तारकमन्त्र यानि ब्रह्मज्ञान, काशी – प्रयाग में मुक्तिदाता

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निरंजन निराकार महेश्वर ही एक मात्र महादेव हैं, जो मृत्य के आगोश में गए हुए प्राण को निकाल कर प्राणी की रक्षा करते हैं। भगवान महादेव की महिमा अनंत है।

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वह अविनाशी हैं। उनकी महिमा का बखान वेदों में भी किया गया है। काशी में अवस्थित काशी विश्वनाथ अर्थात विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा बताते हुए कहा गया है कि जहां यह विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग अवस्थित है, यह पावन नगरी ही जीव को मुक्ति प्रदान करने वाली है।

ब्रह्मज्ञानं कुतो देवि कलिनोपहतात्मनाम् ।

स्वभाव चञ्चलाक्षाणां ब्रह्मेहप्रदिशाम्यहम् । । 118 । । ( का . खं . अं . 32)

भावार्थ- हे देवी , कलि के द्वारा मंदबुद्धि और स्वभावतः चंचेलेंद्रिय मनुष्यों को ब्रह्मज्ञान कहा हो सकता है? इसी कारण मैं इस काशी में अन्त समय पर ब्रह्मज्ञान का उपदेश करता हूं ।

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ब्रह्मज्ञानेन मुच्यन्ते नान्यथा जन्तवः क्वचित् ।

ब्राह्मज्ञानमये क्षेत्रे प्रयागे वा तनुत्यजः । । 115 । । ( का . खं . अं . 32)

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भावार्थ- जीवमात्र ब्रह्मज्ञान होने से मुक्त होते हैं। प्रयाग तीर्थ हो , चाहे यह ब्रह्मज्ञान क्षेत्र काशी हो, बिना ब्रह्मज्ञान के कहीं भी मुक्ति नहीं हो सकती।

ब्रह्मज्ञानं तदेवाहं काशीसंस्थितिभागिनाम् ।

दिशामि तारकं प्रान्ते मुच्यन्ते ते तु तत्क्षणात्। ।116। । ( का . खं . अं . 32)

भावार्थ- काशीवासी अन्त समय उसी ब्रह्मज्ञान रूप तारक ( मन्त्र ) उपदेश से उसी क्षण मुक्त हो जाते हैं । सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि काशी में मरने वाला कैसे ही कोई हो, सबको एक ही गति है ।

अर्थात पुण्यात्मा हो अथवा पापी , सबको एक ही प्रकार की मुक्ति मिलती है ।

श्री तुलसी दास जी भी दिखते है——

” देत सब हि सम गति अविनासी – यथा तारकमंत्र से जीव को तत्वज्ञान हो जाता है और अपना ब्रह्मरूप प्रकाशित हो जाता है । जहाँ ब्रह्म प्रकाशित हो , वह काशी ” यह काशी नाम का अर्थ है।

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