भगवती आदि शक्ति दुर्गा के वैसे तो अनन्त रूप है, अनन्त नाम है, अनन्त लीलाएं हैं। जिनका वर्णन कहने-सुनने की सामर्थ्य मानवमात्र की नहीं है, लेकिन देवी के प्रमुख नौ अवतार है। जिनमें महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, योगमाया, शाकुम्भरी, श्री दुर्गा, भ्रामरी व चंडिका या चामुंडा है। इन नौ रूपों में से आइये जानते हैं हम शाकुम्भरी अवतार के बारे में-
शाकुम्भरी देवी- एक बार लगातार सौ वर्षों तक पृथ्वी पर जल की वर्षा नहीं हुई जिससे समस्त जीवों में हाहाकार मच गया। धन धान्य सब सूख गए। पेड़ पौधे, तृण आदि से पृथ्वी रहित हो गई। भूख और प्यास से व्याकुल होकर सभी जीव मरने लगे। उससमय ऋषि मुनियों ने भगवती जगदंबा की उपासना की। ऋषिजनों द्वारा स्तुति किये जाने पर देवी ने शाकुम्भरी नामक स्त्री के रूप में अवतार ग्रहण कर अपने नेत्रों से जल बरसाया। जिससे भूख और प्यास से तड़प रहे जीवों को नव जीवन प्राप्त हुआ।
‘शत शत नेत्रों से बरसाया नौ दिन तक अविरल अति जल।
भूखे जीवों के हित दिये अमित तृण अन्न शाक सुचि फल।।
वर्षा होने से पृथ्वी पर सूख गए पेड़ पौधे, लताएं आदि पुन: हरी भरी हो गईं। शाकों द्वारा माता न सम्पूर्ण जगत का भरण पोषण किया जिस कारण शाकुम्भरी नाम से जगत में विख्यात हुईं।
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जो प्राणी माता शाकुम्भरी देवी की नित्य स्नानादि से निवृत्त होकर सच्चे एवं शुद्ध हृदय से पूजा करता है। मैया उस पर प्रसन्न होकर धन धान्य से पूर्ण करती हैं। उसे प्राणी के लिए कोई भी वस्तु अलभ्य नहीं रहती अर्थात सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी की कृपा सेसमस्त सुख वैभव प्राप्त होता है।
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