दैनिक उपयोग के शक्तिशाली मंत्र

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जीवन में दैनिक उपयोग के कुछ शक्तिशाली मंत्र हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। जिनका सद्पोयोग कर आप जीवन सुखमय बना सकते हैं। ये आपके जीवन में नि: संदेह उपयोगी सिद्ध होंगे।


शांति मंत्र-
ऊॅँ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष शांति:
पृथ्वी शांतिराप: शांतिरोषधय: शांति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिबर््रह्मशांति:
सर्व शान्ति: शांतिरेव शांति: सामा शान्तिरेधि।।

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चंद्र अर्घ्य मंत्र-
क्षीरोदार्णवसम्भूत अत्रिगोत्रसमुद्भव।
गृहाणार्घ्य शशांकेदं रोहिण्या सहितो मम।।
शंख पूजन मंत्र-
त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृत: करे।
निर्मित: सर्वदेवैश्च पांचजन्य नमोअस्तुते।।
प्रदक्षिणा मंत्र-
यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि च।
तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।
क्षमा प्रार्थना-
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णã तदस्तु मे।।
तुलसी स्तुति मंत्र-
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरै:।
नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये।।
सूर्य दर्शन मंत्र-
कनकवर्ण महातेजं रत्नमालाविभूषितम्।
प्रात: काले रवि दर्शनं सर्व पाप विमोचनम्।।
तुलसी तोड़ने का मंत्र-
महास्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी।
नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोअस्तुते।।
अन्नपूर्णा मंत्र-
अन्नपूर्ण्ों सदा पूर्ण्ो शंकरप्राणवल्लभ्ो।
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्य भिक्षां देहि च पार्वती।
अग्नि जिमाने का मंत्र-
ऊॅँ भूपतये स्वाहा, ऊॅँ भूवनपतये स्वाहा,
ऊॅँ भूतानां पतये स्वाहा।
कह कर तीन आहुतियां बने हुए भोजन की डालें।
अथवा

ॅऊॅँ नमो नारायणाय।
कहकर नमक रहित अन्न को अग्नि में डाले।
भोग लगाने का मंत्र-
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तभ्यमेव समर्पये।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।।
भोजन से पूर्व का मंत्र-
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविबर््रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रहमैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।
भोजन के बाद का मंत्र-
अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभव:।
यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञ: कर्म समुद्भव:।।
सायं दीप स्तुति मंत्र-
दीपो ज्योति: परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं सन्ध्यादीप नमोअस्तु ते।।
शुभं करोतु कल्याणं आरोग्यं सुखसम्पदाम्।
मम बुद्धिप्रकाशं च दीपज्योतिर्नमोअस्तु ते।।
माला जपते समय का मंत्र-
अविघ्नं कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिण्ो करे।
जापकाले च सिद्धयर्थ्ों प्रसीद मम सिद्धये।।
यज्ञोपवीत धारण करने का मंत्र-
ऊॅँ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्रयं प्रतिमुंच सुभ्रं यज्ञोपवीत बलमस्तु तेज:।।
जीर्ण यज्ञोपवीत त्याग करने का मंत्र-
एतावद्दिनपर्यन्तं ब्रह्मत्वं धारितं मया।
जीर्णत्वाच्च परित्यागो गच्छ सूत्र यथासुखम्।।
पीपल में जल देने का मंत्र-
कुलानामयुतं तेन तारितं नात्र संशय:।
योअश्वत्थमूलमासिंचेत्तोयेन बहुना सदा।।
पीपल पूजन मंत्र-
अश्वत्थाय वरेण्याय सर्वैश्वर्यदायिने।
अनन्तशिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।
क्षौर कर्म नियम
अमावस चौदह पूर्णिमा, संक्रांति व्यतिपात।
श्राद्ध रवि मंगल शनि क्षौर न प्रात: सुहात।।
शयन का मंत्र-
जले रक्षतु वाराह: स्थले रक्षतु वामन:।
अटव्यां नासिंहश्च सर्वत: पातु केशव:।।
भजन करने के मंत्र-
ऊॅँ नमो भागवते वासुदेवाय।
ऊॅँ नमो नारायणाय।
ऊॅँ नम: शिवाय। ऊॅँ राम रामाय नम:।
हरि: ऊॅँ तत्सत्। हरि: ऊॅँ शांति।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
वेद स्तुति मंत्र-
नम: शम्भवे च मयोभवे च नम: शंकराय च।
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च।।
श्री गंगा जी के स्तुति मंत्र
गंगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्।
त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्।।

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