भूत-प्रेत-डाकिनी- राक्षस व ब्रह्म राक्षस को दूर करने के साधारण उपाय हम बताते हैं।
1- हनुमान जी के सिर पर लगा सिंदूर, एक लाल मिर्च, एक लोहे की कील और थोड़े से उडद के साबुत दाने सफेद वस्त्र में बांध्ो। इसके ऊपर काला धागा लपेटकर पालने के ऊपर बांध दें। इससे बाल को पिशाच बाधा नहीं होगी और किसी की नजर भी नहीं लगेगी।
2- जिस समय सूर्य पुष्य नक्षत्र में हो, उस समय सफेद घुंघची की जड़ को लाकर बालक के गले में बांध देने से डाकिनी आदि का भय दूर हो जाता है।
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3- जावित्री और सफेद अपराजिता के पत्ते के दस का नस्य लेने से डाकिनी-शाकिनी आदि की बाधा दूर हो जाती है। यह क्रिया शनिवार व मंगलवार को ही करें।
4- अश्विनी नक्षत्र में घोड़े के खुर का नख लेकर रख लें। उस नख को अग्नि में डालकर धूनी देने से भूत-प्रेत भाग जाते हैं।
5- बेल की जड़, देवदारु, बबूल और प्रिचंगु इन सबको एक साथ पीसकर धूप देने से ग्रह, भूत-पे्रत, पिशाच, राक्षस, ब्रह्मराक्षस आदि की बाधा दूर हो जाती है।
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6- तुलसी की पत्ते व काली मिर्च केदाने आठ-आठ की संख्या में और सहदेवी की जड़ रविवार के दिन पवित्र होकर लाएं और इन तीनों को कपड़े में करके रोगी के गले में धारण करा दें। इससे ऊपर की प्रेतबाधा आवश्य शांत होगी।
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