अदभुत शिवलिंग, भोलेनाथ के साथ महाकाली विराजमान

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वह मंदिर जहां महाकाली ने 17 हजार वर्ष तप किया, तब भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए थे

श्री कालीनाथ कालेश्वर महादेव मंदिर

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भगवान  भोले शंकर का हिमाचल में एक अद्भुत व अद्बितीय मंदिर है, जो बहुत ही प्राचीन माना जाता है, जिसकी महिमा का जितना बखान किया जाए, वह कम ही होगा, प्रकृति की गोद में निर्मित मंदिर की महिमा का अब हम आपसे बखान करते हैं। मान्यता है कि असुरों ने देवताओं को पुरातनकाल में चुनौती दी थी, तब भगवती दुर्गा ने महाकाली रूप में असुरों का संहार किया था, असुरों के संहार के बाद तब क्रोधित महाकाली को शांत करना किसी बस में न रहा, समस्त चराचर जगत में हाहाकार मच गया। देवी का रौद्र रूप देख असुरों के साथ देवता भी घबरा गए तो भगवान शंकर महाकाली को शांत करने के लिए उनके चरणों के नीचे आ गए, तब महाकाली को अपनी भूल का अहसास हुआ तो उन्होंने यही कांगड़ा जिले की रक्कड़ तहसील में स्थित मंदिर परिसर में भगवान शंकर को प्रसन्न करने और आत्मग्लानी से मुक्ति पाने के लिए 17००० वर्ष कठोर तप किया था।

महाकाली माता ने यहां पर शव पर बैठकर पैर के एक अंगूठे पर स्थिर हो तप किया था। कठोर तप के बाद भगवान शंकर प्रसन्न हुए और उन्होंने माता को दर्शन दिए, तब से यहां लिंग स्थापित हैं, यहां लिंग की विश्ोषता यह है कि भूगर्भ में स्थित लिंग दो भागों में विभक्त है, एक भाग भोलेशंकर तो दूसरा महाकाली का प्राकटñ रूप माना जाता है।

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इस मंदिर में बैसाखी व श्रावण मास में श्रद्धालुओं की विश्ोष भीड़ होती है, देश-विदेश से श्रद्धालू दर्शन के लिए आते हैं। यहां दूसरा प्राचीन मंदिर महाकाली का है, जहां माता ने तप किया था, वहां पर माता की प्रतिमा स्थापित है।


मंदिर से सम्बन्धित एक अन्य कथा भी है, जिसके अनुसार पांडव जब अज्ञातवास काट रहे थ्ो, तब पांडवों की माता ने कुम्भ स्थान की इच्छा व्यक्त की थी, चूंकि वे अज्ञातवास पर थे, इसलिए कुम्भ स्थान करना सम्भव नहीं था, इस पर अर्जुन यहां धरती पर तीर चलाए थे, तो जलधार धरती से निकली आयी, यह जलधार मंदिर से कुछ दूर स्थित कुंड में आज भी गिरती है।

मान्यता है कि इस जलधारा में पंचतीर्थो का जल समाहित होता है, इस मंदिर के स्थान को हरिद्बार से एक जौ भर ऊंचा माना गया है। यहां पर ग्यारह रुद्र लिंग भी तब पांडवों ने प्रतिष्ठित किए थे, जो आज भी प्राचीन मंदिर परिसर में स्थापित हैं।

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प्राचीन मंदिर का दर्शन करने वाले इसका भी दर्शन करने आते हैं। मंदिर में काल सर्प दोष की विश्ोष पूजा होती है, इसका विश्ोष महत्व माना गया है। इसके अलावा महाकाली पूजन की दृष्टि से भी मंदिर का विश्ोष महत्व बताया गया है।

यहां पर राधा-कृष्ण मंदिर भी है, इसके पुजारी पंडित रमन पुजारी के अनुसार इस मंदिर में पूजन से काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।

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