दादा जी के आयुर्वेदिक नुस्खे: पीलिया, मलेरिया, सर्दी- बुखार, ज्वर में जलन व बदहजमी की दवायें

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1- पीलिया का प्रभावी उपचार

वदाल का डोडा जो कि लम्बा-चौड़ा कांटेदार हो, दो तोला पानी में शाम को भिगोकर दोनों को प्रात:काल पी ले अर्थात खा लें।

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2- पाण्डु रोग यानी पीलिया की दवा

गोमूत्र चालीस दिनों तक सुबह व शाम पीयें।

3- सर्दी के बुखार की दवा

तुलसी पत्र 15, काली मिर्च 15, खूबकलां एक तोला, पोदीना दो भर , धनिया एक तोला के लगभग आधा लीटर पानी में पका लें और आधा पांव पानी रह जाए तब एक तोला मिश्री मिलकर पीयें।

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4- बुखार में जलन की दवा

पेट में जलन हो तो सफेद चंदन लगभग दो तोले घिसकर नाभी में डाल दें। यदि सारे शरीर में जलन हो तो नाभी में कांसी की कटोरी रखकर एक हाथ उचे से उस कटोरी में पानी धार छोड़ दो, थोड़ी देर में जलन ठीक हो जाएगी।

5- बुखार व बदहजमी की दवा

ब्रह्मदाड़ी एक तोला, जलनीम एक तोला, काली मिर्च 25, काला नमक आवश्यकतानुसार डालें। एक पाव पानी में घोटकर सुबह शाम पीयें या गोली बनाकर छाया में सुखा लें। गोली छोटे बेर के बराबर हो, दूघ या पानी के साथ लें। निश्चित लाभ होगा।

6- मलेरियां ज्वर की दवा

श्यामा तुलसी के पत्ते 11, काली मिर्च 11, का काढ़ा बुखार होने पर या न होने पर भी पीते रहें और अपामार्ग की जड़ लाल रेशम से भुजा पर बांध्ो और प्रतिदिन तुलसी के दस पत्ते और काली मिर्च दस चबाते रहें।

7- ज्वर का उपाय

एक रत्ती भुनी हुई फिटकरी, बताश्ो के साथ बुखार आने से पहले खा लें। सुबह-शाम कागजी नींबू या ढाक का पत्ता मसलकर कपड़े की खूंट में बांध ले और ज्यार आने के पहले संूघते रहे।

8- तिजारी बुखार की दवा

नीम की ढाई पत्ती बारीक पीसकर गुड़ में लपेट कर खाने से तिजारी ज्वर शांत हो जाता है।

9- बुखार की दवा

तुलसी पत्रों का चूर्ण व काली मिर्च का चूर्ण दिन में चार बार गुनगुने पानी के साथ लें।

10- जुकाम व बुखार का प्रभावी उपचार

शीतारि आठ रत्ती, अमृता बटी दो रत्ती, इसके दो भाग कर के एक पुड़िया सुबह व एक पुड़िया शाम को गर्म पानी के साथ लें और बाद में गर्म पानी भी पीये। यदि एक दिन में ठीक न हो तो एक दिन और ले लीजिए।

प्रस्तुति

स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर

सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई

नोट:स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।

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