बीजेपी हारी तो क्यों हारी?

0
38

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में भाजपा की उत्तर प्रदेश में सीट कम होने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब एक्शन में है। चुनाव में हार क्यों हुई? इसके क्या-क्या कारण रहे?, इसके लिए मुख्यमंत्री ने विधानसभा स्तर पर समीक्षाएं तेज कर दी है, ताकि इस बार जो चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर जो चूक हुई है ,उसे दोहराया न जा सके।

विश्वसनीय सूत्रों का मानना है कि हार की प्रमुख वजह भारतीय जनता पार्टी के नेताओं  की निष्क्रियता रही। अधिकांश विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की जीत को लेकर आश्वस्त थे या फिर उदासीन थे कि जनसंपर्क अभियान गिने चुने संसदीय क्षेत्र में ही चलाया गया। अधिकांश संसदीय क्षेत्र में वोट मांगने की जहमत भी पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से नहीं की गई। इसके अलावा भी तमाम ऐसे मुद्दे रहे जिनकी वजह से भाजपा के मतदाताओं ने मतदान प्रक्रिया से दूरी बनाए रखी। यही हाल अयोध्या का भी था जहां पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव हार चुकी है।

Advertisment

प्रत्याशियों के चैन को लेकर भी पार्टी में आक्रोश था। इमेज सब बातों का असर यूपी के चुनाव में नजर आया है। चुनाव समाप्त होने के बाद अब पार्टी के नेताओं के साथ पुलिस और प्रशासन के टकराव के मुद्दे पर भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीधे कमान अपने हाथ में ले चुके हैं. ऐसे मामलों को वे खुद संभालेंगे. हनुमानगढ़ी के महंत और बीजेपी के प्रबल समर्थक राजू दास और भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी के मामले में सीएम योगी खुद ही दोनों से बात की है. दोनों का पुलिस प्रशासन से टकराव हुआ था. ऐसे में अफसरों के लिए यह सीधा संदेश है कि भाजपा नेताओं के साथ अभद्र व्यवहार पर मुख्यमंत्री अब बहुत संजीदा हो चुके हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद लगातार यह सवाल उठाया जाता रहा है कि उत्तर प्रदेश में नेताओं और कार्यकर्ताओं की बात अधिकारियों ने नहीं सुनी. अधिकारियों ने नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमकर उत्पीड़न किया था. जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव के दौरान एकजुट नहीं हुए.।

परिणाम यह हुआ कि कई सीट पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पर भारी पड़ी और बीजेपी को 2019 के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनाव में करीब आधी सीटें प्राप्त हुईं. चुनाव के बाद भाजपा की जो समीक्षा चल रही है, उसमें यह प्रमुख बिंदु सामने आया है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है. नतीजा यह हुआ है कि अब मुख्यमंत्री अधिक लोगों से मुलाकात कर रहे हैं.

अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी के प्रबल समर्थक हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास का जब जिलाधिकारी से विवाद हुआ तो इस प्रकरण के दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजू दास से मुलाकात की. इसके बाद यह प्रकरण शांत हो गया.

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here