पंच सरोवर में है बिंदु सरोवर ( सिद्धपुर ): मातृश्राद्ध के लिए प्रसिद्ध, मातृ हन्ता के पाप से मुक्त होने को भगवान परशुराम ने यहां किया कर्मकांड

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bindu-sarovar-siddhapur-maatrshraaddh-ke-lie-prasiddh-maatr-hanta-ke-paap-se-mukt-hone-ke-parashuraam-ne-yahaan-kiya-karmakaandपंचसरोवरों में सुप्रसिद्ध बिंदुसरोवर गुजरात में मेहसाणा के पास सिद्धपुर स्टेशन के नजदीक है। इस सरोवर के निकट से ही सरस्वती नदी बहती है। इस तीर्थ को मातृ गया भी कहा जाता है तथा प्राचीन नाम श्रीस्थल है। यह स्थल प्राचीन क्षेत्र काम्यक वन में स्थित है। पौराणिक काल में भगवान विष्णु ने कपिल मुनि के रूप में अवतार लिया था। उनकी माता का नाम देवहुति और पिता का कर्दम था। एक समय ऋषि कर्दम तपस्या के लिए वन में चले गए तो देवहुति काफी दुखी हो गई। ऐसे में पुत्र कपिल मुनि ने सांख्य दर्शन की विवेचना करते हुए उनका ध्यान भगवान विष्णु में केन्द्रित किया। ऐसे में श्रीहरी में ध्यान लगाते हुए माता देवहुति देवलोकगमन कर गई।

बिंदु सरोवर ( सिद्धपुर )

मान्यता है कि बिंदु सरोवर के तट पर माता के देहावसान के पश्चात कपिल मुनि ने उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किया था। इसके बाद से यह स्थान मातृ मोक्ष स्थल के रूप में प्रसिद्ध हुआ। कपिल मुनि ने कार्तिक महीने में यह अनुष्ठान किया था, इसलिए हर साल यहाँ पर कार्तिक महीने में विशाल मेले का आयोजन होता है और दूरदराज से लोग अपनी मां का श्राद्ध करने के लिए आते हैं। एक मान्यता यह भी है कि भगवान परशुराम ने भी अपनी माता का श्राद्ध सिद्धपुर में बिंदु सरोवर (Bindu Sarovar) के तट पर किया था। मातृ हन्ता के पाप से मुक्त होने के ऋषि परशुराम ने यहां पर कर्मकांड किया था। सिद्धुपुर में एक पीपल का पवित्र वृक्ष है, जिसको मोक्ष पीपल कहा जाता है और मोक्ष पीपल पर पुत्र माँ की मोक्ष के लिए प्रार्थना करते है।

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तीर्थ का महत्त्व

जिस प्रकार पितृश्राद्ध के लिए गया धाम का महत्त्व है, वैसे ही मातृश्राद्ध के लिए सिद्धपुर प्रसिद्ध है। इसका पुराना नाम श्रीस्थल भी है। ऐसी मान्यता है कि यहां शुद्ध मन से जो भी कामना की जाती है, पूजा – अर्चना के उपरांत उसकी सिद्धि हो जाती है।

धार्मिक कथा

ऐसी कथा है कि युगों पहले यहां सागर था तथा यहीं समुद्र – मंथन हुआ था। यहीं लक्ष्मीजी प्रकट हुई थीं, जिसकी वजह से इसे श्रीस्थल भी कहा जाता है। यहां से बहने वाली पवित्र नदी सरस्वती के तट पर महर्षि कर्दम का आश्रम था। कर्दम ने घोर तपस्या की थी, जिससे विष्णु भगवान प्रसन्न हुए और अपने भक्त की भक्तिभावना से स्वयं भावविभोर हो गए। ऐसी स्थिति में नारायण के नेत्र सजल हुए और कुछ बूंदें धरती पर गिरीं। यही स्थान बिंदुसरोवर तीर्थ बन गया। इसी आश्रम में मनु ने अपनी दिव्य कन्या देवहूति को कर्दम की सेवा के लिए अर्पित की, जिससे मुनि कपिल का जन्म हुआ था। माता देवहूति की सेवा करने तथा कपिल का उपदेश सुनने के लिए ब्रह्मा ने अपनी पुत्री अल्पा को भेजा था। परमज्ञान का उपदेश सुनकर अल्पा द्रवित हो गई। उसी स्थान पर अब यह अल्पा  सरोवर विद्यमान है।

मुख्य तीर्थ: बिदुसरोवर नामक प्राचीन सरोवर सरस्वती नदी के तट से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सरस्वती नदी का संगम किसी सागर से नहीं होता है, इसकी धारा कच्छ को मरुभूमि में लुप्त हो जाती है। अतएव सरस्वती नदी को कुमारी नदी मानते हैं। यात्रीगण पहले सरस्वती नदी में स्नान करते हैं फिर बिंदुसरोवर की और प्रस्थान करते हैं। यहां से बिंदुसरोवर की ओर जाते हुए गोविंदजी और माधवजी के प्राचीन मंदिरों के दर्शन होते हैं।

तीर्थस्थल का विवरण

  • पंच सरोवर में है बिंदु सरोवर: मुख्य तालाब बिंदुसरोवर करीब 40 फीट चौड़ा एक कुंड है, जिसके चारों ओर पक्के बांध बने हैं। बिंदुसरोवर में स्नान करने के बाद यहां मातृश्राद्ध करते हैं।

  • अल्पा सरोवर: बिंदुसरोवर पास ही एक दूसरा सरोवर है जिसे अल्पा सरोवर कहते हैं। विंदुसरोवर में श्राद्ध करके पिंड का विसर्जन अल्पा सरोवर में करते हैं . यही परंपरा है।
  • अन्य मंदिर: बिंदुसरोवर के दक्षिण की ओर कई मंदिर हैं, जिनमें महर्षि कर्दम माता देवहूति महर्षि कपिल तथा गदाधर भगवान की प्रतिमाएं स्थापित हैं। दूसरी ओर शेषशायी भगवान नारायण और लक्ष्मी राम – लक्ष्मण सीता तथा सिद्धेश्वर महादेव के मंदिर हैं। यहां पर श्री वल्लभाचार्य महाप्रभु का मठ भी है।
  • अन्य दर्शनीय स्थल: बिंदुसरोवर के अलावा सिद्धपुर के पास अनेक दर्शनीय पूजा स्थल हैं जिनमें ज्ञानवापी रुद्रमहालय रणछोड़जी का मंदिर नीलकंठेश्वर , राधाकृष्ण मंदिर, अंबा माता तथा कनकेश्वरी उल्लेखनीय हैं।

आस – पास के दर्शनीय स्थल: बिंदु सरोवर के दर्शन व श्राद्ध आदि संपन्न करके यात्री पास के कुछ महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों का दर्शन कर सकते हैं-

  • अंबा देवी मंदिर: बिंदु सरोवर से आबू रोड 19 कोलोमीटर है और आबू रोड से अंबा देवी मंदिर 24 किलोमीटर है। यह शक्तिपीठ है और यहां माता का विशाल मंदिर है, जो दर्शनीय है। नगर में शक्तिपीठ के अतिरिक्त अनेक दर्शनीय स्थल हैं ।
  • माउंट आबू स्थल: आबू रोड से माउंट आबू मात्र अट्ठाइस किलोमीटर दूर है। यह एक दर्शनीय सुंदर पर्यटन स्थल है और इसके अतिरिक्त इसके आस – पास अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिसमें एक शक्तिपीठ अर्बुजा देवी का मंदिर है।

यात्रा मार्ग

दिल्ली से अहमदाबाद जाने वाली मुख्य रेल लाइन पर मेहसाणा तथा आबूरोड के बीच सिद्धपुर स्टेशन है|  यहीं से दो किलोमीटर पर बिंदुसरोवर तथा सरस्वती नदी है।

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