लखनऊ। तीन महीने के समय जो अभी हाल में बीता है, उसने योगी सरकार की कार्यशैली में अभूतपूर्व सुधार किये हैं। योगी सरकार की छवि को चार चांद लगाने वाले यह तीन महीने कहे जा सकते हैं, जिस तरह से उन्होंने तीन माह के दौरान उन्होंने जिस सरकार से प्रदेश की कमान संभाली है, समता का भाव रखा है, उससे विपक्षी भी हतप्रद है, कुछ कहने-सुनने को नहीं मिल रहा है। हां, कुछ मंदमति हैं, जिन्हें विरोध के नाम पर विरोध ही करना ही है, उनकी बात अलग हैं।
आइये, अब आते हैं, मूल विषय पर अब केंद्र सरकार ने देश की वित्तीय हालात सुधार करने के लिए कुछ आर्थिक कदम उठाये हैं, उनके मद्देनजर प्रदेश की योगी सरकार 24 घंटे के अंदर ही सक्रिय हो गई है। बकायदा उद्यमियों से बातचीत कर उद्योगों के उत्पादों को लोकल से ग्लोबल बनाने पर गहनता से मंत्रणा की गई। सूत्र बताते हैं कि योगी सरकार इस अवसर को पूरी तरह से कैश करके प्रदेश की अर्थव्यवस्था विशेष तौर उद्योगों को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने का मन बना रहे हैं। केंद्र से आर्थिक पैकेज की घोषणा के चौबीस घंटे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में गुरुवार को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर के 56,754 उद्यमियों को एकमुश्त 2,002 करोड़ का ऋण प्रदान किया है। एक क्लिक पर इतनी बड़ी धनराशि का लोन देकर मुख्यमंत्री योगी ने रोजगार संगम ऑनलाइन मेला की व्यापक शुरूआत की। एक टेबल पर उद्यमियों और बैंकर्स को बैठाकर ये ऋण प्रदान किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कल पैकेज की घोषणा हुई और आज एमएसएमई विभाग, स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के साथ संवाद बनाकर लाभार्थियों को लोन वितरण एक साथ कर रहा है। आज की इस पहल से हम लोग दो लाख से अधिक लोगों को रोजगार सृजन का अवसर दे रहे हैं। वास्तव में यह हमारी ताकत है।
एमएसएमई ‘ई-साथी’ पोर्टल किया लाॅन्च
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दृष्टि से आज लोगों की मदद करने के लिए एमएसएमई ‘ई-साथी’ पोर्टल भी लाॅन्च हुआ है। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के समय में टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए कैसे बेहतर कार्य किया जा सकता है, यह एमएसएमई और बैंकर्स कमेटी ने मिलकर तय किया और एक साथ इतनी बड़ी संख्या में लाभार्थियों को लोन की सारी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जा रही हैं।
पांच वर्ष में राष्ट्रीय औसत के बराबर होंगे
योगी ने कहा कि हमने कड़ी मेहनत करते हुए, पिछले साढ़े तीन वर्षों के अंदर, उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोत्तरी करने में सफलता हासिल की। आज यह देश की औसत आय के आधे से अधिक तक पहुंच चुकी है।
मुख्यमंत्री योगी ने उम्मीद जतायी कि पांच वर्ष में इस मामले में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय औसत के बराबर होगा। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि में सबसे बड़ी भूमिका हमारे एमएसएमई सेक्टर की रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ की बात बार-बार कही है। बीते दिनों अपने उद्बोधन में उन्होंने ‘लोकल’ को ‘ग्लोबल’ बनाने की जो बात कही है, यही वास्तविकता भी है। यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भारत के 135 करोड़ लोगों के स्वावलम्बन के साथ जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
केन्द्र ने भी एक जिला एक उत्पाद योजना को सराहा
मुख्यमंत्री योगी ने आगे कहा कि 24 जनवरी, 2018 को जब हम लोगों ने उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस मनाया था, तब एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना की घोषणा की थी। इसके बाद 2020 के केन्द्रीय बजट में भी भारत सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ के लिए धन की व्यवस्था की तथा राज्यों से कहा कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अपने यहां के लोकल प्रोडक्ट के बारे में, उसको प्रमोट करने के बारे में सोचें।
उप्र के कई उत्पादों में ‘ग्लोबल’ बनने की क्षमता
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बहुत सारी चीजें हैं, जिनमें केवल ‘लोकल’ ही नहीं बल्कि ‘ग्लोबल’ बनने की क्षमता है, लेकिन हम अपनी चीजों को समय के अनुसार नई तकनीक एवं नई डिजाइन के साथ आगे बढ़ाने के लिए प्रयास प्रारंभ तो करें।
इस क्षेत्र में बहुत सम्भावनाएं हैं और बहुत पोटेंशियल है। हमें इस पर आगे कार्य करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निश्चित ही हमारी एक ताकत है और इस ताकत को मैंने तब महसूस किया जब मुझे ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ के कार्यों की मैपिंग की दृष्टि से विभिन्न जनपदों में जाने का अवसर प्राप्त हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब वह मुरादाबाद गये तो वहां पीतल उत्पादक स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे थे, लेकिन आज 6,000 करोड़ से अधिक के पीतल उत्पाद निर्यात होते हैं। ऐसे ही फिरोजाबाद में कांच उत्पाद हैं, कन्नौज में इत्र है। अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग उत्पाद हैं। मेरा यह मानना है कि हमें समय के अनुरूप सोचने की ताकत विकसित करनी होगी।उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया चीन से पलायन कर रही है। एक तरह से नफरत सी कर रही है। पूरी दुनिया जिस वैश्विक महामारी को झेल रही है, प्रत्येक व्यक्ति देख रहा है कि इसके पीछे कहीं न कहीं चीन है। इन स्थितियों में दीपावली के अवसर पर गौरी-गणेश की प्रतिमाएं चीन से क्यों आएंगी? क्या गोरखपुर का टेराकोटा इसकी आपूर्ति नहीं कर सकता? हम उन्हें डिजाइन देंगे और उसके अनुसार वे उत्पाद तैयार करेंगे।
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चीन से बेहतर प्रोडक्ट देने की क्षमता उनके पास है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों ने जब पहला दीपोत्सव का कार्यक्रम अयोध्या में किया था तो उस कार्यक्रम में 51,000 दीप प्रज्वलित किए गए थे। यह मिट्टी के दीपक, हमें पूरे उत्तर प्रदेश में ढूंढ़ने पड़े थे तब हमें 51,000 दीपक मिल पाए थे। विगत वर्ष हमने 5.51 लाख दीपक जलाए थे। सभी अयोध्या में ही हमारे माटी कला बोर्ड से जुड़े उद्यमियों द्वारा बनाए गए थे। सभी लोग इस बात के लिए खुश थे कि इसके कारण उनको रोजगार मिला है। हम लोग कुम्हारों को निःशुल्क मिट्टी उपलब्ध करा रहे थे। वह उससे मिट्टी के दीपक या अन्य उत्पाद बना रहे थे। साथ ही वे गांव के तालाब की मिट्टी निकालकर लाते थे तो वह तालाब फिर से जल संरक्षण के लिए तैयार होता था।
गोरखपुर का टेराकोटा जीआई प्रोडक्ट में शामिल
दुनिया भर में जो बांसुरी बजती है वह उ.प्र. के पीलीभीत में बनती है और ढोलक अमरोहा में बनती है। हमें उसको पहचानने की ताकत होनी चाहिए। हमें नए सिरे से आगे बढ़ाकर इसे प्रोत्साहित कर लें तो बहुत बड़ा कार्य होगा। यह संभावना उत्तर प्रदेश के अंदर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रसन्नता है कि इस बार गोरखपुर के टेराकोटा को जीआई प्रोडक्ट में शामिल किया गया है। उसे बौद्धिक सम्पदा का अधिकार प्राप्त होने के बाद, वैश्विक मान्यता प्राप्त होगी। एक-एक करके उत्तर प्रदेश के प्रत्येक प्रोडक्ट को इसी प्रकार बौद्धिक सम्पदा के दायरे में लाकर हम लोग प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहे हैं व उसे वैश्विक मान्यता देने की कोशिश कर रहे हैं।
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