मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। लंबे समय से चली आ रही यूपी में 69 हजार शिक्षक भर्ती पर असमंजस खत्म हो गया है।
बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहुप्रतिक्षित फैसले का एलान किया। कोर्ट ने सरकार के फैसले पर ही मुहर लगायी। जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने योगी सरकार द्वारा पासिंग मार्क्स के लिये तय किये गये मानकों को सही ठहराया और निर्देश दिया कि तीन महीने में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया को पूरी किया जाये। बता दें कि अब 90 और 97 पासिंग मार्क्स पर अभ्यर्थियों के भर्ती के योग्य माना जाएगा। यहां ये जानना जरूरी है कि पिछले साल की शुरुआत में हुई भर्ती परीक्षा के तुरंत बाद राज्य सरकार ने इसमें अर्हता अंक सामान्य वर्ग के लिए 65 और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसदी तय किए थे, जिसके खिलाफ एकल पीठ में कई याचिकाएं दायर हुईं। इस फैसले से उन छात्रों को भी राहत मिली जो सरकार के मानकों को सही ठहरा रहे थे।
कोर्ट ने भर्ती के लिये सरकार द्वारा तय किये गये उत्तीर्ण अंकों की मानकता को सही माना!
पिछले साल से इन अपीलों पर फाइनल सुनवाई चल रही थी। राज्य सरकार समेत अन्य अभ्यर्थियों की विशेष अपीलों पर अदालत ने 3 मार्च को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। इनमें सिंगल बेंच के उस फैसले व आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें भर्ती परीक्षा में न्यूनतम अर्हता अंक सामान्य वर्ग के लिए 45 और आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी अंक रखे जाने के निर्देश सरकार को दिए गए थे।गौरतलब है कि ये भर्ती प्रक्रिया डेढ़ साल से अटकी है। 6 जनवरी 2019 को सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हुई थी। परीक्षा के अगले दिन यानि 7 जनवरी को सरकार ने भर्ती के मानक तय किये थे। कुछ अभ्यर्थी ये कहते हुए कोर्ट चले गए थे कि परीक्षा के बाद पासिंग मार्क नहीं तय कर सकते है। सरकार ने दलील दी थी कि 69 हज़ार पदों के लिए 4 लाख 10 हज़ार से ज्यादा अभ्यर्थीयों ने इसके लिये आवेदन किया था। तर्क था कि क्वालिटी टीचर्स के लिए पासिंग मार्क तय करना जरूरी है
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