गुरु की स्तुति के मन्त्र हम आपको बताने जा रहे हैं, जिस मन्त्र से गुरु स्तुति की जाती है।
नित्यानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं ।।
Advertisment
द्वन्द्वातीतं गगनसद्दशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम् ॥
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं ।।
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुंः तं नमामि ॥
इसी मन्त्र से गुरु स्तुति की जाती है।
गुरु के चयन में सतर्कता बरतनी आज के दौर में परम आवश्यक है ।
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें।
सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।