चिराग ने मुसलमानों के खिलाफ हो रही राजनीति को सिरे से किया खारिज

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नयी दिल्ली,30 मार्च (एजेंसी) केंद्रीय मंत्री एवं लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) प्रमुख चिराग पासवान ने सड़कों पर नमाज अदा करने वाले मुसलमानों के खिलाफ हो रही राजनीति को सिरे से खारिज करते हुए रविवार को कहा कि ये बेकार की बात है। इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए

श्री चिराग ने कहा,“ये बेकार विषय हैं। देश में कई और बड़े मुद्दे हैं जिन पर चर्चा की जानी चाहिए।”

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एक मीडिया कार्यक्रम में जब सड़कों पर नमाज़ के विरोध पर सवाल किया गया तो श्री चिराग ने कहा,“ये बेकार की बात है। इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। देश में कई बड़े मुद्दे हैं जिन पर चर्चा करने की जरूरत है। समस्या यह है कि जब इन अप्रासंगिक विषयों पर बात शुरू होती है तो समाज और देश में तनाव का माहौल पैदा हो जाता है। बिना वजह समुदायों और लोगों के बीच दरार पैदा होती है, जो कि बेमतलब है।”

श्री चिराग ने कहा,“ लोग सालों से सड़कों पर नमाज़ पढ़ते आ रहे हैं। अगर आज हम इस बारे में बात नहीं कर रहे होते, तो आपका सवाल ये होता कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्री के तौर पर उन्होंने क्या काम किया। अब ये बातें सेकेंडरी हो गई हैं।”

जब उनसे कहा गया कि उनकी सहयोगी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोग इस बारे में बात कर रहे हैं, तो इस पर श्री चिराग ने कहा कि वह इससे सहमत नहीं हैं, वह 21वीं सदी के शिक्षित युवा हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह व्यक्तिगत आस्था का मामला है। उन्होंने इफ्तार पार्टी दी और वहां पर वह तिलक लगाकर पहुंचे थे। ये उनकी अपनी आस्था है।

श्री चिराग ने यह भी कहा कि वह दूसरों के धर्म का सम्मान करने के लिए अपने धार्मिक मूल्यों को नहीं भूलेंगे लेकिन ये मुद्दे बंद दरवाजों के पीछे के हैं। यह व्यक्तिगत आस्था का मामला है। कुछ लोग किसी धर्म का पालन करते हैं, लेकिन दूसरे नहीं करते। कई हिंदू तिलक नहीं लगाते। क्या वे हिंदू नहीं हैं? यह व्यक्तिगत आस्था है।

गौरतलब है कि सड़कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पिछले कुछ सालों में प्रमुख राजनीतिक मुद्दे के रूप में उभरा है। एक वर्ग इसके विरोध में कहता है कि धार्मिक रीति-रिवाजों को सार्वजनिक स्थानों पर नहीं किया जाना चाहिए, वहीं अन्य लोगों का तर्क है कि जब तक इस तरह के कृत्यों से किसी को असुविधा न हो, तब तक इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। हाल ही में, यह मुद्दा तब सुर्खियों में आया जब उत्तर प्रदेश की कुछ जगहों में जिला प्रशासन ने ईद के दौरान सड़कों पर नमाज की अनुमति देने के खिलाफ सख्त रुख अपनाया।

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