दादा जी के आयुर्वेदिक नुस्खे: छोटे बच्चों की दवायें

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1- नाभी से खून बहने का इलाज

सफेद ओर साफ वस्त्र को जलाकर उसी राख को नाभि पर लगाईये।

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2- खूनी दस्तों की दवा

दूब का रस डेढ़ छटाक, गाय का दूध एक पाव के साथ लीजिए। बच्चों को एक तोला दूब रस एक छटांक दूध में दें।

3- बच्चों के सिर पर बाल उगाने की दवा

हाथी दांत की राख और रसौत लगाने से लाभ होगा।

4- पथरी के रोग की दवा

करम कल्ला की जड़ को जलाकर राख बना लीजिए ओर शहद के साथ सेवन करें।

5- बालकों के दांत आसानी से निकलने की दवा

सीपियों की माला गले में पहना दीजिए।

6- बच्चों के पेशाब रुकने की दवा

1- आंवला को पत्थर पर पीस कर पेडू पर रखिये।

2- टेसू का फूल पीस कर पीलायें।

7- बहु मूत्र की दवा

आंवले का रस शहद डाल कर प्रतिदिन पीने से लाभ होगा। दिन में दो बार एक-एक चम्मच दें।

8- खुजली की दवा

नारियल का तेल कपूर मिलकर लगायें।

9- हिचकी की दवा

1- एक छोटी हरड़ का चूर्ण शहद के साथ चाटें।

2- सोगागा जो कि शुद्ध होना चाहिए, उसे पीसकर शहद शहद में चाटें।

10- बच्चे के बहुत रोने की दवा

 घुंघची की माला पहनाएं।

11-दूध फेंकने की दवा

धनिया का भिगोया हुआ जल थोड़ा-थोड़ा पीलायें।

12- बच्चा दूध न पीता हो तो इसकी दवा

1- पानी में ररवल या उसके पत्ते डालकर उबाले, उस उबले पानी को बच्चे को पिलायें और नहलायें।

2- अनार का रस या अनार के छिलके घिसकर दिन में चार बार एक-एक चम्मच पिलायें।

13- बच्चे के पट बढ़ने की दवा

रात को गरम पानी के साथ शहद मिलाकर पिलाते रहें।

14- बच्चे के खांसी-जुकाम की दवा

1- पांच तुलसी के पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर पिलायें या चटायें।

2- नाक की हड्डी, सिर व कनपटी की सिकाई करें।

15- ज्वर की दवा

1- कुटकी यानी कडू को जल में पीसकर शरीर में लेप करें।

2- किसी भी प्रकार का ज्वर हो, गिलो को दो दिन तक जल में छोड़ दें, फिर उसे घोटकर दिन में दोबार एक सप्ताह तक पिलायें।

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16- सिर में फोड़े-फुंसी की दवा

रसौंत और मेंहदी की पत्ती पीसकर फोड़ों पर लगायें।

17- पसली का रोग यानी ब्राकोन्यूमोनिया की दवा

फुलाया हुआ सुहागा लेकर गुनगुने पानी में छह रत्ती मिलाकर चार बार खिलायें और तारपीन आयल की मालिश करते रहे।

18-सर्वोत्तम औषधि: बच्चों के दांत निकलने व सूखापन व बच्चों के दस्त के लिए और बड़ों के पेट में गैस बना बंद होने के लिए

बबूल के बकल यानी छाल मय लकड़ी के उसे जला दें। जब कोयल खूब दहक जाए और कच्चा न रहे तो उसे अलग बर्तन में उठाकर रख लें, कुछ देर में वह सफेद राख हो जाएगी। उसे कपड़े से छानकर रख लें। बच्चों को दिन में तीन बार शहद या बच्चे की मां के दूध के साथ दें तो बच्चे का सूखापन, बच्चे कके दात निकलने में व बच्चों के दांतों में अत्यन्त लाभकारी है और बड़े आदमी को दिन में तीन बार शहर या दूध से सेवन से गैस बनना बंद होगा।

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प्रस्तुति

स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर

सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई

नोट:स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।

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