बौद्ध प्रार्थना में क्या है प्रतिज्ञा

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बौद्ध धर्म में जो तत्व बोधक प्रार्थना है, आज हम आपको उससे अवगत कराने वाले हैं, जिस प्रार्थना को बौद्ध धर्म के अनुयायी करते हैं।

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यह प्रार्थना हिंसा से दूर रहने की प्रतिज्ञा है, मिथ्याचरण से दूर रहने की प्रतिज्ञा है। असत्य वचनों से दूर रहने की प्रतिज्ञा है। मादक पदार्थों से दूर रहने की प्रतिज्ञा है। आइये, जानते हैं कि बौद्ध धर्म की वह प्रार्थना क्या है-

नमो तस्य भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।

नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।

नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।

बुद्ध सरणं गच्छामि। धम्म सरणं गच्छामि।

संघं सरणं गच्छामि।

दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि।

दुतियम्पि धमं सरणं गच्छामि।

दुतियम्पि संघं सरणं गच्छामि।

ततीयम्यि बुद्धं सरणं गच्छामि।

ततीयम्यि धमं सरणं गच्छामि।

ततीयम्पि संघं सरणं गच्छामि।

पाणातिपाता बेरमणी सिक्खापदम् समादियामि।

अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदम् समादियामि।

कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदम् समादियामि।

मुसावादा वेरमणी सिक्खापदम् समादियामि।

सुरामेरयमज्जापमादट्ठाना बेरमणी सिक्खापदम् समादियामि।

बौद्ध प्रार्थना का भावार्थ-

पूर्णप्रज्ञ, अर्हन् , भगवान् ( बुद्ध ) – को नमस्कार है । पूर्णप्रज्ञ , अर्हन् , भगवान् ( बुद्ध ) – को नमस्कार है । पूर्णप्रज्ञ , अर्हन् , भगवान् ( बुद्ध ) – को नमस्कार है ।

मैं बुद्ध की शरणमें जाता हूँ । द्वितीय बार मैं बुद्ध के शरणापन्न होता हूँ , धर्मकी शरण में जाता हूँ , संघ की शरणमें जाता हूँ । तीसरी बार मैं बुद्ध के शरणापन्न होता हूँ , धर्म की शरणमें जाता हूँ, संघ की शरणमें जाता हूँ । मैं जीव की हिंसा न करनेकी प्रतिज्ञा करता हूँ। मैं उस वस्तु के न लेनेकी प्रतिज्ञा करता हूँ, जो मुझे न दी गयी हो। भोगों में मिथ्याचरण न करनेकी मैं प्रतिज्ञा करता हूँ। असत्य वचन से बचनेकी मैं प्रतिज्ञा करता हूँ । मैं सुरा मद्यादि मादक वस्तुओंसे बचनेकी प्रतिज्ञा करता हूँ।

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