गौ माता को भारतभूमि में पूजा जाता है। इनके शरीर के अंगों में देवताओं का वास माना जाता है। इनके दुग्ध के सेवन में न सिर्फ शारीरिक उन्नति होती है, बल्कि मानसिक विकास के लिए भी इसे अनुकूल माना जाता है। क्या आप जानते हैं कि गौ माता हमारी एड्स जैसी लाइलाज बीमारी से भी रक्षा करती हैं?
अमेरिका के कुछ शोधकर्ताओं ने हाल में ही एचआईवी से निपटने के लिए एक शोध किया है। उनका कहना है कि एचआईवी के उपचार में वैक्सीन बनाने के लिए गाय काफी उपयोगी साबित हो सकती है। प्रतिरक्षा के तौर गाय माता लगातार ऐसे एंटीबॉडीज पैदा करती है, जिनके प्रयोग से एचआईवी के प्रभाव को नष्ट किया जा सकता है।
इंटरनेशनल एड्स वैक्सीन इनिशिएटिव और द स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीटñूट ने गायों को प्रतिरक्षा क्षमता को लेकर अनुसंधान शुरू किया है। शोधकर्ता डेविड सोक के अनुसार इसके परिणाम ने उन्हें हैरान कर दिया है। जरूरी एंटीबॉडीज गायों के प्रतिरक्षा तंत्र में कुछ ही सप्ताह में बन जाते हैं। उनके अनुसार यह बेहद उन्मुक्त कर देने वाला मौका था, जब इंसाानों में ऐसे एंटीबॉडी विकसित होने में करीब तीन से पांच साल लग जाते है। उन्होंने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पहले इसका इलाज खोजना इतना आसान नहीं लग रहा था।
उन्होंने कहा कि किसे पता था कि एचआईवी की रोकथाम में गाय इतनी मददगार हो सकती है। नेचर नाम से प्रकाशित जर्नल में प्रकाशित नतीजों में बताया गया है कि गाय की एंटीबॉडीज से एचआईवी के असर को 42 दिनों में बीस प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
प्रयोगशाला परीक्षण में पता चला है कि 381 दिनों में ये एंटीबॉडीज 96 प्रतिशत तक एचआईवी को बेअसर कर सकते हैं। एक और शोधकर्ता डॉ. डेविट बर्टन के अनुसार इस अध्ययन में मिली जानकारियां बेहद दिलचस्प और बेहतरीन हैं। उन्होंने कहा कि इंसानों की तुलना में जानवरों के एंटीबॉडभ्ज ज्यादा यूनिक होते है और एचआईवी को भी खत्म करने की क्षमता रखते हैं।
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