भगवती दुर्गा के अनंत नाम हैं, अनंत रूप हैं, अनंत माया का विस्तार हैं। उनकी माया के प्रभाव को मनुष्य तो क्या, देवता भी नहीं समझ पाते हैं, जब-जब देव शक्तियां आसुरी शक्तियों से प्रताड़ित होती हैं, तो वह भगवती की शरण में आती हैं। भगवती दुर्गा शरणागत की रक्षा करती है, जो भी जीव प्रेम व भक्ति के साथ देवी का स्मरण व पूजन-अर्चन करता है। उसकी सहायता माता भगवती दुर्गा भवानी आवश्य करती है। कलयुग में भगवती भक्तों की रक्षा में अनेका-नेक रूप में धरती पर विचरण कर रही हैं। उनके अनेका-नेक पवित्र धाम भी हैं, जो प्राचीन भी है, बहुतेरें सिद्ध व शक्ति पीठ के रूप में जाने जाते हैं। इन सिद्ध व शक्तिपीठों में पूजन-अर्चन का पुण्य फल मनुष्य को मिलता है। खासकर अब जब कलयुग चल रहा हो, अधर्म अपने पाव फैला रहा हो, सिकुड़ रहा हो, तब अधर्म के बढ़ते प्रभाव के चलते जीव पूजन- अर्चन और धर्म-कर्म से दूर होता जा रहा है, जहां एक समय में धर्म को कर्म का अंग माना जाता था, अब धर्म को पृथक दृष्टि से देखा जाने लगा।
मसलन, पूर्व समय हमारी दिनचर्या की शुरुआत ही धर्म निष्ठ होकर होती थी, प्रातः उठने के साथ देव को नमन करने और धरती माता को प्रणाम किया जाता था, इसके साथ दैनिक क्रिया-कलाप होते थ्ो, जिनमें हमे धर्म संस्कृति के एकीकार रूप में मिलते थ्ो, लेकिन अब दिनचर्या ही बदल गई है, ऐसे में इन पावन स्थलों के दर्शन कर हम पुण्य प्राप्त कर सकते हैं और पापों को धो सकते हैं। हम आपको देवी के कुछ पावन स्थलों के बारे में बताने जा रहे है, इनमें कुछ शक्तिपीठ हैं, कुछ सिद्ध पीठ है। हालांकि शक्तिपीठ से सम्बन्धित कुछ लेख हमारी वेबसाइट में पूर्व से हैं, लेकिन अब नवीन लेख भी जल्द प्रस्तुत करेंगे। अभी इन पर अध्ययन चल रहा है।
भारत में भगवती आदि शक्ति के कुछ प्राचीन मंदिर
1- त्रिपुर मालिनी देवी-पंजाब प्रान्त का तीव्रता से विकास कर रहा जालंधर शहर त्रिपुर मालिनी देवी का प्रधान देवी पीठ हैं। मान्यता है कि यहां सती के स्तन गिरे थे।
2- शक्ति त्रिकोण-शक्ति त्रिकोण नाम से विख्यात भगवती का यह शक्तिपीठ काशी में है जहां तीन महादेवियां-महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती विराजमान हैं। इसके अलावा काशी में नवदुर्गाओं-शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्घिदात्री देवियों के नाम हैं। दूर-दूर से दर्शनार्थी आते हैं। काशी की अधिष्ठात्री देवी अन्नपूर्णा हैं। माता अन्नपूर्णा की कृपा से काशी में कभी कोई प्राणी भूखा नहीं सोया है और न तो सोयेगा। यहां चौंसठी काली, विशालाक्षी, वाराही, त्रिपुरा, मगंलागौरी, संकटा, पीतांबरों आद अनेक शक्तिपीठ हैं।
3- पठानकोट की देवी-त्रिगर्त पर्वतीय प्रदेश में द्वार पर स्थित आशापूर्णी पठानकोट की देवी की आराधना अनन्त काल से होती आ रही है।
4- जय भवानी-बंबई से पूना जाने के लिए बस एवम रेलमार्ग की सुविधा उपलब्ध है। बस द्वारा खण्डाला घाट नाम से विख्यात सुंदर पहाडिय़ों से होकर बसें जाती हैं जो लगभग चार से पांच घंटे में पूना पहुंचाती हैं। पूना के प्रतापगढ़ नामक स्थान में छत्रपतिशिवाजी की इष्टïदेवी भगवती भवानी का प्राचीन मंदिर हैं। शिवाजी की उग्र तपस्या से प्रसन्न होकर भवानी ने प्रकट होकर एक दिव्य तलवार प्रदान की जिससे शिवाजी विजय हुए।
5- ललिता शक्तिपीठ-अत्यन्त पावन नगर इलाहाबाद में देवी भगवती के दो शक्तिपीठ हैं। मीरापुर नामक स्थान में ललिता देवी शक्तिपीठ का बहुत महत्व है जो बारह शक्तिपीठों के संदर्भ में आता है। देवी का एक अन्य मंदिर जो इलाहाबाद के अलोपी बाग में स्थित है, अलोपेश्वरी देवी के मंदिर को भी कुछ लोग शक्तिपीठ मानते हैं।
6- सहस्त्र चण्डी-नागपुर में स्थित सहस्त्र चंडी तथा रुक्मिणीजी के दो प्रसिद्घ मंदिर हैं जहां दूर दूर से दर्शनार्थी आकर माता के चरणों में श्रद्घा से शीश झुकाते हैं और अपनी झोलियां खुशियों से भरकर वापस जाते हैं।
7- प्रधान शक्तिपीठ-दक्षेश्वर स्थल जहां पर देवी सती ने योगाग्नि द्वारा अपना शरीर भस्म किया था। देवी का यह शक्तिपीठ हरिद्वार में हैं।
8- ब्राह्मरांबा देवी-प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण ब्रहगिरी पर्वत पर ब्राहरांबा देवी का प्रसिद्घ शक्तिपीठ है।
9- माता जी– यह वह स्थान है जहां से नमक बनकर आता है। नमक कारखाने के निकट एक प्राचीन देवी का मंदिर है। जिन्हें माता जी कहते हैं।
10- विन्ध्याचल-विन्ध्यपर्वत पर स्थित दुर्गा जी का प्रसिद्घ शक्तिपीठ हैं जो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के अन्तर्गत हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले से 8 किलोमीटर दूर देवी के मंदिर हैं जहां नवरात्रों में दूर-दूर से दर्शनार्थी आते हैं।
11- भुवनेश्वर-यहां देवी पादहरा सरोवर के निकट एक सौ आठ योगिनियों के मंदिर हैं। यहां पर तांत्रिक जन योगिनीसिद्घ और शव साधना करते हैं।
12- माहेश्वरी देवी-बांदा जिले में माहेश्वरी देवी का प्राचीन मंदिर है जहां पर बड़े-बड़े उपासकों ने तपस्या की है। माहेश्वरी देवी की पूजा से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है।
13- मीनाक्षी देवी– मदुरा में ग्यारह मंजिल ऊंचे मीनाक्षी देवी का मंदिर दक्षिण भारत में है जिसकी मान्यता बहुत अधिक है मंदिर के द्वार पर अष्टïलक्ष्मियों की मूर्तियाँ हैं। मंदिर की छत पर शिव-पार्वती के जन्म, विवाह एवम तपस्या की कथाएं खुदी हुई हैं।
14- मथुरा– इस स्थान के प्रसिद्घ शक्तिपीठ महाविद्या का स्थान मथुरा है। वहां एक ऊंचे टीले पर प्राचीन मंदिर बना हुआ है।
15- भगवती कौशिकी -अल्मोड़ा नगर की पहाडिय़ों पर भगवती कौशिकी का दिव्य मंदिर है। अल्मोड़ा के काषाय पर्वत पर नगर से आठ किलो मीटर दूर कौशिकी देवी का स्थान है।
16- अर्बुदा देवी-अर्बुदा देवी शक्तिपीठ का वर्णन इसी पुस्तक में किया जा चुका है। 51 शक्तिपीठों में अर्बुदा देवी शक्तिपीठ हैं। जो राजस्थान में आबू पर्वत पर हैं।
17- सातमाता-ओंकारेश्वर के मंदिर से लगभग 3 मील पूर्व नर्मदा के तट पर प्रसिद्घ शक्तिपीठ हैं जो सातमाता नाम से विख्यात हैं। यहां पर देवी सात माताओं के रूप में विराजमान हैं उनके नाम-ब्राह्मïी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, बाराही, नारसिंही, ऐंद्री हैं।
18- कालीघाट-कलकत्ता में हावड़ा स्टेशन से पांच मील दूर काली घाट है जहां काली जी का प्रसिद्घ मंदिर है। मंदिर में त्रिनयनमाता, रक्ताम्बरा, मुण्डमालिनी और मुक्तकेशी देवी विराजमान हैं।
19- गुहेश्वरी देवी-नेपाल राज्य की अधिष्ठïानी गुहेश्वरी देवी का प्रसिद्घ मंदिर वागमती नदी के गुहेश्वरी घाट से एक मील दूरी पर स्थित है।
20- कामाक्षा देवी-गोहाटी से दो मील पश्चिम नीलगिरि और नीलकूट पर्वत पर देवी का प्रसिद्घ शक्तिपीठ है। कालिका पुराण के अनुसार इस स्थान पर सती की योनि गिरी थी। एक अंधेरी गुफा के अंदर योनि पीठ स्थित है। यहां की स्त्रियों के विषय में अनेक इन्द्रजालिक कथाएं प्रचलित हैं।
21- श्रीपद्मावती मंदिर-बाला जी तिरुपति मंदिर दक्षिण भारत में स्थित हैं जहां दूर-दूर से श्रद्घालु आते हैं, वहां से तीन मील दूर चिंतानूर नामक स्थान में श्री पद्मावती देवी का मंदिर है।
22- भगवती भवानी मंदिर– चटगाँव से चौबीस मील दूर सीताकुण्ड नामक तीर्थ है। सीताकुण्ड के निकट चन्द्रशेखर पर्वत पर भगवती भवानी का मंदिर है जो 51 शक्तिपीठों में से एक हैं।
23- कालिका मंदिर-चित्तौड़ के ऐतिहासिक दुर्ग के भीतर अत्यन्त प्राचीन भगवती कालिका का मंदिर है। इसी दुर्ग में तुलजा भवानी और अन्नपूर्णा देवी का भी मंदिर है।
24- अम्बा देवी-काठियावाड़ के जूनागढ़ में गिरनार पर्वत पर भगवती अम्बा देवी का प्रसिद्घ मंदिर है। छह हजार सीढिय़ों की चढ़ाई है।
25- क्षीर भवानी-श्री नगर से 15 मील उत्तर की ओर क्षीर भवानी अर्थात योगमाया देवी का मंदिर है। ज्येष्ठ शुक्ल अष्टïमी को यहां अत्यन्त विशाल मेला लगता है। लोग यहां पर हवन पूजन करते हैं। कहा जाता है कि क्षीर भवानी के मंडप के चारों ओर जो जल कुण्ड है उसका रंग बदलता रहता है।
26- पटेश्वरी देवी– देवी पाटन नाम से विख्यात स्थान पर पटेश्वरी देवी का भव्य मंदिर है जहां अवध और नेपाल के लाखों भक्त आते हैं।
27- गौरीशंकर मंदिर-जबलपुर से 12 मील दूर भेड़ा घाट नाम नर्मदा प्रपात हैं। निकट ही गौरीशंकर जी का मंदिर है यहीं पर 64 योगिनियों का स्थान है।
28- योगमाया-भारत की राजधानी दिल्ली में देवी भगवती के दो शक्तिपीठ हैं। प्रसिद्घ कुतुबमीनार के निकट देवी योगमाया का मंदिर है जो ऐतिहासिक राज पृथ्वीराज चौहान की ईष्टï देवी हैं।
29- बंगलामुखी देवी-श्री माता बंगलामुखी का प्रसिद्घ मंदिर पंजाब राज्य के तहसील नूरपुर के कोटला नामक स्थान में स्थित है तथा दूसरा मंदिर तहसील गोपीपुरा डेरा के बनखण्डी नामक स्थान में है।
30- द्वारिका-द्वारिका में श्री कृष्ण प्रिया रुक्मिणी और सत्यभामा जी का प्रसिद्घ मंदिर है।
31- चुनार-चुनार स्टेशन से तीन मील दक्षिण की ओर विन्ध्य पर्वत की खोंह में भगवती दुर्गा का स्थान हैं।
32- महालक्ष्मी-महाराष्ट्र प्रान्त के कोल्हापुर जिले में भगवती महालक्ष्मी की प्रसिद्घ मंदिर है।
33- त्रिपुर सुन्दरी-फर्रूखाबाद जिले के तिरबा नामक स्थान पर विशाल श्री यंत्र के ऊपर भगवती त्रिपुर सुन्दरी की मूर्ति बनी है। लोग इन्हें अन्नपूर्णा माता भी कहते हैं।
34- मुंबा देवी-मुंबई महानगर में स्थित मुम्बा देवी का दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मुंबा देवी की पूजा में बलि निषेध है। मैया के चरणों में जो प्राणी श्रद्घा एवम विश्वास से मस्तक नवाते हैं। भगवती की कृपा से उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मुंबई में ही देवी का एक अन्य प्रसिद्घ शक्तिपीठ है जिन्हें कालबा देवी कहते हैं।
35- मैहर देवी-मध्य प्रदेश के सतना जिले में भगवती मैहर देवी ऊंचे पर्वत पर विराजमान है जिन्हें शारदा देवी भी कहते हैं। यह भी एक सिद्घ पीठ हैं।
36- भेरूंडा देवी-मैसूर की पहाड़ी पर भगवती चामुण्डा देवी का मंदिर है जिन्हें भेरूंडा कहते हैं। चंडी उपासक यहां नवार्ण मंत्र की उपासना एवम साधना करके सफल होते हैं।
37- जनकपुर धाम-जनकपुर धाम इस समय नेपाल में है। इसी स्थान पर जनक नंदिनी सीता जी की उत्पत्ति हुई थी। यहां शक्ति ने सीता के रूप में उत्पन्न होकर संसार का कल्याण की थी।
38- अंबा देवी– काठियावाड़ प्रान्त के जूनागढ़ क्षेत्र के गिरनार पर्वत पर अंबा देवी का प्रसिद्घ मंदिर स्थित है। पर्वत की एक गुफा में काली जी की मूर्ति भी हैं। भगवती अंबा देवी की पूजा अर्चना करने वाले अनेक उपासक वहां रहते हैं।
39- पूर्णगिरी-अल्मोड़ा जिले से पीलीभीत होकर रेल लाइन टनकपुर तक जाती है। टनकपुर से 8-9 मील पर शारदा नदी के किनारे नेपाल राज्य की सरहद पर तीन हजार फीट ऊंचे पर्वत शिखर पर भगवती कालिका का मुख्य स्थान है। यह स्थान प्रसिद्घ शक्तिपीठों में है।
40- कुण्डिका देवी मंदिर-मद्रास (चेन्नई) महानगर के मिंट स्ट्रीट में माता कुण्डिका देवी का प्रख्यात मंदिर है। यहां स्त्रियां कंडे की आंच से मोटा चावल पकाकर देवी का भोग लगाती हैं। ऐसी प्रथा है। देवी शक्ति में मद्रासियों की बड़ी श्रद्घा है।
41- तारा देवी– शिमला में तारा देवी नामक स्थान के पास तारा देवी का प्राचीन मंदिर है। यहां पर दूर-दूर से दर्शनार्थी आते हैं। श्री तारा देवी की महिमा के विषय में अनेक दन्त कथाएं हैं जो माता की महिमा का वर्णन करते हैं।
42- कामाख्या देवी– आसाम राज्य में ब्रह्मïपुत्र नदी के तट पर गोहाटी 8-9 किलोमीटर दूर स्थित कामाख्या देवी की बहुत मान्यता है। यहां देवी भगवती की कोख गिरी थी, ऐसी मान्यता है।
43- शाकुम्भरी देवी– उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले से 40-50 किलोमीटर दूर शिवालित पर्वत पर देवी का स्थान है। देवी मंदिर के दांयी ओर भ्रामरी तथा बांयी ओर शताक्षी देवी हैं जिन्हें शीतला माता कहते है।
44- अन्नपूर्णा देवी का मंदिर-अन्नधन से भण्डार भरने वाली देवी अन्नपूर्णा का भव्य मंदिर उत्तर प्रदेश प्रान्त के पवित्र पावनी नगरी वाराणसी में स्थित हैं
45- नन्दा देवी– नन्दा देवी का मंदिर नन्दापर्वत पर है।
46- दधिमाथि देवी- दधिमाथि देवी का भव्य मंदिर राजस्थान के नागौर नामक स्थान पर स्थित है।
47-अर्बुदा देवी-राजस्थान के प्रसिद्घ आबूपर्वत पर देवी का मंदिर है।
48- हरिसिद्घि देवी- मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में हर सिद्घि देवी का मंदिर है। ऐसी मान्यता हैकि देवी की कृपा से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
49- क्षेमरी देवी– मध्य प्रदेश में कन्नौज नामक स्थान पर स्थित है।
50- भुवनेश्वरी माता– सौराष्ट्र में गोण्डल नामक स्थान पर देवी का अति सुन्दर मंदिर है।
51- पार्वती देवी का मंदिर-दक्षिण में कन्याकुवारी के तट पर भगवती पार्वती का विशाल मंदिर है।
53- उकिनी देवी– उत्तर प्रदेश के नैनीताल जिले के काशीपुर नामक स्थान पर देवी का मंदिर है।
54- महालक्ष्मी देवी– महाराष्ट्र के कोल्हपुर शहर में भगवती महालक्ष्मी का भव्य मंदिर है।
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