भगवती आदि शक्ति दुर्गा के वैसे तो अनन्त रूप है, अनन्त नाम है, अनन्त लीलाएं हैं। जिनका वर्णन कहने-सुनने की सामर्थ्य मानवमात्र की नहीं है, लेकिन देवी के प्रमुख नौ अवतार है। जिनमें महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, योगमाया, शाकुम्भरी, श्री दुर्गा, भ्रामरी व चंडिका या चामुंडा है। इन नौ रूपों में से आइये जानते हैं हम भ्रामरी अवतार के बारे में-
भ्रामरी देवी
पूर्व काल में एक बार अरुण नामक दैत्य की उत्पत्ति हुई उसने देवलोक में अत्याचार करना आरंभ किया देवताओं की स्त्रियों का सतीत्व नष्ट करने का प्रयत्न करने लगा उस महाबली दैत्य से पीड़ित देव पत्नियों ने अपने सतीत्व की रक्षा के लिए भवरों का रूप धारण माता भगवती की स्तुति करने लगी।
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उनकी करुण पुकार सुनकर माता ने भ्रामरी का रूप धारण किया और उस महाबली दैत्य के सम्मुख प्रकट हुई, अरुण दैत्य अपनी विशाल दैत्य सेना और अपने बल के घमंड में चूर था। देवी ने उसी समय अरुण को उसकी सेना सहित मारकर देव पत्नियों की रक्षा की तबसे उनका एक रूप भ्रामरी देवी का हुआ।
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मान्यता है कि वेग से उड़ने वाले उन भ्रमरों ने दैत्यों के शरीर को छेद डाला। थोडे ही समय में जो देत्य जहाँ था, भ्रमरों द्वारा दी गयी पीड़ा से वहीं मर गया। अरूण दानव भी अपने बचाव में कुछ न कर पाया। उसके सभी अस्त्र-शस्त्र विफल हो गये। तभी से भगवती के इस स्वरुप का पूजन अर्चन हो रहा है, जो परम कल्याण करक है।