नेशनल पार्क से बाहर निकले चीतो की सुरक्षा के लिए एडवाइजरी जारी

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मुरैना, 27 मार्च (एजेंंसी) मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकली मादा चीता ज्वाला और उसके चार शावकों की सुरक्षा को लेकर प्रबंधन ने एडवाइजरी जारी की है।
बीते सोमवार को वीरपुर तहसील के तेलीपुरा गांव में चीतों ने एक गाय का शिकार करने की कोशिश की, जिसके बाद ग्रामीणों ने न केवल उन पर पत्थर फेंके, बल्कि लाठी-डंडों के साथ चीतों को घेर लिया। इस घटना के बाद चीतों की सुरक्षा पर चिंता जताई गई, जिसके जवाब में श्योपुर जिला प्रशासन और कूनो प्रबंधन ने एक एडवाइजरी जारी की है। जारी एडवाइजरी में लोगों से संयम बरतने और चीतों को नुकसान न पहुंचाने की अपील की गई है। इसमें कहा गया है कि चीता इंसानों के लिए खतरा नहीं है। तीन दिन तक पार्क की सीमा से बाहर रहने के बाद ज्वाला और उसके शावक मंगलवार शाम को कूनो वनमंडल और सामान्य वनमंडल की सीमा पर ट्रेस किए गए। हालांकि, ये चीता फैमिली अभी पूरी तरह पार्क के अंदर नहीं पहुंची है, लेकिन इनके जंगल की ओर लौटने से प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
कूनो प्रबंधन सूत्रों के अनुसार यह घटना उस समय हुई, जब ज्वाला और उसके शावक ग्रामीणों की भीड़ से घिर गए। ग्रामीणों ने चीतों पर पत्थर और लाठियां चलाईं, जिसके बाद वन विभाग की ट्रैकिंग टीम ने हस्तक्षेप कर चीतों को सुरक्षित जंगल की ओर भेजा। कूनो के खुले जंगल में छोड़े गए चीते पहले भी पार्क की सीमा लांघकर रिहायशी इलाकों, यहां तक कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक पहुंच चुके हैं। ऐसे में वन विभाग को इन्हें ट्रैंक्वलाइज कर वापस लाना पड़ा था। इस बार भी ट्रैकिंग टीम चीतों पर नजर रख रही थी, लेकिन ग्रामीणों के हमले ने उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया।
सूत्रों ने बताया कि कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में 17 चीते खुले जंगल में स्वतंत्र रूप से घूम रहे हैं, जिनमें 11 शावक शामिल हैं। इसके अलावा, 9 चीते अभी पार्क के बाड़ों में बंद हैं। चीतों के बार-बार पार्क से बाहर निकलने और ग्रामीणों के साथ टकराव की घटनाओं ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है। अब एडवाइजरी के जरिए लोगों से चीतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की जा रही है।
इस घटना का वीडियो और पार्क गेट के विजुअल्स भी सामने आए हैं, जो चीतों की सुरक्षा पर उठ रहे सवालों को और गंभीर बनाते हैं। प्रशासन का कहना है कि चीतों को नुकसान से बचाने के लिए जागरूकता और सहयोग जरूरी है।

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