प्रमेह की औषधि
आम वृक्ष की त्वचा यानी छाल कूटकर कपड़े से छानकर रख लें और प्रतिदिन छह-छह माशा पानी के साथ एक माह तक सेवन करें।
या
आम के कोमल पत्ते पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन पानी के साथ करें।
प्रमेह की दवा
1- हरी गिलोय के रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम लेते रहे। लाभ होगा।
2- शहतूत के हरे पत्ते पीसकर प्रतिदिन पीते रहे।
3- आम के कोमल पत्ते या आम की गुठली का गूदा छाया में सुखाकर पीस प्रतिदिन प्रयोग करें
4- जामुन के पत्ते या गुठली के गूदे को सुखकर पीकर प्रतिदन प्रयोग करे।
गठिया की दवा
1- प्रतिदिन प्रात: सर्व प्रथम बयुऐ का शाक खायें।
2- सहिजन की जड़ पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर लें और उसी का लेप करें।
घबराहट, हृदय की धड़कन, मृगी, हिस्टीरिया, श्वास खांसी आदि रोगों में लाभदायक
अभ्रक भस्म सहस्त्रपुटी, बड़ों को एक रत्ती और बच्चों को आधा रत्ती सुबह शाम पानी या दूघ के साथ सेवन करें।
मृगी सेग यानी मिर्गी की दवा
अपामगि की जड़ या पत्ती चार माशा, सौंफ चार माशा, कालीमिर्च दस अदद यह सब पीसकर पानी के साथ दिन में चार बार सेवन एक माह तक सेवन कीजिए। पूर्ण लाभ होगा।
प्रस्तुति
स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर
सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई
नोट:स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।
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