आयुर्वेद में तमाम उन बीमारियों का भी उपचार संभव है, जिनका उपचार आधुनिक चिकित्सा पद्धति में कठिन प्रतीत होता है।
पुत्र उत्पन्न होने की दवा
पीपल की दाढ़ी एक तोला, गुड़ पुराना तीन तोला, कूटपीस कर छोटे बेर के बराबर गोलियां बना लें और इन्हें छाया में सुखा लें। बछड़े वाली गाय के देसी दूध के साथ प्रतिदिन खायें।
दवाई खाना- मासिक धर्म के बाद के रविवार से शुरू करें। उस दिन व्रत रख्ों, नमक न खायें और दवाई सात दिन खायें।
पीपल की दाढ़ी रविवार को पीपल की पूजा करके लें, हो सके तो पीपल की दाढ़ी मंत्र पढ़ कर लें। शुभ रहेगा।
1- मंत्र है-
अश्वत्थायं वरेण्यायं सर्वेश्वर्यं प्रदायिने।
अनन्त शिवरूपाय, वृक्षराजायते नम:।। ं
2- पीपल को जल देने का मंत्र है-
कुलानामयुतं तेन, तारितं नात्र संशय:।
योश्वत्थ मूल मासिंचेत्तोयेन बहुना सदा।।
प्रमेह की दवा
कच्ची हल्दी का रस प्रति दिन आधा छटांक पीवें, लाभ होगा।
गठिया के दर्द की दवा
धतूरे के बीज आधा छटांक कूटकर तीन पाव खालिस सरसों के तेल में सात दिन तक भिगो कर रख्ों, फिर छानकर उस तेल की मालिश करें। निश्चित रूप से लाभ होगा।
रक्तस्त्राव: रज बहुत पड़ने की दवा
रज बहुत पड़ता हो तो निम्न औषधि को अपनाएं
1- नाग केसर पीसकर पानी के साथ दिन में चार बार लें।
2- दूब का रस दिन में कई बार पीयें।
3- पेट पर ठंडे पानी की पट्टी रख्ों।
कंठ में जलन की दवा
खूब मोटे आटे की रोटी खायें और शारीरिक श्रम भी करना चाहिए।
बहुमूत्र की दवा
काले तिल भूनकर पुराने गुड़ में मिलाकर लड्डू बना लें। नित्य प्रति दो लड्डू खायें। निश्चित तौर पर लाभ होगा।
प्रस्तुति
स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर
सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई
नोट:स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।
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