इस दिशा में बनेगा अतिथिकक्ष तो होगी समृद्धि

0
638

सनातन धर्म अतिथि को विशेष महत्व दिया गया है। अतिथि का सम्मान व सत्कार होना हिंदू सनातन परम्परा का अभिन्न अंग है। अतिथि को देवता मानकर मान- सम्मान देने की परम्परा है। चीन व जापान में भी अतिथि को विशेष महत्व देने की परम्परा है। उनकी इच्छाओं का आदर किया जाता है। उसे प्रसन्न रखने की हर संभव चेष्ठा की जाती है।

अतिथि अगर अधिक समय के लिए घर में ठहरता है, उसके रहने की व्यवस्था कहां हो, इसका सुझाव भी फेंगशुई में दिया गया है। फेंगशुई के अनुसार, अतिथियों का शयनकक्ष उत्तर-पश्चिम में बनवाना चाहिए। ऐसा किए जाने पर मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है। ऐश्वर्य व धन समृद्धि प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

Advertisment

घर में जहां तक हो, अतिथि कक्ष आवश्य बनाना चाहिए। हालांकि आज के भौतिकवादी दौर में जगयाभाव के कारण अतिथि कक्ष बनाने का प्रचलन कम हो गया है, लेकिन घर में अतिथि कक्ष बनाना परिवार में समृद्धि देने वाला माना जाता है।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here