ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस फैसला : रहेगा दूरगामी इम्पैक्ट

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ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस फैसला : रहेगा दूरगामी इम्पैक्ट: स्वामी क्या बोले

ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत का फैसला निश्चित रूप से हिंदू भावनाओं की रक्षा करने वाला रहा। मुस्लिम पक्ष ने इस मामले में न्यायालय से सुनवाई पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की थी, लेकिन न्यायालय के रूख से यह साफ हो गया है कि अब इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी और न्यायालय साक्ष्यों के आधार पर भविष्य में निर्णय लेगा। इस मामले में जाने-माने वकील व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी जो बातें कही हैं, उससे साफ हो गया है कि इस फैसले का दूरगामी असर देखने को मिलेगा। स्वामी ने यह भी साफ कर दिया है कि 1991 द प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट पर भी अब सुनवाई होने वाली है, जो कि निश्चित तौर पर हिंदू भावनाओं के रक्षण के लिए आवश्यक है।

वाराणसी। वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में भावी सुनवाई रोकने की मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी शृंगार गौरी मामले की मेनटेनबिलिटी पर सवाल उठाने वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि वह पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगा। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने मामले की मेनटेनबिलिटी पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखने का निर्णय किया। इस मामले में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी। इनकी आकृतियां ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर बनी हैं। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताते हुए कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है। जिला न्यायाधीश ने पिछले महीने इस मामले में आदेश 12 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। पूर्व कैबिनेट मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी मानते हैं कि कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है। चैनल टाइम्स नाऊ से बातचीत में उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने याचिका दाखिल की थी। यह सिविल प्रोसीजर कोड के तहत दर्ज की गई थी। ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत इसे दाखिल किया गया था। इसमें ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा करने की इच्छा रखने वाली महिलाओं की याचिका को खारिज करने के लिए कहा गया था। मुस्लिम पक्ष चाहता था कि महिलाओं की याचिका पर कोई सुनवाई नहीं हो। इसी याचिका को खारिज कर दिया गया है। सुब्रमण्यम के अनुसार, लेकिन अभी मुख्य मामले को लेकर सुनवाई होनी है। वह यह है कि ज्ञानवापी मस्जिद में जिस जगह शिवलिंग पाया गया था वहां लोगों को पूजा करने की अनुमति दी जाए या नहीं। इस पर अब सुनवाई होगी।

याचिका ही नहीं करनी चाहिए थी मुस्लिम पक्ष को
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को यह याचिका दाखिल ही नहीं करनी चाहिए थी। उन्हें लगता है कि कोर्ट ने बिल्कुल सही किया है। जब सुब्रमण्यम स्वामी से पूछा गया कि इस फैसले का क्या मतलब है तो उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि अब कोर्ट को फैसला देना है कि महिलाओं को ज्ञानवापी में पूजा की इजाजत दी जाए या नहीं। इसमें से एक रोड़ा कोर्ट ने हटा दिया है। इसके तहत मुस्लिम पक्ष चाहता था कि ऐसी किसी याचिका पर सुनवाई होनी ही नहीं चाहिए।

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1991 द प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट पर भी जल्द सुनवाई
1991 के द प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर कर रखा है। इस पर भी सुनवाई होने वाली है। सुब्रमण्यम स्वामी ने हिंदू पक्ष की ओर से तमाम याचिकाकर्ता में से एक सीता साहू से कहा कि उन्हें डंटे रहना चाहिए, वह उनके साथ हैं।
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जब मुस्लिम आक्रांता देश में आए तो उन्होंने कई मंदिरों को तोडक़र मस्जिदों का निर्माण कराया। इसके उलट इस्लाम धर्म इसके लिए मना करता है। यानी मंदिरों को तोडक़र मस्जिदों का निर्माण कराना गलत था।
द प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट में सुब्रमण्यम स्वामी की भूमिका बेहद अहम रहने वाली है। उन्होंने कहा कि लड़ाई सिर्फ पूजा करने की नहीं है। हम तो मंदिर बनाना चाहते हैं। ज्ञानवापी मामले में एक अन्य याचिकाकर्ता जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह जीत तो शुरुआती है। आगे भी सत्य ही जीतेगा। अभी तो शृंगार गौरी की पूजा के बहाने यह मुकदमा खुला है।

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