यों तो ताजा नींबू अधिक गुणकारी होता है, फिर भी यदि
किसी कारणवश नींबओं को कुछ दिनों तक रख छोड़ना चाहें तो उन्हें पानी भरे किसी ढक्कनदार बर्तन में रखें तो वे बहुत दिनों तक ताजे बने रहेंगे।
सप्ताह में बर्तन का पानी एक बार बदल देना चाहिये। ऐसा करने से नींबू कड़े भी रहेंगे और अधिक रसदार भी हो जायेंगे । फल वाले हरे नींबू ही लाकर बेचने के लिए रखते हैं ताकि वे सड़ न जाएँ और अधिक दिनों तक बेचने के लिये रखे जा सकें ।
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दूकानदारों के यहाँ ये कच्चे नींबू धीरे- धीरे पकते जाते हैं और बिकते जाते हैं। अतः ये नींबू उतने गुणकारी नहीं होते जितने पेड़ की डाल के पके नींबू ।
- नींबू के रस में एक प्रकार का तेज तेजाबी अंश साइट्रिक ऐसिड होता है जो किसी प्रकार के धातु से मिलने पर उस पर रासायनिक क्रिया करने लगता है। इसलिये नींबू के रस को साधारणतः धातु के बर्तनों में नहीं रखते, अपितु मिट्टा, चीनी, मिट्टी, शीशा तथा पत्थर के बर्तनों में ही रखते हैं, ताकि रस में रसायनिक प्रक्रिया होकर वह खराब और दोपयुक्त न हो जाय ।
- नींबू को काटने से पहले थोड़ी देर हल्के गरम पानी में छोड़ रखने से उससे अधिक रस निकलता है। सूखे नींबुओं को भी यदि दो घंटों तक हल्के गरम पानी में रहने दिया जाय तो वे नरम हो जायेंगे और उनमें से रस भी पूरा निकलेगा ।
- नींबू की शुमार फलों में है। तथा अन्य फलों की तरह ही अकेले सेवन करना चाहिये। भोजन के समय दाल में निचोड़कर या रोटी भात के साथ नींबू खाना उचित नहीं। हाँ कच्ची साग- सब्जियों में नींबू का रस निचोड़ कर खाया जा सकता है।
- नींबू का रस पीना हो तो उसे अकेले नहीं पीना चहिये, बल्कि उसमें पानी मिलाकर या किसी अन्य फल के रस के साथ पीना चाहिये जैसे नारंगी, संतरा आदि। अकेले नींबू का रस पीने से गले
और छाती में जलन पैदा हो जाती है, दाँत कोट हो जाता है। नींब का रस प्रातः-सायं ठंडे या गरम जल के साथ पीना अधिक लाभदायक होता है। गरमी और बरसात के दिनों में प्रति दिन नींबू के रस का सेवन स्वास्थ्य को ठीक रखता है। - नींबू का रस बिना कुछ खाए खाली पेट ही पीना हितकर होता है।
- नींबू को आग पर गरम करके न खाना चाहिए। कारण नींबू को गरम करने से उसके बहुत से गुण नष्ट हो जाते हैं।
- नींबू के रस को सदैव छानकर पीना चाहिये। क्योंकि नींबू के बीज के पेट में जाने से अन्त्रपुच्छ बढ़ने की बीमारी होने की सम्भावना रहती है।
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