जिस धरती पर शमी के वृक्ष लगे हों, उस पर घर बनाने से शत्रु पराजित होकर भाग जाते हैं। जिस भूमि पर पाटल ( पाढ ) के वृक्ष हों उस पर मकान बनाने मे यश मिलता है।जहाँ कत्या के वृक्ष उगे हों, वहाँ मकान बनाकर रहने से स्त्रियाँ क्षय – रोग से ग्रस्त हो सकती हैं। जिस धरती पर फ्लाश के वृक्ष हों, उस पर मकान बनाकर रहने से क्लेश हो सकता है। जहाँ महुए के वृक्ष लगे हों, उस धरती पर गृह – निर्माण करने से अनेक प्रकार के रोगों की प्राप्ति होती है।जहाँ केले के वृक्ष हों, वहाँ मकान बनाकर रहने से कुटुम्ब में क्षय का कुयोग होता है। जहाँ कदम्ब के वृक्ष लगे हों, वहाँ घर बनाकर रहने से राजभय की सम्भावना बढ़ जाती है।
जिस भूमि पर अंगूर की बेल लगी हो , उस पर घर बनाने से द्रव्य प्राप्त होता है। जिस भूमि पर कमल पुष उत्पन्न होते हों, उस पर मकान बनाने मे धन की प्राप्ति तुरन्त होती है। जिस धरती पर तुलसी के पौधे लगे हों वहां घर निर्माण करना उत्तम है तुलसी का पौधा अपने चारों ओर का 50 मीटर तक का वातावरण शुद्ध रखता है, क्योंकि शास्त्रों में यह पौधा बहुत ही पवित्र एवं पूजनीय माना गया है।जहाँ इमली के वृक्ष हों, उस धरती पर गह – निर्माण करने से अनेक प्रकार के रोगों की प्राप्ति होती है ।
जहाँ अर्जुन वृक्ष लगे हों , वहाँ मकान बनाकर रहने से परिवार के लोगों को राज भय नहीं सताता । जिस धरती पर पेठे के फल उगे हों, उस भूमि पर मकान बनाने से बन्ध्या भी सन्तान प्राप्त कर सकती है। जहाँ नीबू के पेड हो , उस धरती पर मकान बनाने से धन की प्राप्ति होती है। जहाँ गूलर का गिलर का वृक्ष लगा हो , वहा मकान बनाकर रहने से सन्तति नष्ट होने का योग समझा जाता है। जहाँ अनार के वृक्ष लग हो, उस धरती पर घर बनाकर रहने से पानी का भय होना चाहिए। जिस धरती पर माजूफल के पेड़ लगे हों, उस पर घर बनाकर रहने से पानी का भय होता है। जहाँ बड़हल और पीपल के वृक्ष लगे हो, उस स्थान पर घर बनाकर रहने पर संतान को भय रहता है ।
जहाँ नागरबेल लगी हो , उस भूमि पर मकान बनाना बहुत शुभ होता है, क्योंकि ऐसी भूमि धन , संतान , सुयश और वैभव आदि की वृद्धि में सहायक होती है । जिस धरती पर वर्षा ऋतु में शतावरी के क्षुप उत्पन्न होते हों उस पर घर बनाने से सन्तति बढ़ती है। सीताफल के वृक्ष वाले स्थान पर भी या उसके आसपास भी भवन नहीं बनाना चाहिए। इसे भी वास्तुशास्त्र ने उचित नहीं माना है, क्योंकि सीताफल के वृक्ष पर हमेशा जहरीले जीव-जंतु का वास होता है। जहाँ गवारपाठे का वृक्ष लगा हो, वहाँ मकान बनाकर रहने से कन्याओं की क्षति होती है। जहाँ नीम का वृक्ष हो, वहाँ घर बनाकर रहने से रोग – निवृत्ति और आरोग्य की प्राप्ति सम्भव है।
जिस धरती पर अरण्डी के पेड़ लगे हों उस पर घर बनाकर रहने से यश नाश की सम्भावना रहती है। जिस भूमि पर बेर लगी हों, उस भूमि पर घर बनाकर रहने से सन्तान को रोग हो सकता है । जिस भूमि पर शतपर्णी का पेड़ लगा हो, उस भूमि पर घर बनाकर रहने स कुटुम्ब में शोक हो सकता है। जिस धरती पर इंगुदी वृक्ष लगा हो उस पर घर बनाकर रहने से प्रेम की वृद्धि होती है।जहाँ देवदार के वृक्ष उगे हों, वहाँ घर बनाकर रहने से अशुभ फलों की प्राप्ति सम्भव होती है। जिस भूमि पर कायफल के वृक्ष लगे हों, वहाँ मकान बनाकर रहने से शिरोरोग की संभावना होती है।
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जिस भूमि पर तैलकन्द नामक कन्द उत्पन्न होता हो उस पर मकान बनाकर रहने से अधिक स्वर्ण की प्राप्ति होती है । जहाँ कनेर के वृक्ष उगे हो , वहाँ मकान बनाने से श्रेष्ठ सन्तान की प्राप्ति होती है। जहाँ चम्पा के वृक्ष लगे हों , वहाँ घर बनाने मे परिवार का सुयश फैलता है । जिस धरती पर गम्भारी के वृक्ष हों , उस पर मकान बनाने से रोगों का नाश होता है। जहाँ अरणी के वृक्ष हों , उस भूमि पर घर बनाकर रहने से राज्य या अन्य स्रोतों से धन प्राप्त होता है। जहाँ बिजोरे के पेड़ लगे हों , वहाँ घर बनाकर रहने से सब प्रकार से कल्याण होता है। जिस भूमि पर शालब वृक्ष लगे हों, वहाँ मकान बनाकर रहने से मूर्खता उत्पन्न होती है। जिस भूमि पर कनेर का वृक्ष लगा हो, वहाँ मकान बनाकर रहने से भूत – प्रेतादि की बाधा होती है। जिस भूमि पर नारियल के वृक्ष हो, उस पर घर बनाकर रहने से स्त्रियों के नष्ट होने का कुयोग होता है। जहाँ खजूर के वृक्ष हों, वहाँ मकान बनाकर रहने से हिंसक जन्तुओं का उपद्रय होना सम्भव है। जहाँ आम के वक्ष हो उस भमि पर मकान बनाकर रहने से रसेन्दिय लोलुपता उत्पन्न होती है ।
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जिस भूमि पर पपीता, आंवला, अमरूद, अनार, पलाश आदि के वृक्ष बहुत हों वह भूमि, वास्तुशास्त्र में बहुत श्रेष्ठ बताई गई है।जो व्यक्ति अपने भवन में सुखी रहना चाहते हैं, उन्हें कभी भी उस भूमि पर निर्माण नहीं करना चाहिए, जहां पीपल या बड़ का पेड़ हो। जिस धरती पर जमीकन्द उत्पन्न होता हो , उस पर घर बनाकर रहने से बवासीर रोग नष्ट होता है । जहाँ मलहठी उत्पन्न हुई हो , उस भूमि पर मकान बनाकर रहने से स्वभाव शान्ति आ जाती है । जहाँ वासा ( अडूसा ) के वृक्ष हो , वहाँ मकान बनाकर रहने से रोग दूर होते हैं । जहाँ वकुल वृक्ष लगे हों , वहाँ मकान बनाकर रहने से स्वियों में व्यभिचार दोष पाया जाता है। जिस भूमि पर तमाल वृक्ष लगे हों , वहाँ घर बनाकर रहने से सुख प्राप्त होता है।
जहाँ अशोक के वृक्ष लगे हों, वहाँ घर बनाकर रहने से स्त्रियों के प्रजनन सम्बन्धी रोग दूर होते हैं। जहाँ आँवले के वृक्ष लगे हों , वहाँ घर बनाकर रहने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। जहाँ भल्लातक के पेड़ लगे हों, वहाँ घर बनाकर रहने से फोड़ा, फुन्सी आदि रोग की उत्पत्ति सम्भव है । जहाँ मदनफल के वृक्ष लगे हों, वहाँ मकान बनाकर रहें, तो नपंसुक सन्तानों की उत्पत्ति सम्भव है। जिस धरती पर बेत के वृक्ष लगे हों, उस पर घर बनाकर रहने से घर में अहकार की प्राप्ति सम्भव है। जिस धरती पर ईख उगती हो, उस पर घर बनाकर रहने से वात का प्रकोप सम्भव है।
जहाँ धतूरे के वृक्ष हो, वहाँ पर घर बनाकर रहने से उन्माद प्रवृत्ति में वृद्धि सम्भव है। जहाँ बबूल के वृक्ष हों , वहाँ मकान बनाकर रहने से खून रोग की उत्पत्ति होती है। जिस धरती पर शीशम के पेड़ लगे हों , वहाँ पर घर बनाकर रहने से अनेक प्रकार की चिन्ताएं लगी रहती है। जहाँ हरड़ के पेड़ लगे हो, वहाँ घर बनाकर रहने से शत्रु का भय उत्पन्न हो जाता है ।