बद्ध पद्मासन से बहत्तर हजार नाड़ियां खुल जाती हैं।
बद्ध पद्मासन करने की विधि-
इस आसन में अपने दाहिने पैर का बायें पैर की जांघ पर रखिये और बाये पैर को दाहिने पैर की जांघ पर रखिये।
पैर रखते समय यह ध्यान रहे कि दोनों पैरों की एड़ियां पेट के नीचे के भाग से सटी रहें। इतना करने के बाद अपने दोनों हाथ पीछे ले जाए और अपने दाहिने हाथ से दाहिने पैर का अंगूठा और बाये हाथ से बाये पैर का अंगूठा पकड़े। फिर टोढ़ी को कंठ मूल यानी गले में लगायें। दृष्टि भृकुटि पर स्थित रखिये।
बद्ध पद्मासन के लाभ-
इस बद्ध पद्मासन के अभ्यास से शरीर की बहत्तर हजार नाड़ियां खुल जाती है। रक्त का भली प्रकार संचालन होने लगता है। नस-नाड़ियों में रूका हुआ जो जहरीला मद्दा है, वह नष्ट हो जाता है। रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है। इससे पेट सम्बन्धित अनेकनेक रोग जैसे पेट का फूलना, बदहजमी, पेट का दर्द, वायु विकार, कब्ज, खट्टी डकार, गैस बनना आदि दूर हो जाते है। इस आसन को कम से कम पांच मिनट से लगातार आधा घंटे कर सकते हैं। देर तक करने से अधिक लाभ होगा।
गर्भवती स्त्री इसे न करे, क्योंकि यह हितकर नहीं होगा। यह आसन शरीर को स्वस्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, बशर्तें इसे नियमित रूप से किया जाए। प्रात: काल ही इस आसन को करना श्रेयस्कर होता है।
प्रस्तुति – स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर (सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई)
नोट: स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।