बवासीर, दस्त और पीलिया के उपचार में सहायक होता है आलू बुखारा, अद्भुत गुण

0
1165

आलू बुखारा खाने में एक स्वादिष्ट फल है। यह सिर्फ खाने में ही नहीं स्वादिष्ट है, बल्कि इसके कई फायदे भी है। कई खतरनाक बीमारियों से यह हमारी रक्षा करता है, जैसे बवासीर में यह विश्ोष तौर पर प्रभावशाली माना जाता है। इसके नियमित सेवन से बवासीर में राहत मिलती है। यह कैसे प्रयोग में लाया जाए, इसके बारे में भी हम आपको इस लेख में बताने जा रहे है, इसके अलावा यह दस्त और पीलिया में भी असरकारक माना जाता है। यह फल अधिकतर ठंडे प्रदेश में होता है। खट्टा, मीठा, लाल, पीला आलू बुखारे का स्वाद लाजवाब है। यह खाने में स्वादिष्ट होता है। पीलिया में इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए, आइये जानते हैं, पीलिया होने पर 25० ग्राम मीठा पका हुआ आलू बुखारा खाते रहने से पीलापन एक सप्ताह में ही दूर हो जाता है। अगर आलू बुखारे का रस भी साथ में सेवन करें तो अतिशीघ्र लाभ प्राप्त होता है। दस्त की समस्या होने पर भी आलू बुखारा का प्रयोग अच्छा माना जाता है। दस्त के रोगियों को हर तीन तीन घंटे के पश्चात आलू बुखारे का रस 1०० ग्राम पिलाते रहने से दस्तों का आना रुक जाता है और बिगड़ा जिगर भी ठीक हो जाता है। नया खून बनने भी आलू बुखारा सहायक होता है। इसे आप एक महीने तक सेवन करें तो पेट के सारे रोग जड़ से समाप्त हो जाते हैं।

बवासीर में आलू बुखारा का प्रयोग, देता है राहत

बवासीर ऐसी समस्या है, जिसे न कहा जाए और न रहा ही जाए। यह समस्या अत्यन्त कष्टदायी मानी जाती है। बवासीर में हर रोज सुबह उठकर 25० ग्राम मीठा आलू बुखारे का सेवन करें। एक महीने तक सेवन करने से बवासीर रोग ठीक जो जाता है। यह बवासीर के उपचार में खासा प्रभावी माना जाता है, इससे रोगी को बहुत राहत महसूस होती है।

Advertisment
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here