कान में जलन की दवा
मिट्टी पट्टी कान के चारों ओर लगाएं।
सलाह – किसी वैद्य से परामर्श कर इसका प्रयोग कीजिए। परीक्षण भी उक्त वैद्य से करा लें। उसके बाद ही इसका उपयोग करें।
कान के बहने की दवा
1- नीम के पत्ते का रस गर्म करके शहद में मिलाकर कान में डाले।
2- पीपल के कोमल पत्तों का रस कान में डालें।
सलाह – किसी वैद्य से परामर्श कर इसका प्रयोग कीजिए। परीक्षण भी उक्त वैद्य से करा लें। उसके बाद ही इसका उपयोग करें।
कान दर्द की दवा
1- गेंदा के फूल के पत्तों का रस कान में गर्म करके डाले।
2- सुदर्शन के पत्ते का रस गर्म करके कान में डालें।
3- नीम के पत्ते का रस गर्म करके कान में डालें।
4- गोमूत्र गर्म कर कान में डालें।
5-पीपल के पत्ते का रस रस कान में डाले।
6- पलाश के कोमल पत्तों का रस कान में डाले।
7- बरोह यानी बरगद की जटा और काली मिर्च पीसकर गर्म करें और कपड़े में भिगों कर कान में डालें।
8- आम का पीला पत्ता घी में चुपड़ लें, फिर उसे सेंक कर गर्म कर उस का रस कान में डालें।
9- पान लगाकर तम्बाकू के साथ पीस लें, उसी का रस कान में डालें।
सलाह – किसी वैद्य से परामर्श कर इसका प्रयोग कीजिए। परीक्षण भी उक्त वैद्य से करा लें। उसके बाद ही इसका उपयोग करें।
बहरापन की दवा
1- आक यानी मदार का पीला पत्ता लेकर उसमें घी चुपड़ कर उसको आग में सेंक लंे, उी रात को रस निचोड़कर कान में डाले।
2- गाय का अर्थात बछिया का मूत्र गर्म करके डाले। लाभ होगा।
सलाह – किसी वैद्य से परामर्श कर इसका प्रयोग कीजिए। परीक्षण भी उक्त वैद्य से करा लें। उसके बाद ही इसका उपयोग करें।
प्रस्तुति
स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर
सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई
नोट:स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।
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