कांग्रेस पार्टी पर अक्सर हिंदू-विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है, खासकर उसके कुछ फैसलों और बयानों के कारण। यहां कुछ प्रमुख घटनाएं और निर्णय दिए गए हैं जिनकी वजह से ऐसा आरोप लगता है:
1. धार्मिक समुदाय को विभाजित करने की कोशिश: कई आलोचकों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने धर्मनिरपेक्षता का झंडा लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच दूरी पैदा करने की कोशिश की है। उदाहरण के लिए, कांग्रेस द्वारा अलग-अलग धार्मिक समुदायों के हितों को साधने की राजनीति ने कई बार हिंदू समुदाय को उपेक्षित महसूस कराया है।
2. राम मंदिर मुद्दा: अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के दौरान कांग्रेस सरकार का रुख संदिग्ध माना गया। कई लोगों का मानना है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर स्पष्टता नहीं दिखाई और हिंदू पक्ष के हितों को नजरअंदाज किया।
3. शाह बानो केस: 1986 में, सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो केस में तलाकशुदा मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने का फैसला दिया, लेकिन कांग्रेस ने उस फैसले को पलटने के लिए मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकार संरक्षण) अधिनियम पारित किया। इसे लेकर आलोचना हुई कि कांग्रेस ने मुसलमानों को खुश करने के लिए यह कदम उठाया और एक समान न्याय की भावना का उल्लंघन किया।
4. धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए विशेष योजनाएं: कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों के लिए विशेष योजनाएं लागू की हैं, जिससे हिंदू समुदाय को लगा कि उनके साथ पक्षपात हो रहा है। आलोचक इसे वोट बैंक की राजनीति के रूप में देखते हैं।
5. कश्मीर में धारा 370: जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस द्वारा लंबे समय तक धारा 370 बनाए रखने का समर्थन करना भी एक मुद्दा रहा है। इसके कारण जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बना रहा, जिससे वहां का मुस्लिम बहुसंख्यक समाज केंद्र की नीति से अलग महसूस करता रहा। यह भी एक कारण है कि कई हिंदू संगठनों ने कांग्रेस पर सवाल उठाए।
6 1984 में सिखों का नरसंहार बिल कांग्रेस का हिंदू विरोधी चेहरा उजागर करता है। कांग्रेस का यह पहला ऐसा षड्यंत्र था जिसने हिंदुओं और सिखों के बीच खाई डालने क प्रयास किया।
इन घटनाओं के कारण कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस हिंदुओं के साथ अन्याय करती है। हालांकि, कांग्रेस के समर्थक तर्क देते हैं कि पार्टी हमेशा धर्मनिरपेक्षता का समर्थन करती है और सभी धर्मों का सम्मान करती है।