यदि सच्चे श्रद्धाभाव से भगवती का पूजन करें तो निश्चित तौर सफलता प्राप्त होती है। न सिर्फ संसार में उसे सुख और आनंद की प्राप्ति होती है, बल्कि देह को त्यागने के पश्चात उत्तम लोक भी प्राप्ति संभव होती है।
दुर्गा शप्तशती के नियमित पाठ का फल जरूर जीव प्राप्त होता है, इस पर संशय नहीं किया जा सकता है। क्या आप जानते हैं कि दुर्गा शप्तशती के किस अध्याय के पाठ का क्या फल है। यदि नहीं तो हम आपको बताते हैं। पहले अध्याय के पाठ से हर प्रकार की चिंता का नाश होता है और शत्रु का भय भी नष्ट हो जाता है। दूसरे अध्याय के पाठ से शत्रु द्बारा धन सम्पत्ति अधिकार में लेने के बाद उन्हें फिर प्राप्त किया जा सकता है। तीसरे अध्याय के पाठ से शत्रु से छुटकारा मिल जाता है और भगवती की कृपा से भक्त शत्रु पर विजय भी प्राप्त कर लेता है। चौथ्ो अध्याय के पाठ से सौभाग्यवान पत्नी और सर्वसिद्धि सफलता प्राप्त होती है। पांचवें अध्याय के पाठ से भूत प्रेत की छाया, भय आदि नष्ट हो जाते हैं।
छठे अध्याय के पाठ सर्वकामना सिद्धि प्राप्त होती है। सातवें अध्याय के पाठ से प्रमी से मिलाप व वशीकरण प्राप्त होता है। आठवें अध्याय के पाठ से गुमशुदा व्यक्ति का पता चलता है और पुत्र की प्राप्ति भी होती है। नवमें अध्याय के पाठ से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। दसवें अध्याया के पाठ से शक्ति व विद्या की प्राप्ति होती है। ग्यारहवें अध्याय के पाठ से भक्ति व मुक्ति प्राप्ति होती है। बारहवें अध्याय के पाठ से रोग मुक्ति मिलती है। तेहरवें अध्याय के पाठ से मान व इज्जत की प्राप्ति होती है।