिया गया है। फेंगशुई के अनुसार, अतिथियों का शयनकक्ष उत्तर-पश्चिम में बनवाना चाहिए। ऐसा किए जाने पर मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है। ऐश्वर्य व धन समृद्धि प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
घर में जहां तक हो, अतिथि कक्ष आवश्य बनाना चाहिए। हालांकि आज के भौतिकवादी दौर में जगयाभाव के कारण अतिथि कक्ष बनाने का प्रचलन कम हो गया है, लेकिन घर में अतिथि कक्ष बनाना परिवार में समृद्धि देने वाला माना जाता है।