मेष राशि ( Aries ) की सामान्य विशेषताएं, स्वभाव व परिचय

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आपकी राशि मेष कालचक्र की प्रथम राशि है। यह राशि अग्नि तत्त्व, तमोगुण, चर स्वभाव एवं मंगल ग्रह से प्रभावित होती है। आपकी राशि का प्रतीक चिह्न मेढ़ा संघर्ष का परिचायक है।

आपका स्वभाव एवं व्यक्तित्त्व

अगर आप पुरुष हैं तो…….

आपका रूखा और चित्ताकर्षक स्वरूप, साधारण कद एवं सामान्य सुन्दर मुखाकृति होगी।

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आप स्पष्ट अभिव्यक्ति, स्वतन्त्र रूप से कार्य करने की वृत्ति, आदर्श चरित्र एवं नेतृत्व के गुण के कारण समाज में अपना व्यक्तित्त्व छिपा नहीं पाते। आप अपने गुणों के कारण ही स्वतः लोकप्रिय हो जाते हैं। आप मनोकांक्षा पूर्ण किए बिना आराम को हराम समझते हैं। आपकी सफलता का मूल मन्त्र तुरन्त निर्णय लेने की क्षमता एवं लक्ष्य को दृष्टि से ओझल न होने देना है। आपका स्वभाव आपको परस्थ चिन्तन की अपेक्षा निज चिन्तन को बाध्य करता है। कुछ सीमा तक आपकी भावना विरक्ति एवं तटस्थता की रहती है।

 

आप जल्दबाज, अविवेकी एवं कल्पना-शक्ति की अल्पता के कारण वीर एवं साहसी होते हैं। आप भावात्मक दृष्टिकोण से बेदर्द एवं कठोर हैं। अग्नि तत्त्व प्रधान होने के कारण आपकी प्रवृत्ति क्रोध करना, चुनौती देना और स्वीकार करने की है। आप यदाकदा परिस्थितिवश अविवेक एवं अन्तर्द्वन्द्व के कारण कई प्रकार की बाधाओं का सामना करते हैं। आप दूसरों पर आक्षेप करने से नहीं चूकते। क्षमा करना आपके स्वभाव में नहीं है। यदि कभी क्षमा करना भी पड़े तो ऊपरी मन से करते हैं। आपके शत्रु एवं विरोधी हमेशा हानि पहुंचाने के लिए तत्पर रहते हैं। आप स्वभाव के हठी एवं इच्छाओं की पूर्ति के लिए संघर्षशील रहते हैं।

 

आपकी रचनात्मक प्रवृत्ति स्मरण कराने पर बढ़ती है। आपके जीवन में परिवर्तनशीलता क्रमिक उत्थान के साथ आती है। आप स्वतन्त्र विचार धारा के अनुयायी हैं तथा स्वयं को सर्वोपरि समझते हैं। आप अपनी क्रियात्मक शक्ति के बल पर दूसरों को शरण देकर संभालना, उनका पालन-पोषण करना एवं सहारा देने में अग्रणीय हैं। एक स्थान पर टिके रहना आपको रुचिकर नहीं लगता है। आपमें नेतृत्व और त्याग की भावना कूट-कूटकर भरी है। आप अभिमानी, वाकपटु वृथाभिमानी, क्रोधी, धन संग्रह करने में अरुचि, प्रणय सम्बन्ध से चिन्तित, पापकर्मों से भयभीत व नौकरों से त्रस्त, साहसी, कर्मठ, प्रतिभाशाली एवं यान्त्रिक कार्यों में सफल होते हैं।

 

अगर आप स्त्री हैं तो……

आपके स्वभाव में चिड़चिड़ापन, जरा-जरा सी बात को लेकर परेशान होने की प्रवृत्ति एवं वृथाभिमान करने की है। आप चतुर, तार्किक, स्पष्टवादी एवं नेतृत्व में विश्वास रखती हैं। आप जीवन में सक्रियता, अनुशासन एवं वचनबद्धता चाहती हैं। आप साहसी, पुरुषोचित गुणों से युक्त व किसी की आलोचना या टीका-टिप्पणी पसन्द नहीं करती हैं। निर्भीकता एवं जिद्दीपन के कारण कभी-कभी आपके व्यवहार में उदण्डता आ जाती है। आप ऊपर से कठोर एवं अन्दर से नम्र स्वभाव की होती हैं। दूसरों को दुःख देने की अपेक्षा स्वयं दुःख सहना उचित समझती हैं। स्थूलता आपके लिए हानिकारक है। गुप्त रोगों की सम्भावना अधिक रहती है। आप में क्रोध के कारण यदाकदा निष्ठुरता, झूठापनऔर मरने-मारने की घातक प्रवृत्ति के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगते हैं। आप भ्रमण प्रिय हैं, एक जगह टिककर रहना आपको पसन्द नहीं है। आप पति पर अप्रत्यक्ष रूप से शासन करना चाहती हैं। माँ बनने के बाद आपकी आदत में समर्पण की भावना आ जाती है। आप दूरदर्शी, बुद्धिजीवी, स्वतन्त्रता प्रिय व स्वाभिमानी हैं।
एवं दूसरों की आलोचना करना आपके स्वभाव में होता है। आप अच्छी उपदेशक एवं प्रेरणा देने वाली होती हैं। आपको आसानी से बहकाया या फुसलाया नहीं जा सकता। महान कार्य करने में रुचि एवं शासक वर्ग से मित्रता करने में माहिर
होती हैं। राजनीति में हस्तक्षेप रखती हैं और विपरीत सैक्स को मोहित करने एवं सन्तान को चाहने वाली होती हैं। असत्यता और विश्वासघात पसन्द नहीं। स्पष्ट वादिता भाती है और कर्मठ बनकर कुछ पाने में रुचि है। संग्रह नहीं कर पातीं, खर्च अधिक होता है।

आपके प्रेम एवं सैक्स सम्बन्ध कैसे होंगे?
आपकी प्रेम-तृषा अथाह है। आप प्रेम के अभाव में क्रोधी तथा रूखे बन जाते हैं और मन ही मन घुटते रहते हैं। आपकी अक्खड़ता आपके प्रेम सम्बन्ध को स्थायी नहीं रहने देती। आपको वैवाहिक जीवन में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। आपका मेष, सिंह, धनु राशि वालों के साथ सर्वश्रेष्ठ संबंध बन पड़ता है। मिथुन, तुला एवं कुंभ राशि वालों से सहयोग और प्रेम की परिपूर्णता के कारण श्रेष्ठ संबंध बन पड़ता है। वृष, कन्या एवं मकर राशि वालों से प्रेम संबंध ठीक रहते हैं। कर्क, वृश्चिक एवं मीन राशि वालों से सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाता है अर्थात् इनसे वैचारिक मतभेद, वाद-विवाद व असहयोग की स्थिति रहने के कारण अनुकूलता नहीं रह पाती। आपका तुला एवं कुम्भ राशि वालों के साथ उत्कृष्ट प्रेम की स्थिति वाला संबंध बन पड़ता है।

 

व्यवसाय एवं कार्य रुचियां कैसी होंगी?
आप क्रियाशील मस्तिष्क के स्वामी होते हैं। संघर्षरत रहने की प्रवृत्ति आप में है। मूलतः नेतृत्व का गुण प्रधान रहने के कारण आप प्रशासन संबंधी एवं नेतृत्व प्रधान कार्यों में विशेष सफल रहेंगे। आप विशेषकर वीरता एवं विशेष श्रम वाले
कार्यों करने में रुचि रखते हैं। आप सर्वेक्षण, विद्युत मशीनों, पुलिस, सेना एवं नेतृत्व प्रधान कार्यों में विशेष सफल रहेंगे। आप संगठनकर्त्ता नेता, प्रवर्त्तक, जासूस, विक्रेता, सुधारक, दलाल, इन्सपेक्टर, पुलिस विभाग, नीलामी कर्त्ता, सलाहकार, निरीक्षक, भूमि, तांबा, लोहा एवं मशीनरी संबंधी कार्यों में विशेष सफल हो सकते हैं। आप विद्युत, खनिज, सीमेण्ट, कोयला, खनिज तेल, मैडीकल स्टोर, वैद्यक, आतिशबाजी, आयुध निर्माण, खेलकूद, रंग-व्यवसाय, भू-सम्पत्ति, पहलवान, घड़ियां, रेडियो, टेलीफोन, तम्बाकू, कैमिस्ट, रंग व्यवसाय आदि कार्यों को करके धन अर्जित कर सकते हैं।

स्वास्थ्य कैसा रहेगा?
आप स्वस्थ शरीर के स्वामी होते हैं। यदि दुर्घटनाओं से बचते रहें तो बीमार भी कम पड़ते हैं। आपको बाल्यकाल से ही शारीरिक कष्ट, फोड़े-फुन्सी, जलना- कटना आदि से कष्ट भोगना पड़ता है। मंगल गोचर में जब भी निर्बल होता है
तो निम्न रोगों के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगते हैं-रक्तविकार, संक्रामक रोग, रक्त- चाप, नेत्ररोग, स्नायुविक दुर्बलता, खुजली, बवासीर, गुप्तरोग, पित्त ज्वर, तृष्णा, जलन, अल्सर, निमोनिया, टॉयफायड, शरीर का कोई अंग भंग या हड्डी का टूटना, जलना, विषाक्त भोजन खाने से कष्ट, जठराग्नि, वात रोग, दृष्टि दोष, जुकाम आदि।
आपको अधिक खान-पान, उष्णता एवं असंतुलित आहार सेवन से बचना चाहिए। आपको विटामिन सी और प्रोटीन युक्त खाद्य-पदार्थों का सेवन करना चाहिए। समस्त प्रकार की हरी सब्जियां और शीतल वस्तुएं खाना ही उचित है। प्राणायाम और योगासन करना आपके स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है।

सफलता के लिए अवश्य ध्यान दें!
आपकी राशि का स्वामी मंगल है जोकि अग्नि तत्त्व प्रधान ग्रह है। अतः आपको क्रोध से बचना चाहिए। धैर्य और सहनशीलता आपकी प्रगति में विशेष सहायक है। आप कर्क, वृश्चिक एवं मीन राशि वाले व्यक्तियों या स्त्रियों पर निर्भर न रहें, ये आपको हानि पहुंचा सकते हैं। सिंह राशि से सतर्क रहकर संबंध बनाएं। धनु राशि से सामान्य संबंध रहता है। मिथुन, तुला एवं कुम्भ राशियां आपके लिए उत्कृष्ट मित्र होती हैं। वृष, कन्या व मकर राशियों से आपके संबंध लाभप्रद
बन पड़ते हैं। आपकी राशि के लिए रविवार, सोमवार, गुरुवार एवं मंगलवार शुभ दिन हैं। लाल रंग अनुकूल है।

 

सवा छह रत्ती का मूंगा सोने की अंगूठी में जड़वाकर शुक्लपक्ष के मंगलवार को अनामिका अंगुली में सूर्योदय के प्रथम घंटे के भीतर मंगल मन्त्र से अभिमन्त्रित करके धारण करना लाभप्रद है।

मंगलवार का व्रत व हनुमान चालीसा का पाठ या हनुमान जी की उपासना शुभफलप्रद है। मंगलवार को गेहूँ, मसूर, गुड़, लाल वस्त्र, तांबा, लाल पुष्प, केसर व लाल पदार्थों का दान करना भी शुभफलदायी है। लाल रूमाल सदैव पॉकिट में रखें।

ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाये नमः ………………..मन्त्र का 10,000 जाप करना मनोकांक्षा पूर्ति में सहायक है।
आपके लिए 9, 1, 2, 3 अंक शुभ, 6, 8 सामान्य एवं 4, 5, 7 अंक अशुभ फलदायी हैं। यदि आप इन अंकों की शुभाशुभता को ध्यान में रखकर कार्य करेंगे तो लाभ होगा। आप क्रोध, वाद-विवाद, अति कामुकता एवं व्यर्थ की चुनौतियों से स्वयं को बचाएंगे तो जीवन में सफलता एवं सुख की प्राप्ति निश्चय ही करेंगे।

 

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