अस्थमा या दमा श्वास नली में सूजन वाला रोग है, जिसकी वजह से व्यक्ति को घबराहट होती है। व्यक्ति के सीने में जकड़न रहती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यकित को घरघराहट, खांसी और श्वास लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह रोग आम तौर पर आनुवांशिक तौर पर पीढ़ी दर पीढ़ी देखा जाता है, लेकिन पर्यावरण के प्रभाव से भी यह रोग हो सकता है।
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दमा या अस्थमा को नियंत्रित करने के कुछ प्रभावशाली उपाय आपको बताने जा रहे है, जिसका प्रयोग करके आप अस्थमा या दमा पर नियंत्रण कर सकते है।
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हम आपको इस लेख में यह बताने जा रहे हैं कि अस्थमा या दमा से पीड़ित होने पर आपको क्या करना चाहिए और क्या बिल्कुल नहीं करना चाहिए। अगर आप निम्न उल्लेखित सावधानियां बरतते हैं तो निश्चित तौर पर आपको बीमारी में राहत मिल सकती है।
अस्थमा या दमे को नियंत्रित क्या करें
अस्थमा या दमा को नियंत्रित के किये हवा का आवागमन शुद्ध रखें। पानी उबाल के पियें।अनुकूलता के अनुसार हलका व्यायाम, योगासन, प्राणायाम नियमित करें। इसमें हरि ॐ शांति …. का जप इसमें लाभदायक है।
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गोझरण और तुलसी अर्क, तुलसी पत्ते व प्राणदा टेबलेट आदि का सेवन बेहद लाभदायक होता है।
अस्थमा या दमा का दौरा पड़े तो जिस नथुने से श्वास चल रहा हो, तुरंत उसे बंद कर दूसरे नथुने से श्वास लीजिये। इससे दमे का प्रभाव कम होगा।
अस्थमा या दमे को नियंत्रित क्या न करें
तले हुए पदार्थ, दही-चावल, ज्यादा शीतल पदार्थ, खट्टी चीजें, मिठाई आदि व कफवर्धक पदार्थो के सेवन से बचना चाहिए।
थकानेवाले काम, अधिक व्यायाम, रुक्ष अन्न, धूल के कण, धूआँयुक्त वातावरण व मल-मूत्र को रोकना आदि से बचना चाहिए।
शराब, तम्बाकू, बीडी, सिगरेट का सेवन तथा परफ्यूम्स आदि का उपयोग से बचना चाहिए।
पंखे की सीधी हवा में न सोने से बचना चाहिए। एयर-कंडिशनर या कूलर भी दमा बढ़ाते हैं।