गुरुतत्व का वैदिक रहस्य भाग दो- एक वैदिक कालीन प्रसंग
सनकादि के तप: प्रभाव से शंकर की समाधि में क्षोभ हुआ। वह जाग्रत अवस्था में आकर विचार करने लगे- ओह, सनकादि मुनि कुमार गुरु के लिए सहस्त्रों वर्षो से तप कर रहे हैं। उनकी अभिलाषा पूर्ण करनी चाहिए। उनकी भावना को भी परिमार्जित करना है। सनकादिकों को अनादि होने का गर्व है। वे विचार करते … Continue reading गुरुतत्व का वैदिक रहस्य भाग दो- एक वैदिक कालीन प्रसंग
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