धनु राशि ( Sagittarius ) की सामान्य विशेषताएं, स्वभाव व परिचय

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धनु राशि,,क्या कहते हैं आपके सितारे rashi

आपकी राशि धनु कालचक्र की नौवीं राशि है। यह राशि अग्नि तत्त्व, सतोगुण, द्विस्वभाव एवं गुरु ग्रह से प्रभावित होती है। आपकी राशि का प्रतीक चिह्न धनुर्धर लक्ष्य का परिचायक है।

आपका स्वभाव एवं व्यक्तित्त्व

अगर आप पुरुष हैं तो………

आप दार्शनिक विचारों के धनी एवं ईश्वर में आस्था रखते हैं। आप अवसरानुकूल कार्य करने वाले और लक्ष्य प्राप्ति के लिए संघर्षरत रहते हैं। आपकी व्यस्तता रचनात्मक कार्यों में रहती है। आप धन से अधिक सम्मान एवं लोकप्रियता को महत्त्व देते हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणीय तथा मानव हित सर्वोपरि समझते हैं। आपकी प्रवृत्ति भौतिक धरातल से उठकर आध्यात्मिक स्तर की ओर अग्रसर होती है। आप स्वभाव से सहनशील व उत्तम धारणा वाले होकर भी रूढ़िवादिता को छोड़ नहीं पाते। एक आधार पर नहीं रहते इसलिए जीवन में असुविधा अनुभव करते हैं। आप धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं। स्त्री वर्ग आपसे विशेष प्रभावित रहता है तथा आपकी सहायता के लिए तत्पर रहता है। आपकी सफलता का मूल मन्त्र किसी भी कार्य को असम्भव न समझना है। लक्ष्य को सदैव ध्यान में रखना ही आपकी सफलता का रहस्य है। वादा करके निभाना आपको नहीं आता है। आप अच्छे उपदेशक एवं भविष्यवक्ता बन सकते हैं। धर्म, दर्शन, संगीत और काव्य के क्षेत्र में अपनी योग्यता के बल पर विशिष्ट सम्मान अर्जित करते हैं। ज्ञान प्राप्ति की लालसा अथाह है, इसलिए जहां से जिस रूप में मिले ग्रहण कर लेते हैं। अपनी योग्यता पर बहुत विश्वास रखते हैं और कभी-कभी अति आत्मविश्वास के कारण ही हानि उठाते हैं।

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अगर आप स्त्री हैं…….

तो आप बुद्धिमान, संवदेनशील, धुन की पक्की एवं दयालु होती हैं। विपत्ति में घबराती नहीं हैं। अपने मधुर व्यवहार और    आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर सबका मन मोह कर अपना काम निकाल लेती हैं। आपकी रुचि धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में अधिक रहती है। ये कार्य करने में कुशल, ज्ञानवती एवं पति की विरोधिनी होती हैं। स्त्री वर्ग से ईर्ष्या और डाहकरती हैं। पति की फिजूलखर्ची और शौकीन मिजाज को लेकर चिन्तित रहती हैं। जीवन से हर वक्त असन्तोष रहता है। आप जिद्दी, परिवार का नेतृत्त्व करने वाली, बात-बात में तर्क करने वाली, मधुरभाषी और यश पाना चाहती हैं। सुखी जीवन जीने की लालसा में संघर्षरत् रहती हैं। अचानक सुख-दुःख से प्रभावित होकर निराश हो जाती हैं। रचनात्मक कार्यों को करने में संलग्न रहती हैं।

 

आपके प्रेम एवं सैक्स सम्बन्ध कैसे होंगे?

आप एकान्तिक प्रेम के इच्छुक होते हैं तथा उस पर पूर्ण अधिकार रखते हैं। आप एक साथ एक से अधिक व्यक्तियों से प्रेम कर सकते हैं। सैक्स के प्रति आपका रुखं विनोदपूर्ण रहता है। आप आदर्श प्रेमी बनने के इच्छुक होते हैं। इसीलिए विलासिता या विलासी व्यक्ति को पसन्द नहीं करते हैं। आपको प्रेम के बिना जीवन शून्य-सा प्रतीत होता है। आपका तुला, कुम्भ और मिथुन राशि वालों से अच्छा प्रेम-संबंध बन पड़ता है। वृष, कन्या एवं मकर राशि वालों के साथ अच्छी निभती है। मेष एवं सिंह राशि वालों से सामान्य संबंध बन पड़ता है। कर्क, वृश्चिक एवं मीन राशि वालों से शत्रुवत् संबंध अर्थात् विरोध ही बना रहता है।

 

आपकी व्यवसाय एवं कार्य रुचियां कैसी होंगी?

आप समाज में आदर्श स्थापित करना चाहते हैं। आप दिमागी कार्यों में विशेष सफल रहेंगे। परिश्रम से दूर नहीं भागते हैं। आप विशेषतः अध्यापक, शिक्षा से संबंधी कार्य, कानूनज्ञ, धर्म, खगोलशास्त्र, ज्योतिषी, इन्सपेक्टर, उपदेशक, पंडित, दार्शनिक, जज, चिकित्सक, अभिनेता, व्यापारी, कलाकार, खिलाड़ी, कन्फैक्शनरी, जनरल स्टोर, घरेलू वस्तुओं की दुकान, प्रचारक, समाजसेवी, राजदूत, कथावाचक, पुरोहित, वैद्य, गुप्तचर, समाजशास्त्री, मिठाई, सिनेमा, रेडीमेड वस्त्र, योगाभ्यासी, जिलाधीश आदि कार्यों को करके धन अर्जित कर सकते हैं। प्रयत्नशील होकर देखिए सफलता आपके हाथ होगी।

 

आपका स्वास्थ्य कैसा रहेगा?

प्राय: आप स्वस्थ ही रहता है और रोग भी कम ही होते हैं। गोचर में गुरु ग्रह निर्बल होने और अन्य ग्रहों से अशुभ संबंध होने पर शरीर में निम्नलिखित रोगों के लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं-गठिया, कटिवात, सन्धिवात, फेफड़े का कैंसर, कफ-पित्त-वात जन्य रोग, घुटनों पर सूजन, यकृत, मज्जा व रक्त विकार, हिस्टीरिया, मूर्च्छा, बदन दर्द, कर्ण रोग, लीवर व उदर विकार आदि। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए निम्न बातों को व्यवहार में लाएं-

  • आहार की अनियमितता से बचें।
  • पौष्टिक एवं सन्तुलित आहार का सेवन करें।
  • अधिक दिमागी कार्य न करें।
  • प्रातः खुले में टहलें ।
  • रात्रि को ताम्र पात्र में रखा हुआ जल प्रातः खाली पेट पीएं।
  • ठंडी- गर्म वस्तुओं को लेते समय कुछ समय का अन्तर रखें।
  • थोड़ा सा व्यायाम अथवा योगासन करने से शरीर में स्फूर्ति रहेगी और रोग पास में नहीं फटकेगा।
  • मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान लगाएं, इससे दिमागी श्रम करना सहज हो जाएगा।
सफलता के लिए अवश्य ध्यान दें!

आपको अपने आदर्शों को व्यवहारिक धरातल पर लाने तथा कल्पना शक्ति को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। सजग तथा सरस कल्पना और व्यवस्थित कार्य पद्धति से ही सुख सम्पन्नता प्राप्त हो सकती है। आपकी सफलता का मूलमन्त्र किसी भी कार्य को असम्भव न समझना है। दृढ़ इच्छाशक्ति एवं आत्मविश्वास के साथ कार्य करते रहिए, सफलता आपको अवश्य मिलेगी। आपकी मिथुन, तुला एवं कुम्भ राशि वालों से अच्छी निभती है। वृष, कन्या एवं मकर राशि वालों से भी मधुर संबंध रहते हैं। आपके मेष एवं सिंह राशि वालों से सामान्य संबंध रहते हैं। कर्क, वृश्चिक एवं मीन राशि वाले से कभी नहीं पटती है व सदैव विरोध रहता है।

आपके लिए रविवार, सोमवार, मंगलवार एवं गुरुवार शुभ दिन हैं। लाल, पीला, हल्का आसमानी व हल्का धानी रंग शुभ है। सवा पांच रत्ती का पुखराज की अंगूठी में जड़वाकर तर्जनी अंगुली में शुक्लपक्ष के गुरुवार में सूर्योदय से प्रथम घंटे के भीतर गुरु मन्त्र से अभिमन्त्रित करके धारण करना शुभफलप्रद है।

गुरुवार का व्रत सदैव लाभप्रद है। सूर्यदेव जी की उपासना लाभप्रद है। गुरुवार को कांसा, चने की दाल, खांड, घी, पीला वस्त्र, पीला पुष्प, हल्दी, पुस्तक, घोड़ा, पीला फल आदि वस्तुओं का दान उत्तम फलप्रद है। पीला रूमाल सदैव पॉकिट में रखें।

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः…………मन्त्र का 7,000 जाप करना मनोकांक्षा पूर्ति में सहायक है।

आपके लिए 1, 2, 3, 9 अंक शुभ, 4, 7, 8 अंक सामान्य एवं 5 व 6 अंक अशुभ फलदायी हैं। यदि आप इन अंकों की शुभाशुभता को ध्यान में रखकर कार्य करेंगे तो लाभ होगा। यदि आप अपने अन्दर गुणों की वृद्धि और अवगुणों में कमी लाएंगे तो सफलता और मान-सम्मान मिलेगा। आप स्वभाव के दोहरेपन, अति आत्मविश्वास एवं दूसरों की आलोचना करने से बचेंगे तो जीवन में सुख-समृद्धि आपके दामन में होगी।

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