मनोज श्रीवास्तव/आगरा। ताज नगरी आगरा में आज फिर फूटा कोरोना बिस्फोट, 42 नये मामलों की हुई पुष्टि हुई। इन 42 नये मामलों की पुष्टि के बाद अब संक्रमितों की कुल संख्या 743 पहुंच गयी।वंही सेंट्रल जेल के संक्रमित एक सजायाफ्ता कैदी की मौत के बाद कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या 22 हो गयी है।
आगरा मै 305 लोग कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके हैं। जिले में शुक्रवार की देर शाम की आयी रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के 417 मामले सक्रिय हैं। आगरा का एसएन मेडिकल कॉलेज बना संक्रमण का केंद्र बना हुआ है। अब तक एसएन मेडिकल कॉलेज जहां 60-70 कोरोनाग्रस्त रोगी हैं वहां मेडिकल कॉलेज से जुड़े एक दर्जन से ज्यादा लोग जिनमें स्वास्थकर्मी, जूनियर डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय, मरीज, तीमारदार कोरोना पोजेटिव हो चुके हैं। आरोप है कि स्वास्थ विभाग व एसएन एमसी के प्राशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से एसएन मेडिकल कॉलेज कोरोना संक्रमण का हब बन गया। आगरा प्रशासन शहर में चिन्हित हुए 44 हॉटस्पॉट पर लखनऊ से गयी टीम व प्रशासन बारीक नजर रख रहा है। बता दें कि सबसे पहले 2 मार्च को आगरा में कोरोना पॉजीटिव का पहला मामला आया था।
जब एक जूता व्यवसायी का परिणाम इटली से लौटा था तो उसके परिवार में कोरोना मिला था। उसके बाद शहर में जगह-जगह कोरोना का जहर लेकर मरकज से लौटे जमातियों के छिपने के कारण फैला।प्राइवेट अस्पताल पारस बिना बताये कोरोना के रोगियों का इलाज करता रहा। उसके कारण 92 लोगोंं में कोरोना का संक्रमण बांटा। पारस अस्पताल ने न केवल आस-पास जिलों में कोरोना फैलाया बल्कि आगरा शहर में इसे महामारी का रूप दे दिया। अब आगरा में कोरोना वारियर्स स्यवं कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। डॉक्टर, पुलिसकर्मी घायल हो, सब्जी वाला, दूध वाला, पत्रकार, समाजसेेवी कोई बचा नहीं है। आगरा में कोरोना के महामारी बनने के संदर्भ ने वहाँ तैनात एक वरिष्ठतम पुुुलिस अधिकारी ने दोका सामना को बताया कि 23-24 मार्च तक तो आगरा में विदेशी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहा। उसके बाद पारस अस्पताल, छुपे जमाती और फिर चाहे स्वास्थ्य विभाग की हो, प्रशासनिक हो या फिर यहां के सत्तासीन नेताओं की भूमिका हो सब एक के बाद एक गलती करते गये। परिणाम आगरा कोरोना का हब बन गया।
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