घंटी बजी तो सच होगी बात, दूध उबल कर छलका तो क्या

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छोटी-छोटी बातों को हम शगुन-अपशगुन की दृष्टि देखते हैं। हालांकि इसका व्यवहारिकता से कोई लेना देना नहीं होता है, लेकिन हम इन शगुन-अपशगुन को सदियों से मानते चले आ रहे है।

छोटी सी बात है, घड़ी की घंटी बजना, इसे लेकर भी एक मान्यता है कि बातचीत के दौरान अगर घड़ी का घंटा बजे तो उस समय जबकि घंटा बज रहा था, जो भी बात की जा रही हो, वह आवश्य पूर्ण होती है, लेकिन यह शगुन अगर सुनियोजित रूप से किया गया हो तो फलीभूत नहीं होता है।

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यह संयोग मात्र हो तो शगुन की दृष्टि से इसमें सत्यता आंकी गई है। इसे मात्र भविष्य का संकेत के रूप में जानना चाहिए। जैसे दूध का उबल का गिर जाता है तो यह शगुन की दृष्टि से अच्छा माना जाता है, लेकिन अगर जानबूझ कर दूध को उबाल कर गिराना अमृत की अवहेलना होता है, जो कि शगुन की दृष्टि से अपशगुन होता है।

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यदि अनायास की दूध उबल कर छलके तो शुभ है, लेकिन शगुन प्राप्त करने के लिए किया जाए तो इसे अपशगुन ही जाने। प्राकृतिक रूप से शगुन प्राप्त होने पर धूप-दीप जलाकर ईश्वर को नमन करें, लाभ होगा।

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