कलयुग में मनुष्यों का चरित्र और आचरण धीरे-धीरे अधोगति की ओर जाएगा। वे धर्म से दूर हटकर अधर्म की ओर आकर्षित होंगे।
चरित्र:
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- काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह और मत्सर जैसे विकारों का प्रभाव बढ़ेगा।
- ईर्ष्या, द्वेष, और अहंकार जैसी भावनाएं आम हो जाएंगी।
- सत्य, अहिंसा, और क्षमा जैसे गुणों का ह्रास होगा।
- आत्म-केंद्रित और भौतिकवादी सोच बढ़ेगी।
आचरण:
- अनैतिक और अन्यायपूर्ण कार्यों में वृद्धि होगी।
- हिंसा, अपराध, और भ्रष्टाचार आम हो जाएगा।
- परिवार और समाज में बंधन कमजोर होंगे।
- मानवता और प्रेम का भाव कम होगा।
धर्म से विमुखता:
- धार्मिक कर्मकांडों में कमी आएगी।
- आडंबर और दिखावा बढ़ेगा।
- धर्म के सच्चे अर्थ को भूल जाएंगे।
- अंधविश्वास और कर्मकांडों में फंस जाएंगे।
समाज का स्वरूप:
- अराजकता और अव्यवस्था बढ़ेगी।
- असमानता और भेदभाव बढ़ेगा।
- नैतिक मूल्यों का ह्रास होगा।
- समाज में अविश्वास का माहौल होगा।
धर्म का स्थान:
- धर्म का स्थान राजनीति और अर्थव्यवस्था से पीछे होगा।
- धर्म का उपयोग व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए होगा।
- धार्मिक नेता भी भ्रष्ट और स्वार्थी होंगे।
आडम्बर का विष:
- आडम्बर और दिखावा जीवन का हिस्सा बन जाएगा।
- लोग अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए दिखावा करेंगे।
- सादगी और नम्रता का स्थान अहंकार और घमंड ले लेगा।
छल-कपट और स्वार्थ:
- छल-कपट और स्वार्थ आम बात हो जाएगी।
- प्रेम और मित्रता का स्थान स्वार्थ ले लेगा।
- लोग एक-दूसरे का इस्तेमाल करेंगे।
मिथ्यावाणी और प्रलाप:
- झूठ और प्रलाप समाज में फैल जाएगा।
- लोग सच से दूर भागेंगे।
- अफवाहें और गलत सूचनाएं आम होंगी।
धर्म विरूद्ध कार्य:
- लोग धर्म विरूद्ध कार्यों में लिप्त होंगे।
- माता-पिता और गुरु का सम्मान कम होगा।
- अनैतिक और अन्यायपूर्ण कार्यों को स्वीकार किया जाएगा।
तुलसीदास जी का वर्णन:
तुलसीदास जी ने कलयुग के प्रभाव का वर्णन करते हुए कहा है कि मनुष्य काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह और मत्सर के अधीन होकर जीवन में निर्णय लेता और कष्ट भोगता है।
निष्कर्ष:
कलयुग में मनुष्यों का चरित्र और आचरण धीरे-धीरे अधोगति की ओर जाएगा। धर्म से दूर हटकर अधर्म की ओर आकर्षित होंगे।
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