भगवान शंकर अनंत और अविनाशी हैं। उनकी महिमा का गान धर्म शास्त्रों में किया गया है। पूर्ण श्रद्धा व भक्तिभाव से भगवान शिव की अराधना-पूजन व अर्चन किया जाए तो वह भक्त की अभिलाषा की आवश्य पूर्ण करते हैं। उनकी कृपा भक्त को सहज ही प्राप्त हो जाती है। भगवान शिव का पूजन-अर्चन आमतौर पर शिवलिंग के स्वरूप में किया जाता है।
शिवलिंग पर पुष्प, जल, दूध, दही व अन्य धर्म संगत वस्तुओं का अर्पण किया जाता है। उनका पूजन-अर्चन करते हैं, जिससे मनुष्य को अर्थ-धर्म-काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है। सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, लेकिन आज हम आपको भगवान शिव के अन्य विग्रहों के पूजन-अर्चन से सम्बन्धित जानकारी देने जा रहे हैं, जिनके पूजन अर्चन से आपको कौन सी शुभता प्राप्त होती है, इसका उल्लेख श्री लिंग पुराण में वर्णन किया गया है।
इसमें यह भी बताया गया है कि किस स्वरूप या विग्रह के पूजन का क्या फल प्राप्त होता है, तो आइये, जानते हैं, श्रीलिग पुराण में वर्णित विग्रह पूजन के संदर्भ में-
1- भोलेनाथ की जिस मूर्ति में भगवान शिव दैत्य निकुंभ की पीठ पर बैठे हुए हों, दाएं पैर को उसकी पीठ पर रखे और जिनके बाईं ओर पार्वती हों। ऐसी मूर्ति विग्रह की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है।
2- कार्तिकेय के साथ भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य की सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। मनुष्य को सुख-सुविधा की सभी वस्तुएं प्राप्त होती हैं, सुख मिलता है।
3- जो मनुष्य माता पार्वती और भगवान शिव की बैल पर बैठी हुई मूर्ति की पूजा करता है, उसकी संतान पाने की इच्छा पूरी होती है। सन्तति सम्बन्धित उनका मनोरथ सिद्ध होता है। उनकी इस अभिलाषा की पूर्ति स्वयं भोलेनाथ व माता पार्वती करती हैं।
4- जिस मूर्ति में भगवान शिव एक पैर, चार हाथ और तीन नेत्रों वाले और हाथ में त्रिशूल लिए हुए हों। जिनके उत्तर दिशा की ओर भगवान विष्णु जी और दक्षिण दिशा की ओर भगवान ब्रह्मा जी की मूर्ति हो। ऐसी प्रतिमा की पूजा करने से मनुष्य सभी बीमारियों से मुक्त रहता है और उसे अच्छी सेहत मिलती है। स्वास्थ्य लाभ के लिए भगवान भोलेनाथ के इस स्वरूप का पूजन-अर्चन श्रेष्ठ रहता है।
5- भगवान शिव की तीन पैरों, सात हाथों और दो सिरों वाली मूर्ति जिसमें भगवान शिव अग्निस्वरूप में हों, ऐसी मूर्ति की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य को अन्न की प्राप्ति होती है। धन-धान्य का अभाव सदैव-सदैव के लिए नष्ट हो जाता है।
5- भगवान भोलेनाथ शिव की अर्द्धनारीश्वर मूर्ति की पूजा करने से अच्छी पत्नी और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है। पारिवार में सुख व शांति की कामना के लिए भगवान के इस विग्रह का पूजना श्रेष्ठ रहता है।
6- जो मनुष्य भगवान शिव की उपदेश देने वाली स्थिति में बैठे भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करता है, उसे विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान भोलेनाथ का यह स्वरूप ज्ञान प्राप्ति की दृष्टि से परम कल्याणकारी है।
7- नन्दी और माता पार्वती के साथ सभी गणों से घिरे हुए भगवान भोलेनाथ शिव की ऐसी मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य को मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। संसार में कीर्ति बढ़ती जाती है।
8- माता पार्वती सहित नृत्य करते हुए, हजारों भुजाओं वाली भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य जीवन के सभी सुखों का लाभ लेता है। सभी प्रकार के सुख भक्त को सहजता से प्राप्त हो जाते हैं।
9- चार हाथों और तीन नेत्रों वाली, गले में सांप और हाथ में कपाल धारण किए हुए, भगवान शिव की सफेद रंग की मूर्ति की पूजा करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
1०- काले रंग की, लाल रंग के तीन नेत्रों वाली, चंद्रमा को गले में आभूषण की तरह धारण किए हुए, हाथ में गदा और कपाल लिए हुए शिव मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य की सभी परेशानियों खत्म हो जाती है। रुके हुए काम पूरे हो जाते है।
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11- ध्यान की स्थिति में बैठे हुए, शरीर पर भस्म लगाए हुए भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य के समस्त दोषों का नाश होता है।
12- दैत्य जलंधर का विनाश करते हुए, सुदर्शन चक्र धारण किए भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से शत्रुओं का भय खत्म होता है। मनुष्य निर्भीक हो जाता है।
13- जिस विग्रह में जटा में गंगा और सिर पर चंद्रमा को धारण किए हुए, बाएं ओर गोद में माता पार्वती को बैठाए हुए और पुत्र कार्तिकेय और गणेश के साथ स्थित भगवान शिव की ऐसी मूर्ति की पूजा करने से घर-परिवार के झगड़े खत्म होते है और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है। पारिवारिक खुशहाली के भगवान के इस विग्रह का पूजन-अर्चन करना चाहिए।
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14- जिस विग्रह में महादेव हाथ में धनुष-बाण लिए हुए, रथ पर बैठे हुए भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य को जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। भगवान का यह विग्रह पापों का शमन करने वाला है। जो भी भगवान के इस रूप की पूर्ण भक्तिभाव से पूजा अर्चना करता है, उसके समस्त पापों का शमन हो जाता है।