वैसे तो भगवान के किसी भी स्वरूप की पूजा करें तो निश्चित तौर पर फल की प्राप्ति होती है। इस पर कतई संशय नहीं करना चाहिए। निश्चित तौर पर भगवान अपने भक्त के भाव को देखते हैं और उसे संकटों से उबारते है, लेकिन जन्म कुंडली के अनुसार इष्ट देवता जानकर उनकी अराधना की जाए तो निश्चित तौर पर शीघ्र फल की प्रप्ति होती है। भगवान श्री विष्णु के अवातर भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा भी है कि जिस रूप में तुम मेरा ध्यान व अराधना करोंगे, उसी रूप में मैं तुम्हारा उद्धार करूंगा। उल्लेखनीय है कि भगवान इस वचन का आज के दौर में गलत अर्थ निकाल कर लोग जीवात्मा का पूजन करने लगे हैं,जबकि उन्हें जीवात्मा व परमात्मा का भ्ोद नहीं मालूम है।
ख्ौर मैं विषय को भटकाए बिना आपको बताना चाहता हूं कि हर व्यक्ति को दिन में एक बार जरूर ईश्वर का सच्चे मन से ध्यान व अराधना करनी चाहिए। भगवान की स्तुति से आपके तन और मन में उर्जा का बनी रहती है, जो आपको विकट स्थितियों से उबारने में मदद करती है, लेकिन आप सोचेंगे कि वैदिक यानी सनातन या हिन्दू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है। ऐसे में यह विचार जरूर आएगा कि आखिर हमारा इष्टदेव कौन है? जिसकी हम प्रार्थना करके सभी समस्याओं के समाधान शीघ्र कर सकते हैं। यदि आपको अपना जन्म वार पता है तो अपने इष्टदेव के बारें में आप आसानी से जान सकते हैं।
जन्म वार- जिन लोगों को केवल अपने जन्म का दिन पता है, वे लोग इस प्रकार अपने इष्टदेव की पूजा करें।
रविवार को जन्में है तो सूर्य देव की पूजा करें।
सोमवार को जन्में है तो भगवान शिव जी की पूजा करें।
मंगलवार को जन्में है तो हनुमान जी की पूजा करें।
बुधवार को जन्में है तो गणेश जी की पूजा करें।
गुरुवार को जन्में है तो भगवान विष्णु की पूजा करें।
शुक्रवार को जन्में है तो लक्ष्मी जी की या किसी अन्य देवी की पूजा करें।
शनिवार को जन्में है तो शनि देव या कालभैरव की पूजा करें।