बिना अर्थ जाने न करें मंत्रोच्चार, लाभकारी है या नही: आज के दौर में जीवन के मूल से दूर होते जा रहे हैं, क्या करना है, क्यों करना है और किस लिए करना या कर रहे हैं। इस पर विचार तक करने की जरूरत तक महसूस नहीं करते है। हर कार्य को कर देते हैं, विचारते तक नहीं किया जाता है कि सही किया या गलत। किसी ने अमुक मंत्र या गं्रथ के पठन-श्रवण से लाभ होगा तो लग गए मंत्र का जप या श्रवण करने। मंत्र का भावर्थ क्या है, यह जानने व समझने की प्रयास तक नहीं करते। आज इस लेख में हम इस विषय के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं। चर्चा का केंद्रबिंदु है, भाव जानकर मंत्रोच्चार करे या बिना भाव जाने भी मंत्र करना उचित है या अनुचित। रामचरित्र मानस या गीता के अर्थ पढ़ना अधिक लाभकारी है या उसके श्लोक को पढ़ना अधिक लाभकारी है ।अर्थ जाने बिना कुछ भी पढ़ना व्यर्थ है । बहुत से लोग अर्थ जाने बिना संस्कृत के मंत्रों का पाठ या जप करते हैं वह केवल पशु की पीठ पर लदे बोझ के समान है । इस विषय में महर्षि यास्क ने निरुक्त में लिखा है –
स्थाणुरयं भारहार: किलाभूदधीत्य वेदं न विजानाति अर्थम् ।
भावार्थ – जो वेद आदि ग्रंथों को अर्थ जाने बिना पढ़ता है, वह ऐसा ही है जैसा डाली, पत्ते,फल,फूल से लदा वृक्ष और पीठ पर धान्य आदि का बोझ उठाए हुए पशु । न फल फूल का लाभ वृक्ष को होता है न ही पीठ पर लदे अनाज का लाभ पशु को होता है । वे केवल भार ढोने वाले हैं । अतः जो भी पढ़ें या जपें उसका अर्थ पता होना चाहिए ।
गं्रथ पुण्य अर्जन के लिए नहीं अपितु ज्ञान वर्धन के लिए पढ़ें । इनकी शिक्षाओं को आचरण में उतारने के लिए पढ़ें और यह तभी संभव होगा जब हम उनका अर्थ जानेंगे । सारी बात सार यह है कि बिना भावार्थ जाने मंत्रोच्चार से पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं हो सकती है। इसलिए भावार्थ जानकर मंत्र या ग्रंथ का पठन या श्रवण करना चाहिए। किसी भी ग्रंथ का पठन करें, लेकिन इसके पठन के पीछे आपका लक्ष्य ज्ञान प्राप्ति होना चाहिए। न कि मात्र लाभ या पुण्य प्राप्ति। अगर मात्र पुण्य प्राप्ति के लिए पाठ या श्रवण करेंगे तो आपको उसका पूर्णफल नहीं प्राप्ति होगा, इसलिए अर्थ जानकर पूरी श्रद्धा व मनोयोग से पठन, जप या श्रवण करेंगे तो आपको निश्चित तौर पर पूर्ण फल की प्राप्ति होगी। इसमें किंचित मात्र का संदेह करने की आवश्यकता नहीं है। महत्वपूर्ण पहलू यह कि आपको पूर्ण श्रद्धा, समपर्ण व एकाग्रता से मंत्र जप करना चाहिए, तभी आपका कल्याण संभव है।
Do not chant without knowing the meaning, is it beneficial or not
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