धर्म परिवर्तन
वसीम रिजवी हुये जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। शिया वक्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने सोमवार को गाजियाबाद के शिव शक्ति धाम स्थित डासना देवी मंदिर में सनातन धर्म ग्रहण कर लिया। यह प्रक्रिया यति नरसिंहानंद गिरि महाराज के माध्यम से धार्मिक रीति-रिवाज से पूर्ण हुई। वसीम रिज़वी ने सबसे पहले वैदिक मंत्रों के साथ मां काली की पूजा की और उसके बाद उनका शुद्धिकरण हुआ। उन्हें जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी नाम दिया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है। जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया, तब यह मेरी मर्जी है कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं। सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है और उसमें इतनी अच्छाइयां हैं, इंसानियत है कि हम समझते हैं कि इतनी किसी और धर्म में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस्लाम को हम धर्म समझते ही नहीं हैं। जब हमें इस्लाम से निकाल दिया गया तो हर जुमे के बाद हमारा सर काटने के लिए कहा जाता है। वसीम रिजवी ने गाजियाबाद के डासना के महाकाली मंदिर में दर्शन करने के बाद महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती से ही अपनी विवादित किताब का विमोचन कराया था। वसीम रिजवी कुरान की आयतें हटाने की याचिका से भी विवादों में रहे थे। उन्होंने कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था 50 हजार का जुर्माना
उनका तर्क था कि कुरान की 26 आयतें आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली हैं। मामला काफी दिनों तक चर्चा में रहा था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया था। शीर्ष कोर्ट ने रिजवी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके अलावा भी कई मर्तबा रिजवी अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहे हैं।