नारियल एक ऐसा फल है, जिसका सनातन परम्परा में विशेष महत्व रहा है। हिंदू शुभ कार्यों में इसका प्रयोग करते रहे हैं। नारियल की पैदावार समुद्र के किनारे पर होती है। वैसे नारियल का फल देशभर में प्राप्त किया जा सकता है। नारियल आकार में बड़ा होता है। यह शुरुआत में हरे रंग का होता है और तब बिल्कुल चिकना होता है। तब इसे कच्चा नारियल या डाभ कहते हैं। इसको काटकर इसका पानी भी पिया जाता है- इस पानी को ‘ नारियल पानी ‘ कहा जाता है। हरे नारियल का पानी – मीठा, सफेद, गाढा होता है। यह अनेक रोगों में औषधि का काम करता है, जबकि फल पेड़ पर ही पकने लगता है तो उसके ऊपर मोटे रेशों का छिलका जैसा आवरण बन जाता है। वे रेश ( छिलका ) निकाल देने पर बेल जैसा कई छिलके का अण्डाकार नारियल फल दिखता है। जब उसे तोड़ा जाता है तो वह मोटा छिलका तड़कदार टूटन के साथ अलग हो जाता है और तब उसके भीतर से साबुत फल निकलता है, जो खाने योग्य होता है और इसे गरी, गिरी, नारियल गरी, गोला गरी, गोला आदि कहते हैं।
सनातन परम्परा में मेवा का महत्वपूर्ण स्थान है, उस पंच मेवा में गिरी का प्रमुख स्थान है। यह अत्यन्त पौष्टिक और शक्तिप्रदायक होता है। इस गिरी को पेरने से इसमें से तेल निकलता है, जिसे नारियल का तेल कहा जाता है। नारियल का तेल पौष्टिक, केशवर्धक, नेत्र ज्योतिरक्षक, ठण्डा व मीठा होता है। नारियल में अनेकानेक औषधिक गुण होते हैं। मुंह के छालों में इसे विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है। नारियल का पानी और नारियल गरी मुंह के छालों में विश्ोष रूप से असरकारक होती है। पान इत्यादि खाने से जीभ फट जाए हो तो सूखे नारियल की गिरी और मिश्री मिलाकर चबाने से लाभ होता है। नकसीर की समस्या से आप परेशान हैं तो आप प्रात: खाली पेट 25 ग्राम नारियल खाने से नकसीर आना बन्द होता है । यह नियमित रूप से सात दिन तक खायें। नकसीर की समस्या में यह असरकारक प्रभाव डालती है। सूखा नारियल खाने से दस्त में भी राहत मिलती है। सिरदर्द की समस्या होने पर नारियल का उपयोग प्रभावी माना जाता है। इस सिरदर्द में नारियल की 25 ग्राम सूखी गिरी और इतनी ही मिश्री सूर्य उगने से पहले खाने से सिरदर्द बन्द हो जाता है। चूंकि नारियल में ठंड प्रदान करने गुण होता है, इसलिए शरीर में दाँह व गर्मी में नारियल का उपयोग विशेष लाभदायक रहता है। सुबह खाली पेट नारियल के पानी में नीबू का रस मिलाकर पीने से शरीर की सारी गर्मी मूत्र और मल के साथ निकल जाती है। इससे भी रक्त शुद्ध होता है। गर्मी के दिनों में इसका उपयोग विशेष रूप से अत्यन्त ही लाभकारी होता है। नारियल आंखों के सामान्य रोग में भी असरकारक माना जाता है। नारियल की 25 ग्राम सूखी गिरी और शक्कर 6० ग्राम प्रतिदिन एक सप्ताह खाने से लाभ होता है। आंख दुखने पर नमक न खायें या कम खायें। घी, बूरा या शक्कर, कालीमिर्च से रोटी खायें। नारियल का सेवन नेत्र-ज्योति बढ़ाता है। अगर आपको सुन्दर संतान प्राप्त करने की अभिलाषा है तो इसमें नारियल का प्रयोग कारगर होता है। माना जाता है कि नित्य एक नारियल का पानी गर्भावस्था में पीते रहने से सुन्दर संतान का जन्म होता है। अगर गोरी संतान प्राप्त करने की इच्छा है तो इसमें भी नारियल का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए मक्खन में पिसी हुई मिश्री समान मात्रा में मिलाकर दो चम्मच इच्छानुसार चाट लें। फिर चौथाई गोला कच्चा नारियल व मिश्री को खूब चबा कर पांच माह तक खायें। इसके बाद दो चम्मच सौंफ खायें। यह पूरे गर्भकाल में खाती रहें। इससे मां और शिशु दोनों ह्रष्ट – पुष्ट होंगे। शिशु गोरे रंग का होगा। अम्लपित्त में भी नारियल का प्रयोग लाभकारी है। नारियल का जल दिन में एक – दो बार पियें तो अम्लपित्त में फायदा होगा।
चेहरे के दाग व धब्बे से मुक्ति दिलाये नारियल
चेहरे पर नारियल का पानी नित्य दो बार लगाते रहने से चेहरे के कील , मुंहासे , दाग, धब्बे , चेचक के निशान आदि दूर हो जाते हैं। छोटे बच्चों को शक्कर या गुड़ के साथ खोपरा खिलाने से उनका दुबला पतला शरीर ह्रष्ट-पुष्ट और मोटा हो जाता है।
बाल गिरना होता है बंद
नारियल का तेल सिर में लगाने से बाल गिरना बन्द होकर बाल लम्बे होते हैं।
फरास में भी है लाभकारी
एक चम्मच सुहागा तवे पर गर्म करके फुलाकर, पीसकर दो चम्मच नारियल का तेल और दो चम्मच दही में मिलाकर बालों की जड़ों में लगायें और मालिश करें । आधे घण्टे बाद फिर सिर धोयें। फरास दूर हो जायेगी।
खुजली से भी दिलाये मुक्ति
5० ग्राम नारियल के तेल में दो नीबू का रस मिलाकर मालिश करने से खुजली कम होती है। साथ में सूखा नारियल खायें।
कृमि निस्तारण में भी लाभदायक
– बच्चे के मल में कृमि हो और उल्टी होती हो तब उसे नारियल के पानी में नींबू का रस मिलाकर पिलाना चाहिये।
– नारियल का पानी पीकर, कच्चा नारियल खाने से कृमि निकल जाते हैं। नारियल का पानी पीने से पाचन क्रिया ठीक होती है ।
– नारियल का तेल एक चम्मच नित्य रात को सोते समय पिलाते रहने पर बच्चों के पेट के कीड़े नष्ट हो जाते है। पेट कृमि हो, उल्टियाँ होती हों तो नारियल के पानी में नीब निचोड़कर पिलायें।
डिहाइड्रेशन में अत्यन्त लाभकारी होता है नारियल
अगर आपके शरीर में पानी की कमी हो रही है और आप डिहाइड्रेशन की शिकार हो रहे है तो नारियल अत्यन्त प्रभावी सिद्ध हो सकता है। कच्चे नारियल के पानी में स्वादानुसार नीबू निचोड़कर घूंट – घूट पानी बार – बार दिलाते रहने से डिहाइड्रेशन नहीं होता है। जिस प्रकार बड़े लोग पूरे नारियल का पानी पी लेते हैं, वैसे बच्चों को नहीं देना चाहिये। शिशुओं के लिये एक – एक चम्मच बार – बार देना पर्याप्त है।
मां के दूध में करता है वृद्धि
माता को दूध कम आता हो तो दूध में नारियल का पानी मिलाकर शिशुओं को पिला सकते हैं। जिन शिशुओं को दूध नहीं पचता है, वे नारियल के पानी को दूध में मिलाकर पिलाने से दूध को पचा लेते हैं। पेचिश, अतिसार या डिप्थीरिया टाइफाइड, कोलाइटिस, चेचक आदि में नारियल का पानी अधिक हितकारी होता है।