अनार (POMEGRANATE) के रामबाण उपचार
अनार गुठली रहित बेदाना अनार रसीला, सबसे मीठा और सबसे उत्तम होता है। अनार हर प्रकार के रोगों में दिया जा सकता है। अनार का रस पीना ज्यादा लाभदायक है। यह थकान को तत्काल कम कर देता है, पुरुषों की कमजोरियों, बीमारी के बाद की कमजोरी, रक्त अल्पता आदि में भी अत्यन्त प्रभावी है।
जिन बच्चों का विकास धीमा हो कमजोर रहते हों, उन्हें तो अवश्य ही अनार का सेवन कराना चाहिए। इसको बीज सहित दाँतों से चबाकर खाना सबसे उत्तम रहता है। जो चबाकर नहीं खा सकें, उन्हें इसका रस लेना चाहिए। एक अनार का नियमित सेवन किसी भी मिनरल या विटामिन के कैप्सूल से सौ गुना अधिक लाभप्रद है। अनार खाने से भोजन के पाचन में भी अधिक सहायता मिलती है।
अनार स्मृति एवं स्फूर्ति को बढ़ाता है
अनार स्मृति एवं स्फूर्ति को बढ़ाता है। दिल के रोगों में गुणकारी है। अनार में मुँह एवं गले के रोगों को नष्ट करने की पर्याप्त क्षमता होती है। वस्तुतया अनारदाना मीठे अनार का ही बीज है। अनारदाना भी खट्टा – मीठा होता है। अनारदाना प्रायः खाने में ज्यादातर लिया जाता है। अनार का शर्बत हृदय और आमाशय की जलन को दूर करता है। यह प्यास और वमन में हितकारी है।
रासायनिक संरचना की दृष्टि से अनार में मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, आयरन, सोडियम, पोटेशियम, क्लोरीन, कैल्शियम, गंधक विटामिन ‘ बी ‘ व ‘ सी ‘ विटामिन ‘ बी ‘ कॉम्पलेक्स आदि तत्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
अनार शरीर में मौजूद अम्लीय तत्वों को निकाल देता है। इससे आपकी त्वचा में निखार पैदा हो जाता है। एंटीऑक्सीडेंट्स और पॉलीफेनल्स से भरपूर अनार में विटामिन ‘ सी ‘ के साथ फॉलिक एसिड भी भारी मात्रा में पाया जाता है। अनार में हृदय, कैंसर, त्वचा को सुन्दर एवं जवान बनाये रखने के गुण हैं। लगातार अनार खाने से झुर्रियाँ तक ठीक हो सकती हैं।
अनिद्रा- अनार के ताजे पत्ते 30 ग्राम धोकर, आधा किलो पानी में उबाल कर आधा पानी रहने पर छान लें। इसमें समान मात्रा में गर्म दूध मिलाकर पीने से शारीरिक और मानसिक थकान दूर हो जाती है तथा नींद अच्छी आती है। केवल उबाल कर छाने हुए पानी से कुल्ले करने से छाले ठीक हो जाते हैं।
हाथ- पांवों में जलन- अनार के ताजा पत्ते पीसकर हाथ – पाँवों पर लेप करने से जलन में लाभ होता है।
खुजली – अनार के ताजा पत्ते पीस कर चटनी बनाये दो चम्मच इस चटनी को चार चम्मच सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करने से खुजली में लाभ होता है।
हृदय — हृदय रोगों में ‘ एथरोस्कलेरोसिस ‘ ऐसा रोग है जिसमें धमनियों में जमाव ( एथीरोमा ) होने से धमनियों की दीवारें मोटी और कठोर हो जाती हैं, जिससे धमनी – रास्ता सकड़ा हो जाता है। इसमें रक्त के बहाव में रुकावट आती है। धमनी में प्लाक इतने जमा हो जाते हैं कि रक्त प्रवाह के लिए बहुत कम खाली जगह बचती है।
अनार धमनियों के अवरोध ( Blockage ) खोलता है। यह तथ्य नवीनतम वैज्ञानिक खोजों से सिद्ध हो गया है। अनार रक्तवाहिनियों की आन्तरिक लाइनिंग ( अस्तर ) को अच्छा बनाते हुए रक्तचाप ( Blood Pressure ) को संतुलित रखकर तथा एलडीएल से होने वाली हानि से बचाकर हृदय और रक्तवाहिनियों को सुरक्षा प्रदान करता है। धमनियों के अवरोधों को खोलने के लिए अनार का रस सदा सालों साल 50 मि.ली. ( आधा कप ) पियें। आरम्भ एक बार फिर तीन बार पीते रहें या मीठे अनार खाते रहें। अनार के सेवन से ब्लड शुगर एलडीएल या एचडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता। हृदय, गुर्दे और यकृत के कार्यों में भी कोई बदलाव नहीं आता।
हृदय की धड़कन – 15 ग्राम अनार के ताजे पत्ते बहुत बारीक पीस कर आधा गिलास पानी में घोलकर, छानकर पीने से हृदय की धड़कन में लाभदायक है। अनार का शर्बत नित्य पीने से भी लाभ होता है।
गर्भाशय बाहर आना, कृमि, सोरायसिस, दाद, रक्तविकार- अनार के पत्ते चार किलो पानी से धोकर साफ करके छाया में सुखाकर पीस कर मैदा की चलनी से छान लें। इसकी एक चम्मच पानी से नित्य एक बार फंकी लेते रहना लाभप्रद है।
मिरगी- अनार के ताजे पत्ते 30 ग्राम, दो गिलास पानी में उबालकर, छानकर इसमें 2-2 चम्मच शक्कर और घी मिलाकर नित्य एक बार पीते रहने से मिरगी रोग में लाभ होता है।
टी.बी.- अनार का रस पीने से लाभ होता है। नित्य पियें।
पेशाब बन्द- होने पर एक गिलास अनार के रस में दो पिसी इलायची और आधा चम्मच सौंठ घोल कर पिलायें।
कैंसर — नये अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि अनार का रस कैंसर की वृद्धि और फैलाव को रोकने में प्रभावी ढंग से काम करता है। अनार उस प्रोटीन के असर को तेज कर देता है, जो कैंसरयुक्त कोशिकाओं के मारने की क्रिया को मरने से रोकता है। अनारसे स्टेट स्पेसिफिक एंटीजन ( पीएसए ) का सीरम लेवल घट जाता है, जिससे प्रोस्टेट कैंसर की वृद्धि होती है।
अनार का रस प्रोस्टेट, आँतों, फेफड़े, स्तन आदि के कैंसर को रोकने में प्रभावशाली है। अनार में सारे आम कैंसरों के खिलाफ लड़ने की क्षमता है।
त्वचा सौंदर्य- अनार का रस त्वचा पर लगाने से त्वचा सुन्दर, स्वस्थ और जवान बनी रहती है। अनार छीलकर दाने निकालकर, समान मात्रा में पपीता का गूदा मिलाकर बारीक पीसकर चेहरे पर लेप करके आधे घंटे बाद धोयें। अनार का सेवन नियमित करें और बढ़ती उम्र के प्रभावों से बचें।
सौंदर्यवर्धक- अनार के छिलकों को सुखाकर बारीक पाउडर बनाकर गुलाबजल के साथ मिलाकर उबटन की तरह लगाने से शरीर के दाग, चेहरे की झाँइयाँ भी नष्ट हो सकती हैं।
स्तन विकास एवं दृढ़ करना- 200 ग्राम तिल के तेल में अनार के पत्तों का रस एक किलो मिलाकर उबालें। उबालने पर जब तेल ही बचे तब ठण्डा करके छानकर बोतल में भर लें। नित्य सोते समय इस तेल से स्तनों की मालिश दबाव देकर करें। इसके साथ एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण ( पंसारी, अत्तार, आयुर्वेद दवा विक्रेता के यहाँ उपलब्ध) दूध से सुबह – शाम फंकी लें। स्तन सुदृढ़ एवं बड़े हो जायेंगे।
स्तनों का ढीलापन – ( 1 ) अनार के छिलके पीसकर रात को स्तनों पर लेप करके सोयें। प्रातः धोयें। कुछ सप्ताह यह प्रयोग करने से स्तनों का ढीलापन दूर होकर स्तन नव यौवना जैसे हो जायेंगे।
( 2 ) एक किलो अनार के ताजा हरे पत्ते पानी से धोकर साफ करके पीसकर उसकी चटनी को पतले कपड़े में डालकर रस निकालकर, जितना रस हो, उसका 1/3 भाग सरसों का तेल मिलाकर मंद आँच पर उबालें। उबलते हुए जब केवल तैलीय भाग ही रहे, तब छानकर रख लें। इस तेल को नित्य सोते समय स्तनों पर मालिश करने से ढीले स्तन कठोर होकर सुन्दर लगने लगते हैं। त्वचा व माँस का ढीलापन, झुर्रियाँ दूर हो जाती हैं।
शक्तिवर्धक – नित्य अनार खाना उत्तम स्वास्थ्य का खजाना है। यदि अनार खाना सम्भव नहीं हो तो अनार का शर्बत पियें। इससे स्मरण शक्ति बढ़ती है। शरीर बलिष्ठ रहता है। हृदय रोगों से बचाव होता है। भूख अच्छी लगती है। ज्वर, दस्त, टाइफाइड, यकृत, आमाशय, गले के रोगों में भी यह लाभकारी है।
अनार का शर्बत एक गिलास नित्य पीने से शरीर में शक्ति का संचार होता है। अनार का शर्बत स्वास्थ्यवर्धक, गर्मी की जलन मिटाने वाला, ज्वर के बाद की दुर्बलता दूर करता है।
गर्भावस्था की उल्टी- गर्भावस्था में अनार खायें, अनार का शर्बत पियें, उल्टियाँ होना बन्द हो जायेंगी। प्रातःकाल अनार का रस पीने से उल्टी नहीं होती।
श्वेत प्रदर ( Leucorrhoea ) — श्वेत प्रदर में अनार की 15 पत्तियों को 5 कालीमिर्च के साथ पीसकर आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार पीने से आराम होता है।
दाँत निकलना – बच्चे के हाथ में खेलने के लिए अनार के छिलके दिये रखें। बच्चा छिलकों को चबायेगा, मुँह में लेता रहेगा। इससे दाँत सरलता से निकल आते हैं।
जूँ – अनार के छिलके पीसकर एक बोतल में रख लें। इसको छः चम्मच पानी में गूंधकर लेप बनाकर बालों की जड़ों में लगायें। एक घण्टे बाद सिर धोयें। जुएँ मर जायेंगी। सावधानी रखें कि लगाते, धोते समय पानी आँखों में नहीं जाये।
टॉन्सिलाइटिस – टॉन्सिल्स बढ़ने पर अनार की पाँच पत्तियाँ जरा से नमक के साथ नित्य प्रातः खाली पेट चबाकर रस चूसते रहें, रस थूकें नहीं। ऐसा एक माह तल नित्य करें। टॉन्सिल्स में आशातीत लाभ होगा।
आँखें दुखना, नेत्र रोग — अनार की हरी पत्तियाँ पीसकर आँखों की पलकों पर व चारों ओर लेप करने से आँखें दुखना एवं अन्य सामान्य सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
हृदय का दर्द – अनार के रस में पिसी मिश्री मिलाकर नित्य पीने से या से हृदय का दर्द, जकड़न दूर होती है। अनार हृदय के लिए टॉनिक का काम करता है। नकसीर- नथुनों में अनार का रस डालने से नाक से रक्त आना बन्द हो जाता है। इससे पेट दर्द बन्द हो जाता है। सात दिन से अधिक रहने वाला ज्वर, ऐपेन्डीसाइटिस ( Appendicitis ) में अनार लाभदायक है।
गर्भस्राव – 100 ग्राम अनार के ताजा पत्ते पीसकर पानी में छानकर पिलाने और पत्तों का रस पेड़ पर लेप करने से गर्भस्राव बन्द हो जाता है, रुक जाता है। अत्यधिक मासिक स्राव – अनार के सूखे छिलके पीसकर छान लें। इसकी एक चम्मच की फंकी ठण्डे पानी से तीन बार लेने से रक्तस्राव बन्द हो जाता है। रक्तस्रावी बवासीर, रक्तस्राव हो, शरीर के किसी भाग में रक्त निकल रहा हो तो उसे रोकने में भी छिलकों का अच्छा प्रभाव होता है। अनार का रस भी लाभप्रद है। दाँतों से रक्तस्राव — अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक पीस लें। इससे नित्य दो बार मञ्जन करें। दाँतों से रक्तस्राव बन्द हो जायेगा तथा हिलते दाँत भी मजबूत हो जायेंगे।
अनार के सूखे पत्तों का मञ्जन बहुत गुणकारी है। इस मञ्जन से दाँतों का हिलना बंद हो जाता है। दाँत मजबूत होते हैं। इस मञ्जन को सुबह – शाम नियमित करने से मसूढ़ों से रक्त एवं पीप आना बंद हो जाता है।
मुँह की दुर्गन्ध, मुँह से पानी आता हो तो चार ग्राम अनार के पिसे हुए छिलकों की सुबह – शाम पानी से लें, छिलके उबालकर कुल्ले करें। इससे छाले भी ठीक हो जाते है।
दाँत हिलते हों तो अनार के पिसे छिलकों से नित्य दो बार मञ्जन करने से दाँत मजबूत हो जाते हैं।
ज्वर ( Fever ) ज्वर कैसा भी हो, अनार का सेवन लाभप्रद है।
खांसी ( 1 ) आठ भाग अनार का छिलका एक भाग सेंधे नमक में पानी डालकर गोलियाँ बना लें। एक – एक गोली तीन बार चूसने से खाँसी ठीक हो जाती है।
( 2 ) अनार का छिलका चूसने से या पानी में भिगोकर बच्चों को पिलाने से खाँसी में लाभ होता है। अनार के छिलके को दूध में उबालकर पीने से खाँसी खत्म होती है।
मूत्र की अधिकता – पाँच ग्राम अनार के छिलके की फंकी ताजा पानी से सुबह शाम लेने से अधिक मूत्र आना कम हो जाता है। पेशाब की जलन बन्द होती है। इसे सेवन करते समय चावल नहीं खाये।
स्वप्नदोष – अनार का पिसा हुआ छिलका पाँच – पाँच ग्राम सुबह – शाम पानी के साथ फंकी लें।
मोटापा— अनार रक्तवर्धक है, इससे त्वचा चिकनी बनती है। रक्त का संचार बढ़ता है। यह शरीर को मोटा करता है। अनार मूर्च्छा में लाभदायक, हृदय बल – कारक और खाँसी नष्ट करने वाला होता है। इसका शर्बत हृदय की जलन और बेचैनी, आमाशय की जलन, मूत्र की जलन, उल्टी, जी मिचलाना, खट्टी डकारें, घबराहट, प्यास आदि शिकायतों को दूर करता है। अनार का रस निकालकर पीने से शरीर की शक्ति बढ़ती है और रक्त की वृद्धि होती है। प्रतिदिन मीठा अनार खाने से पेट मुलायम रहता है तथा कामेन्द्रियों को बल मिलता है।
होम्योपैथी में अनार से बनी औषधि ग्रेनेटम ( Granatum ) काम में ली जाती है।
गंजापन — अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर हो जाता है। 250 ग्राम अनार के हरे पत्ते चटनी की तरह पीसकर, 250 ग्राम पानी में डालकर उबालें। उबलना आरम्भ होते ही 100 ग्राम सरसों का तेल इसमें डालकर उबलता हुआ रखें। सारा पानी जलकर जब केवल तेल ही बचे तब छानकर शीशी में भर लें। इस तेल की नित्य एक बार सिर में एक महीने तक मालिश करें गंजे स्थान पर बाल आ जायेंगे।
गर्मी नाशक- अनार गर्मी को दूर करता है। गर्मी के मौसम में अनार का शर्बत पीना चाहिए।
हिस्टीरिया, पागलपन – 15 ग्राम अनार के पत्ते, 15 ग्राम गुलाब के ताजे फूल, 500 ग्राम पानी में उबालें चौथाई पानी रहने पर छानकर 20 ग्राम देशी घी मिलाकर नित्य पियें। इससे हिस्टीरिया, पागलपन के दौरों में लाभ होता है।
घाव – अनार के छिलकों को पानी में उबालकर, छानकर उस पानी से घावों को धोने से घाव जल्दी भरते हैं। अनार के रस से भी घाव धो सकते हैं।
अनार के छिलकों को लहसुन के साथ पीसकर पेस्ट बना लें तथा शरीर पर खाज, खुजली, दाद आदि पर लगायें। इससे त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं। अनार के छिलकों को सुखाकर इसका महीन चूर्ण बना लें फिर इसे गुलाबजल के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट का लेप करने से त्वचा स्निग्ध, चमकदार व कांतिमय होती है। कोढ़ के घाव , दाद , बिच्छू , बर्र आदि के डंक पर अनार के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ होता है।
अरुचि – ( 1 ) कालीमिर्च आधा चम्मच, सेंका हुआ जीरा एक चम्मच, सेंकी हुई हींग चने की दाल के बराबर, सेंधा नमक स्वादानुसार, अनारदाना 70 ग्राम लेकर सबको पीस लें। यह स्वादिष्ट अनारदाने का चूर्ण बन जायेगा। इसके खाने से अरुचि नष्ट हो जाती है। मन प्रसन्न हो जाता है।
( 2 ) अनार के 100 ग्राम रस में थोड़ा सा सेंधा नमक और शहद मिलाकर दिन में दो बार पिया जाए तो भोजन के प्रति उत्पन्न अरुचि नष्ट हो जाती है। रोगी को अधिक भूख लगती है और पाचन क्रिया तीव्र होती है।
अपच – सुबह पूरा दस्त न आये और दस्त को रोका न जा सके, अपच के कारण रंग बदल – बदलकर दस्त आये तो अनार का सेवन करें। लाभ होगा।
कृमि – अनार का रस नित्य पीने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।
यकृत रोगों में अनार का रस लाभदायक है।
पेट के रोग – अनारदाना, सौंफ, धनिया और मिश्री- प्रत्येक 50-50 ग्राम मिलाकर चूर्ण कर लें। इसकी एक – एक चम्मच दिन में चार बार देने से खूनी दस्त, खूनी आंव में आराम मिलता है।
मेदा, तिल्ली और यकृत की कमजोरी, संग्रहणी, दस्त और कै , पेट दर्द अनार खाने से ठीक हो जाते हैं। यह कब्ज़ करता है। अनार खट्टा – मीठा होने से पाचनशक्ति बढ़ाता है, मूत्र लाता है। इससे भोजन के रस का निर्माण पर्याप्त मात्रा में होता है।
गुदाभ्रंश और गर्भाशय भ्रंश में- अनार के 100 ग्राम ताजे पत्तों को एक किलो पानी में उबालें। आधा पानी शेष रहने पर छानकर दिन में 3 बार इस पानी से गुदा धोने से गुदभ्रंश रोग दूर हो जाता है। गर्भाशय के बाहर निकल आने पर भी यह प्रयोग लाभदायक है। साथ ही रुणा को छाया में सुखाये अनार के पत्तों का कपड़छान चूर्ण 1-1 चम्मच प्रातः – सायं ताजे जल के साथ सेवन करना चाहिए।
गुदा ( काँच ) निकलना- गुदा धोकर, गुदा पर अनार के छिलके पीसकर लगायें या अनार के पिसे हुए छिलकों का पाउडर डाल दें। गुदा निकलना बन्द हो जायेगा।
शरीर में जलन, बार – बार प्यास लगना अनार खाने से बन्द हो जाता है।
पीलिया- ( 1 ) अनार के दानों पर मिश्री डालकर खायें या रस में मिश्री मिलाकर पियें। इसका नियमित सेवन करने से पीलिया में लाभ होगा।
( 2 ) मीठे अनार का शर्बत पीने से भी पीलिया में लाभ होता है।
दस्त– एक अनार पर चारों ओर मिट्टी का लेप करें और उसे भून लें। भूनने के बाद दाने निकालकर रस निकाल लें। इसमें शहद मिलाकर पियें। हर प्रकार के दस्त ठीक हो जायेंगे। दस्तों में अनार का रस पीना लाभदायक है।
बच्चों के अतिसार में अनार की छाल घिसकर पिलायें, बड़ों को अनार की छाल का काढ़ा बनाकर, उसमें लौंग और सोंठ डालकर दें।
रक्तस्रावी बवासीर – पिसे हुए अनार के 8 ग्राम छिलके ताजा पानी से नित्य तीन बार ले लाभ होगा।
बवासीर ओर दस्त जैसे रोगो के उपचार हेतु अनारदाना आवर उसमे दोगुनी मात्रा में गुड़ लेकर मिश्रण कर चूर्ण बनाकर दिन में तीन बार एक – एक चम्मच इस चूर्ण का सेवन लाभप्रद है ।
50 ग्राम अनारदाना पीसकर 100 ग्राम गुड़ में मिलाकर 1-1 चम्मच दिन में तीन बार लेने से बवासीर, अजीर्ण, दस्त ठीक हो जाते हैं।
दस्त, पेचिश – 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग, दोनों को पीसकर एक गिलास पानी में तेज उबालें, फिर छानकर आधा – आधा कप नित्य तीन बार पिये दस्त और पेचिश में लाभ होगा। जिन व्यक्तियों के पेट में आँव की शिकायत बनी रहती है या डिसेंटरी अथवा संग्रहणी के रोग की शिकायत रहती है, उन्हें इसका नियमित सेवन विशेष लाभकारी रखता है। अनार का रस पियें, पिसे छिलके आधा चम्मच, दो बार फंकी लें।
पेट दर्द- ( 1 ) अनार के दानों पर कालीमिर्च और नमक डालकर चूसे इससे पेट दर्द बन्द हो जाता है, प्रातः लेने से भूख लगती है। पाचनशक्ति बढ़ती है।
( 2 ) अनार के रस में कालीमिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द दूर हो जाता है।
भूख की कमी , भोजन का अच्छा न लगना, भोजन न पचना आदि रोगों में अनारदाना 100 ग्राम में कालीमिर्च 25 ग्राम, कलौंजी 25 ग्राम, जीरा 25 ग्राम, सेंधा नमक 25 ग्राम मिलाकर पीस लें। इस चूर्ण की दो चाय वाली चम्मच सुबह – शाम गर्म पानी के साथ फंकी लें।
100 ग्राम अनारदाना में दालचीनी, इलायची, तेजपत्ता सभी 50-50 ग्राम, मिश्री 100 ग्राम मिलाकर पीस लें। यह चूर्ण एक एक चम्मच की मात्रा में तीन बार पानी के साथ लेने से सीने में जलन, अरुचि, मन्दाग्नि, अपच, पेट फूलना आदि में लाभप्रद है।
अनारदाना 100 ग्राम, दालचीनी, इलायची, तेजपत्ता 20-20 ग्राम, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल सभी 40-40 ग्राम लेकर इसमें 250 ग्राम गुड़ मिलाकर चूर्ण बना लें। 1-1 चम्मच की मात्रा में यह चूर्ण सुबह – शाम खाने के बाद सेवन करने से, अरुचि, भूख की कमी, गले की खराश, अपच, कब्ज़, खाँसी आदि रोग नष्ट होते हैं।
अधिक प्यास लगने, जी मिचलाने पर अनार के रस में आधा नीबू निचोड़कर पियें।
सूखा अनारदाना पानी में भिगो दें। तीन घण्टे बाद इस जल में मिश्री मिलाकर थोड़ा थोड़ा कई बार पीने से उल्टी, जलन, अधिक प्यास आदि रोग नष्ट होते हैं। अनार के रस में नीबू तथा कालीमिर्च का पाउडर मिलाकर पीने से उल्टी आना, मिचलाना और चक्कर आना जैसे रोगों में लाभ मिलता है।
अनार (POMEGRANATE) के रामबाण उपचार