भगवान श्री कृष्ण ने बताए थे ये शुभ व अशुभ स्वप्न व उनके फल

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स्वप्न भविष्य का संकेत देते हैं, वह हमें आगाह करते है। अगर हम सपनों के इस संकेतों को समझ लें और आवश्यकता के अनुरूप धार्मिक अनुष्ठान कर ले तो उसके कुप्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। भगवान श्री कृष्ण से स्वप्न सम्बन्धित संकेतों को बहुत ही गहराई समझाया है। वास्तव में श्री कृष्ण ने नंद जी को तत्व ज्ञान दिया था। जो आज भी प्रासंगिक है।

ब्रह्म वैतर्व पुराण के अनुसार, श्री कृष्ण से ये शुभ व अशुभ स्वप्न के बारे में नंद जी को बताया था।

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श्री कृष्ण ने शुभ स्वप्नों व अशुभ स्वप्नों के बारे में विस्तार से नंद जी को बताया था। यह उस वक्त हुआ था, जब भगवान श्री कृष्ण कंस वध करने के बाद मथुरा में थे, तब उनकी माता यशोदा की उनकी चिंता सताती थी, तब उन्होंने उनके पिता नंद जी को भगवान श्री के पास भेजा था, जहां भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें तत्व ज्ञान प्रदान किया था। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार, कंस वध के बाद माता यशोदा विरहाकुल थी, उनसे प्रेरित नन्द जी जब दोबारा मथुरा गये, तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें तत्व – ज्ञान द्वारा सात्वना दी थी। उस समय नन्द जी ने लोक – कल्याण के लिए जो कई प्रश्न किये, उसमें सुस्वप्न, दुःस्वप्न से सम्बन्धित प्रश्न भी थे। नन्द जी ने पूछा कि ब्रजेश्वर! किस स्वप्न से कौन – सा पुण्य होता है और किससे मोक्ष और सुख की सुचना मिलती है? कौन – कौन सा स्वप्न शुभ बताया गया है?

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तब भगवान कृष्ण बोले -हे तात ! चिंता या रोग से युक्त मनुष्य जो सपना देखता है, सब निःसन्देह निष्फल होता है। जो जड़तुल्य है, मल – मूत्र  के वेग से पीडित है, भय से व्याकुल है, नग्न है और बाल खोले है- उसे अपने देखे सपने का कोई फल नहीं मिलता।

निद्रालु मनुष्य स्वप्न देखकर यदि पुनः नोंद लेने लगा जाता है या मूढ़तावश रात में हो किसी दूसरे से कह देता है, तब उसे उस स्वप्न का फल नहीं मिलता। किसी नीच पुरुष से,  शत्रु से, मूर्ख मनुष्य से, स्त्री से अथवा रात में ही किसी दूसरे से स्वप्न की बात कह देने पर मनुष्य को विपत्ति, दुर्गति, रोग, भय, कलह, धन हानि एवं चोर – भय का सामना करना पड़ता है।

प्रहर में स्वप्न फल 

तब भगवान कृष्ण बोले -हे तात ! रात के पहले पहर में देखा गया स्वप्न एक वर्ष में फल देता है । दूसरे पहर का स्वप्न छह महीने में , तीसरे पहर का स्वप्न तीन महीने में और चौथे पहर का स्वप्न एक पक्ष में अपना फल प्रकट करता है। अरुणोदय की बेला में देखा गया स्वप्न दस दिन में फलद होता है । प्रात : काल का स्वप्न यदि तत्काल नोंद टूट जाये तो तत्काल फल देने वाला होता है। दिन को मन में कुछ देखा और समझा गया है, यह सब अदृश्य सपने में लक्षित होता है।

दुःस्वप्न यानि अशुभ स्वप्न और उनके फल 

भगवान कृष्ण बोले -हे तात ! सपने में कुपित हुए ब्राह्मण तथा कुपित हई ब्राह्मणी को देखने वाले मनष्य पर निश्चय ही विपत्ति आती है और लक्ष्मी उसके घर से चली जाती है। जंगली पुष्प, लाल फूलं, भांति – भांति पुष्पों से लदा पलाश, कपास और सफेद वस्त्र को देखकर मनुष्य दुःख का भागी होता है।

काला वस्त्र धारण करने वाली काले रंग की विधवा स्त्री को हँसती और गाती हुई देखकर मनुष्य मृत्यु को प्राप्त होता जाता है। जिसे स्वप्न में देवगन नाचते – गाते हँसते, ताल ठोंकते और दौड़ते हए दीख पड़ते हैं, उसका शरीर मृत्यु का शिकार हो जायेगा। जो स्वप्न में काले पुष्पों की माला और कुष्णांग राग से सुशोभित एवं काला वस्त्र धारण करने वाली स्त्री का आलिंगन करता है, उसकी मृत्यु हो जायेगी ।

 सपने में हर्षातिरेक से अट्टहास, एक दुःस्वप्न

जो स्वप्न में हर्षातिरेक से अट्टहास करता है अथवा यदि विवाह और मनोनुकूल नाच – गाना देखता है तो उसके लिए विपत्ति निश्चित है। स्वप्न में जिसके दांत तोड़े जाते हैं और उन्हें गिरते हुए देखता है तो उसके धन की हानि होती है और उसे शारीरिक कष्ट भोगना पड़ता है। जो तेल से स्नान करके गधे , ऊंट और भैंसे पर सवार होकर दक्षिण दिशा की ओर जाता है, निःसन्देह उसकी मृत्यु हो जाती है। यदि स्वप्न में कान में लगे हुए अडहुल , अशोक और करबीर के पुष्प को तथा तेल और नमक को देखता है तो उसे विपत्ति का सामना करना पडता है। नंगी, काली नक – कटी शूद्र – विधवा तथा जटा और ताड़ के फल को देखकर मनुष्य शोक को प्राप्त होता है।

स्वप्न में मनुष्य का मस्तक, एक दुःस्वप्न

स्वप्न में मृग का मरा हुआ छौना, मनुष्य का मस्तक और हड्डियों की माला पाता है, उसके लिए विपत्ति निश्चित है। जो ऐसे रथ पर जिस पर गधे और ऊंट जुते हों, अकेले सवार होता है और उस पर बैठकर फिर जागता है तो निःसन्देह वह मौत का ग्रास बन जाता है। जो अपने को हवि, दूध, मधु, मट्ठा और गुड़ से सराबोर देखता है, वह निश्चित ही पीड़ित होता है। जो स्वप्न में लाल पुष्यों की माला एवं लाल अंग से युक्त तथा लाल वस्त्र धारण करने वाली स्त्री का आलिंगन करता है, वह रोगग्रस्त होता है, यह निश्चित है। गिरे हुए नख और केश, बुझा हुआ अंगार और भस्मपूर्ण चिता को देखकर मनुष्य अवश्य ही मृत्यु का शिकार बन जाता है।

स्वप्न में बाजा, नाच, गाना, एक दुःस्वप्न

स्वप्न में बाजा, नाच, गाना, गवैया, लाल वस्त्र, बजाया जाता हुआ मृदंग – इन्हें देखकर अवश्यमेव दु : ख मिलता है । प्राणरहित मुर्दे को देखकर निश्चय ही मृत्य होती है और जो मत्स्य आदि को धारण करता है, उसके भाई का मरण ध्रुव है। घायल अथवा बिना सिर का धड़ या मुंडित सिर वाले एवं शीघ्रतापूर्वक नाचते हुए बेडौल प्राणी को देखकर मनुष्य मौत का भागी होता है। मरा हुआ पुरुष अथवा मरी हुई काले रंग की भयानक म्लेच्छ नारी जिसका स्वप्न में आलिंगन करती है, उसका मर जाना निश्चित है। स्वप्न में जिसके दांत टूट जायें और बाल गिर रहे हों तो उसके धन की हानि होती है या वह शारीरिक पीड़ा से दुःखी होता है। स्वप्न में जिसके ऊपर सींगधारी अथवा द्रष्टा वाले जीव तथा बालक और मनुष्य टूट पड़ते हों उसे राजा की ओर से भय प्राप्त होता है। गिरता हुआ कटा वृक्ष, शिलावृष्टि, भूसी, छुरा, लाल अंगारा और राख की वर्षा देखने से दुःख की प्राप्ति होती है। गिरते हुए ग्रह अथवा पर्वत, भयानक धूमकेतू या टूटे हुए कंधे वाले मनुष्य को देखकर स्वप्नदृष्टा दु : ख का भागी होता है। जो स्वप्न में रथ, घर, पर्वत, वृक्ष, गौ, हाथी और घोड़ा आकाश से भूतल पर गिरते देखता है, उसके लिए विपत्ति निश्चित है।

उड़द, मसूर और मूंग, एक दुःस्वप्न

शमशान, काष्ठ, सखी घास – फस, लोहा, काली स्याही और कुछ – कुछ काले रंग वाले घोड़े को देखने से अवश्यमेव दुःख की प्राप्ति होती है। पादुका, ललाट की हड्डी, लाल पुष्पों की भयावनी माला, उड़द, मसूर और मूंग देखने से तुरन्त शरीर में घाव या फोड़ा हो जाता है । स्वप्न में सेना, गिरगिट, कौआ, भालू, वानर, नील गाय, पीव और शरीर के मल का देखा जाना केवल व्याधि का कारण होता है। स्वप्न में फूटा बर्तन, घाव, शूद्र, गमत्कुष्ठी, रोगी, लाल वस्त्र, जटाधारी, सूअर, भैंसा , गधा, महाघोर अंधकार, मरा हुआ भयंकर जीव और योनि – चिह्न देखकर मनुष्य निश्चय ही विपत्ति में फंस जाता है । कुवेशधारी म्लेच्छ और पाश ही जिस का शस्त्र है, ऐसे पाशधारी भयंकर यमदूत को देखकर मनुष्य मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। ब्राह्मणी – ब्राह्मण, छोटी कन्या और बालक पुत्र क्रोधवश विलाप करते हों तो उन्हें देखकर दुःख की प्राप्ति होती है। काला फूल, काले फूलों की माला, शस्त्रास्त्रधारी सेना और विकृत आकार वाली म्लेच्छ वर्ण की स्त्री को देखने से निःसन्देह मृत्यु गले लग जाती है।

ऊंचाई से गिरते हैं, एक दुःस्वप्न
जो भस्म और अंगारयुक्त गड्ढों पर, क्षार कुंडों में तथा धूलि की राशि पर ऊंचाई से गिरते हैं, निःसन्देह उनकी मृत्यु होती है। जिसके मस्तक पर से कोई दुष्ट बलपूर्वक छत्र खींच लेता है, उसके पिता , गुरु अथवा राजा का नाश हो जाता है। जिसके घर से भयभीत हुई गौ, बछड़े सहित चली जाती है, उस पापी की लक्ष्मी और पृथ्वी भी नष्ट हो जाती है । म्लेच्छ यमदूत जिसे पाश से बांध कर ले जाते हैं, उसकी मृत्यु निश्चित है । जिसे ज्योतिषी ब्राह्मण – ब्राह्मणी तथा गुरु रुष्ट होकर शाप देते हैं, उसे निश्चय ही विपत्ति भोगनी पड़ती है। जिसके शरीर पर शत्रुदल, कौए, मुर्गे और रीछ आकर टूट पड़ते हैं, उसकी अवश्य मृत्यु हो जाती है और स्वप्न में जिसके ऊपर भैंसे, भालु, ऊंट, सूअर और गधे क्रुद्ध होकर धावा करते हैं, वह निश्चय ही रोगी हो जाता है ।

भगवान श्री कृष्ण से बताए शुभ सपने 

भगवान कृष्ण बोले -हे तात ! भरे हुए घड़े, बाहन, अग्नि, फूल, पान, मन्दिर , श्वेत धान्य , नट एवं नर्तकी को स्वप्न में देखने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । गौ – दुग्ध और घी के दर्शन का भी यही फल है । स्वप्न में कमल के पत्ते पर खीर, दही, दूध, घी, मधु और स्वस्तिक नामक मिष्ठान खान मनुष्य भविष्य में अवश्य ही राजा होता है।

पर्वत और वृक्षों पर चढ़ना, एक शुभ सपना

सपने में गौ, हाथी, अश्व, महल, पर्वत और वृक्षों पर चढ़ना, भोजन करना तथा रोना धनप्रद कहा गया है । हाथ में वीणा लेकर गीत गाना, खेती से भरी हुई भूमि की प्राप्ति का सूचक होता है। यदि स्वप्न में शरीर अस्त्र – शस्त्र से विद्ध हो जाये, उसमें पाव में कीड़े हो जायें, विष्ठा अथवा खून से शरीर लथपथ हो जाये तो धन – प्राप्ति का सूचक है। जो स्वप्न में मूत्र से भीग जाता ह , वीर्यपात करता है, नरक में प्रवेश करता है, नगर पा लाल समुद्र में फसता है अथवा अमृत पान करता है, वह जागने पर शुभ समाचार पाता है और उसे प्रचुर धनराशि का लाभ होता है। स्वप्न में हाथी , राजा , स्वर्ण, वृषभ, धेनु, दीपक, अन्न, फल, पुष्प, कन्या, छत्र, ध्वज और रथ का दर्शन करके मनुष्य, कुटुम्ब, कीर्ति और विपुल सम्पत्ति का भागी होता है ।

कन्या, एक शुभ सपना

स्वप्न में रत्नमय आभषणों से विभूषित आठ वर्ष की कुवारी कन्या जिस पर संतुष्ट हो जाती है और जिस पुण्यात्मा को पुस्तक देती है वह विश्वविख्यात कविश्वर एवं पडितराज होता है । जिसे स्वप्न में माता की भांति वह पढ़ाती है , वह सरस्वती का पुत्र होता है और अपने समय का सबसे बड़ा पंडित माना जाता है। यदि विद्वान ब्राह्मण किसी को पिता की भांति यत्नपूर्वक पढ़ाते या प्रसन्नतापूर्वक पुस्तक दे तो वह भी उसी के समान विद्वान होता है । जो स्वप्न के मार्ग पर या कहीं भी पड़ी हुई पुस्तक पाता है वह भूतल  स्वप्न पर विख्यात एवं यशस्वी पंडित होता है । जिसे ब्राह्मण – ब्राह्मणी स्वप्न में महामन्त्र दें, वह पुरुष विद्वान , धनवान व गुणवान होता है। ब्राह्मण स्वप्न में जिसे मन्त्र अथवा शिलामयी प्रतिमा देता है, उसे – मन्त्रसिद्धि प्राप्त होती है। यदि ब्राह्मण स्वप्न में ब्राह्मण समूह का दर्शन एवं वन्दन करके आशीर्वाद पाता है, वह राजाधिराज अथवा महान कवि एवं पंडित होता है। स्वप्न में ब्राह्मण जिसे संतुष्ट होकर श्वेत धान्ययुक्त भूमि देता है, वह राजा होता है। ब्राह्मण जिसे रथ पर बिठाकर नाना प्रकार के स्वर्ग दिखाता है, वह चिरंजीवी होता है तथा उसकी आयु एवं सम्पत्ति की निश्चय ही वृद्धि होती है। सपने में संतुष्ट ब्राहाण जिस ब्राह्मण को अपनी कन्या देता है वह सदा धनाढ्य राजा होता है।

तीखे खड़ग को प्राप्ति, एक शुभ सपना

छत्र, पादुका और निर्मल एवं तीखे खड़ग को प्राप्ति धान्य – लाभ सूचना देती है। खेल – खेल में ही पानी के ऊपर तैरने वाला मनुष्य प्रधान होता है। फलवान वृक्ष का दर्शन और सर्प का दर्शन धन – प्राप्ति का सूचक है। सपने में सूर्य और चन्द्रमा के दर्शन से रोग दूर होता है। घोड़ा, मुर्गा और क्रौन्ची को देखने से भार्या का लाभ होता है । स्वप्न में जिसके पैरों में बेडी पड़ गयी, उसे प्रतिष्ठा और पुत्र की प्राप्ति होती है,  जो सपने में नदी के किनारे नये अथवा फटे – पुराने कमल के पत्ते पर दही मिला हुआ अन्न और खीर खाता है, वह भविष्य में राजा होता है ।

जोंक, एक शुभ सपना

जोंक, बिच्छू और सांप आदि स्वप्न में दिखाई दे तो घन, पुत्र, विजय एवं प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। सींग व बड़ी – बड़ी दाढ़वाले पशुओं, सूअरों और वानरों से यदि स्वप्न में पीड़ा हो तो मनुष्य निश्चय ही राजा होता है और प्रचुर धनराशि प्राप्त कर लेता है । जो स्वप्न में मत्स्य, मांस, मोती, राख, चन्दन, हीरा, शराब, खून , स्वर्ण विष्ठा तथा फले – फले बेल और आम को देखता है, उसे धन मिलता है । प्रतिमा और शिवलिंग के दर्शन से विजय और धन की प्राप्ति होती है। प्रज्वलित अग्नि को देखकर मनुष्य धन, बुद्धि और लक्ष्मी पाता है। आंवला और कमल धन – प्राप्ति का सूचक है। देवता, द्विज, गौ, पितर और साम्प्रदायिक चिन्हधारी पुरुष स्वप्न में परस्पर जिस वस्तु को देखते हैं। उसका फल भी ऐसा ही होता है। श्वेत वस्त्र धारण करके पुष्पों की माला और श्वेत अनुलेपन से सुसज्जित सुन्दरियां सपने में जिस पुरुष का आलिंगन करती हैं। उसे सुख और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है ।

ब्राह्मण देवता का स्वरूप, एक शुभ सपना

स्वप्न में भस्म, रुई और हड्डी को छोड़कर शेष सभी श्वेत वस्तुएं प्रशांशित हैं और कृष्णा गोऊ, हाथी, घोड़े, ब्राह्मण व देवता को छोड़ कर सभी काली वस्तुएं अत्यन्त निन्दित हैं। रत्नमय आभूषणों से विभूषित दिव्य ब्राह्मण, जातीय स्त्री मुस्कुराती हुई जिस घर में आती है, उसे निश्चय ही पदार्थ की प्राप्ति होती है। स्वप्न में ब्राह्मण देवता का स्वरूप है और ब्राह्मणी देव कन्या का । ब्राह्मण और ब्राह्मणी मुस्कुराते हुए स्वप्न में जिसको कोई फल दे, उसे पुत्र होता है।

संतुष्ट ब्राह्मण, एक शुभ सपना

ब्राह्मण स्वप्न में जिसे शुभाशीर्वाद देते हैं उसे अवश्य ऐश्वर्य प्राप्त होता है । सपने में संतुष्ट ब्राह्मण जिसके घर आ जाये, उसके यहां नारायण शिव और ब्रह्मा का प्रवेश होता है, उसे सम्पत्ति, महान् सुयश, पग – पग पर सुख, सम्मान और गौरव की प्राप्ति होती है। यदि स्वप्न में अकस्मात् गौ मिल जाये तो भूमि और पतिव्रता स्त्री प्राप्त होती है। स्वप्न में जिस पुरुष को हाथी सूंड से उठाकर अपने माथे पर बिठा ले, उसे राज्य का लाभ होगा। स्वप्न में संतुष्ट ब्राह्मण जिसे हृदय से लगाये और फूल हाथ  में दे, वह निश्चय ही सम्पत्तिशाली, विजयी, यशस्वी और सुखी होता है। साथ ही उसे तीर्थ स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। सपने में तीर्थ अट्टालिका और रत्नमय गृह का दर्शन हो तो उससे भी पूर्वोक्त फल की प्राप्ति होती है। स्वप्न में यदि कोई भरा हुआ कलश दे तो पुत्र और सम्पत्ति का लाभ होता है। हाथ में कुड़व लेकर स्वप्न में कोई वीरांगना जिसके घर पर आती है, उसे लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। जिसके पर पत्नी के साथ ब्राह्मण आता है, उसके यहां पार्वती सहित शिव अथवा लक्ष्मी के साथ नारायण शुभागमन होता है। ब्राह्मण और ब्राह्मणी स्वप्नावस्था में जिसके मस्तक पर छत्र लगाते हैं, या श्वेत धान्य बिखेरते हैं या अमृत, दही और उत्तम पात्र अर्पित करते हैं या जो स्वप्न में श्वेत माला और चन्दन से अलंकृत हो रथ पर बैठकर दही या खीर खाता है, वह निश्चय ही राजा होता है।

श्वेत पर्वत का दर्शन, एक शुभ सपना

स्वप्न में सरोवर, समुद्र, नदी, नद, श्वेत सर्प और श्वेत पर्वत का दर्शन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । जो स्वप्न में अपने को मरा हुआ देखता है , वह चिरंजीवी होता है । रोगी देखने पर निरोग होता है और सुखी देखने पर निश्चय ही दुःखी होता । दिव्य नारी जिससे स्वप्न में कहती है कि आप मेरे स्वामी हैं और वह ‘ उस सपने को देखकर तत्काल जाग उठता है, वह अवश्य राजा होता है । स्वप्न में कालिका का दर्शन करके और स्फटिक की माला, इन्द्रधनुष एवं वज्र को पाकर मनुष्य अवश्य ही प्रतिष्ठा का भागी होता है । स्वप्न में ब्राह्मण जिससे कहे कि तुम मेरे दास हो जाओ, वह मेरी दास्य भक्ति पाकर वैष्णव हो जाता है। स्वप्न में ब्राह्मण शिव और विष्णु का स्वरूप है। ब्राह्मणी लक्ष्मी एवं पार्वती का प्रतीक है तथा श्वेत वर्ण स्त्री वेदमाता सावित्री, गंगा एवं सरस्वती का रूप है। ग्वालिन का वेश धारण करने वाली बालिका मेरी राधिका है और बालक – बाल गोपाल का स्वरूप है। स्वप्न विज्ञान के जानने वाले विद्वानों ने इस रहस्य को प्रकाशित किया है।

 

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