देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में एक हैं। भगवती का बगलामुखी स्वरूप अत्यन्त दिव्य है, यह साधक पर शीघ्र प्रसन्न होने वाली देवी है। इनकी कृपा से मनुष्य का कल्याण ही होता है।
साधक को चाहिए कि सच्चे मन-वचन-कर्म से भगवती के बगलामुखी स्वरूप की पूजा-अर्चना करें। पूजन में पवित्रता का विश्ोष महत्व बताया गया है।
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पवित्र मन-वचन को धारण कर साधन को भगवती बगलामुखी के अर्चन में लगना चाहिए। जो साधक इन देवी का ध्यान-अर्चन और मंत्र जप करते है। इनके अर्चन और मंत्र का जप करने से शत्रुओं का स्तंभन होता हैं। विजय और धन-मान देने वाली भगवती बगलामुखी माता का ध्यान करने से जीव का कल्याण ही होता है। उसे दिव्य अनुभूतियां भी प्राप्त होती है।
श्री बगलामुखी जप मंत्र-
ऊॅँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं।
मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ऊॅँ स्वाहा।।
पीले आसन पर बैठकर पीले वस्त्र धारण करके हल्दी की माला से जप करें। मंत्र सिद्धि के लिए एक लाख मंत्र जप करें और अन्त में चम्पा के फूल से दस हजार मंत्र होम करें।
श्री बगलामुखी देवी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए ग्यारह माला मंत्र का प्रतिदिन जप करना उत्तम होता है। मनुष्यों को वश में करने के लिए मधु, घी, शक्कर और तिल से हवन करें।
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सभी दुखों के निवारण के लिए दूब यानी दुर्वा, गुरुच और लावा मिश्रित करके हवन करना चाहिए। इस तरह हवन करने से श्री बगलामुखी जी की कृपा से मनुष्य को सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। उसका कल्याण होता है।
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