कांग्रेस पार्टी ने अपने लंबे शासनकाल के दौरान कई ऐसे निर्णय लिए हैं जिनकी आलोचना हुई और जिन्हें कुछ लोगों ने जनता विरोधी या विशेष रूप से हिंदू विरोधी माना। यहाँ कुछ प्रमुख निर्णय दिए गए हैं:
1. **धारा 370 और कश्मीर नीति**: कांग्रेस के समय में जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 को बनाए रखा गया, जिसे कई लोग भारत की अखंडता के लिए हानिकारक मानते थे।
2. **अल्पसंख्यक तुष्टिकरण**: कांग्रेस पर आरोप लगाया गया कि उसने अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों को खुश करने के लिए नीतियाँ बनाईं, जिनमें शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटना शामिल था। यह कदम कई हिंदुओं को नाराज करने वाला साबित हुआ।
3. **अयोध्या विवाद**: बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद पर कांग्रेस सरकार के निर्णयों को भी विवादास्पद माना गया। 1986 में बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और बाद में 1992 में मस्जिद के विध्वंस के दौरान स्थिति को संभालने में असफल रहने के कारण कांग्रेस की आलोचना हुई।
4. **धार्मिक संस्थानों पर नियंत्रण**: कांग्रेस सरकारों ने कई हिंदू मंदिरों और धार्मिक संस्थानों को सरकारी नियंत्रण में ले लिया, जिसे कई हिंदुओं ने अपने धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप माना।
5. **कांग्रेस और सिख दंगे**: 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान कांग्रेस की भूमिका और तत्पश्चात न्याय देने में विफलता को गंभीरता से आलोचना का सामना करना पड़ा। यह केवल सिख समुदाय को प्रभावित करता है, लेकिन इससे कांग्रेस की धार्मिक मुद्दों पर निष्पक्षता पर सवाल उठे।
6. **आरक्षण नीति**: कांग्रेस द्वारा लागू की गई आरक्षण नीतियों को भी विवादास्पद माना गया। इन नीतियों को लागू करने में असमानता और भेदभाव के आरोप लगे।
7. **धर्मांतरण के मुद्दे**: कांग्रेस सरकारों पर ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण को अनदेखा करने या उसे प्रोत्साहित करने के आरोप लगे, जिससे हिंदू समुदाय में नाराजगी बढ़ी।
इन निर्णयों को लेकर विभिन्न मत और दृष्टिकोण हो सकते हैं, और यह निर्णयों का प्रभाव समय और स्थान के अनुसार भिन्न हो सकता है। कांग्रेस पार्टी के समर्थक इन नीतियों को आवश्यक और न्यायसंगत मान सकते हैं, जबकि आलोचक इन्हें जनता और विशेष रूप से हिंदुओं के हितों के विरुद्ध मानते हैं। हालांकि इस लेख में हमने इमरजेंसी समेत तमाम मुद्दों को नजरअंदाज किया है, जो हिंदू जनमानस के हृदय पर आज भी नासूर हैं।