स्वप्न हर व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी आते हैं, कभी वे अच्छे होते है और शुभफलदायक होते हैं तो कभी वे बेहद खराब होते हैं और अशुभफलदायक होते हैं।
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अच्छे स्वप्न यानी शुभ फल दायक स्वप्न आते हैं तो हम प्रसन्न चित्त हो जाते हैं, लेकिन जब खराब स्वप्न आते हैं तो हमारा मन किसी अनिष्ट की आशंका से खिन्न हो जाता है, पर आप घबराये नहीं, अशुभफलदायक स्वप्न तो आपको सजग करते है, आप सावधान हो जाइये, अगर आप सजग हो जाते है और छोटे-बड़े उपाय अपना लेते है तो निश्चित तौर पर अशुभता का प्रभाव घट जाता है या फिर नहीं के बराबर रह जाता है, पर यह सब सम्भव होता है, ईश्वरीय कृपा से।
अब जानिये बुरे स्वप्न आने पर कौन से उपाये अपनाये जाए?, जिससे आपको ईश्वरीय कृपा से राहत मिल सके। अशुभ स्वप्न आने पर महामृत्युंजय का जप करना श्रेयस्कर रहता है। इसके लिए किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण से परामर्श कर महामृत्युंजय का जप करें तो उत्तम रहता है, ताकि जप में विधि-विधान का ध्यान रखा जा सके। इसके प्रभाव से अशुभता का नाश हो जाता है। संजीवनी विद्या का प्रयोग भी श्रेयस्कर माना जाता है। जौ का दान करना उत्तम माना जाता है। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ यदि अशुभ स्वप्न आने पर किया जाए तो निश्चित तौर अशुभता का नाश होता है। यह उपाय अपनाकर आप अशुभता का नाश कर सकते हैं।
अशुभता को दूर करने वाली सूर्य स्तुति
आदित्य: प्रथमं नाम, द्बितीयं तु दिवाकर:।
तृतीय भास्कर:प्रोक्तं, चतुर्थ च प्रभाकर।।
पंचम च सहस्त्रांशु:, षष्ठं चैव त्रिलोचन:।
सप्तमं हरिश्चश्च:, अष्ठमं च विभावसु।।
नवमं दिनकृत् प्रोक्तं, दशमं द्बादशात्मक:।
एकादश त्रयीमूर्तिर्द्बादशं सूर्य एवं च।।
द्बादर्शतानि नमामि प्रात: काले पठेन्नर:।
दुखस्वप्ननाशनं सद्य: सर्व सिद्धि प्रजापते।।
विधि-
प्रात:काल उठकर अपने इष्ट को प्रणाम करके उपरोक्त मंत्र के पाठ का सात बार जप करने से बुरे स्वप्न की अशुभता समाप्त हो जाती है।
अशुभता को दूर करने वाला स्वप्न दोष निवारण मंत्र
ऊॅँ नम: शिवं दुर्गां गणपतिं कार्तिकेयं दिनेश्वरमं्।
धर्म गंगां च तुलसीं राधां लक्ष्मीं सरस्वतीम्।।
नामान्येतानि भद्राणि जले स्नात्वा च यो जपेत।
वांछित च लभ्ोत सोअपि दु: स्वप्न शुभवान् भवेत।।
विधि-
प्रात: काल स्नान आदि क्रिया से निवृत्त होकर इस उपरोक्त मंत्र को ग्यारह बार पढ़ना चाहिए। कठिन से कठित अशुभ स्वप्न भी शुभता में परिवर्तित हो जाता है।
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