कलयुग में भगवान श्री राम के परमभक्त श्री हनुमान जी का स्मरण करना कल्याणकारी होता है। वह शीघ्र ही भक्त पर प्रसन्न होते हैं और उसके संकटों को दूर करते हैं। हनुमान जी मंत्रों के जप से सकल मनोरथ सिद्ध करते है ।
कलिकाल में उनके ध्यान से जीव का कल्याण होता है और उसे संकटों से मुक्ति मिलती है। पवनपुत्र श्री हनुमान के कुछ चमत्कारिक मंत्र हम भक्तों के लिए प्रस्तुत कर रहे है, इनका जप अत्यन्त कल्याणकारी होता है। निम्न उल्लेखित मंत्रों में से किसी एक मंत्र का नियमपूर्वक जप करने से भक्त को अभीष्ट की प्राप्ति होती है।
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उसके संकट दूर होते हैं। उसे परम शांति की अनुभूति होती है, बशर्तें हनुमान जी का पूजन पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के भाव के साथ किया जाए।
हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए मंत्र
1- ऊॅँ हौं हस्फ्रें ख्फ्रें ह्सौं ह्स्ख्फ्रें ह्सौं हनुमते नम:।
2- ऊॅँ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।
3- ऊॅँ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्।
4- ऊॅँ श्री रामदूताय मारुतिनंदनाय नम:।
5- ऊॅँ हं पननन्दाय स्वाहा।
6- ऊॅँ हनुमते नम: अंजनीगर्भ सम्भूत: कपीन्द्र सचिवात्तम्।
7- ऊॅँ पूर्ण कपिमुखाय पंचमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु संहारणाय स्वाहा।
8- ऊॅँ ह्रां ह्रीं ह्रैं हनुमते नम:।
9- ऊॅँ हनुमान: हनुमत: रामभक्ता हां हां हूं हूं हां हां स्वाहा।
1०- ऊॅँ पश्चिममुखाय गरुड़ासनाय पंचमुख हनुमते नम:, मं मं मं मं मं सकल विषहराय स्वाहा।
ऊपर उल्लेखित मंत्रों में से किसी ण्क मंत्र का नियमपूर्वक जप करने से श्री हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। पूर्ण सिद्धि के लिए एक लाख मंत्र जप करने का विधान है।
नित्य प्रतिदिन 1०8 बार जप करने से रोग मुक्ति, प्रतिदिन एक हजार बार जप करने से असाध्य रोग से मुक्ति मिलती है। भगवान श्री राम भक्त श्री हनुमान जी की जिस पर कृपा होती है, उसे धन-धान्य की प्राप्ति होती है। उसका कल्याण होता है और वह आनंद की प्राप्ति करता है।
हनुमान जी का द्बादक्षर मंत्र
ऊॅँ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्
हनुमान जी के शक्तिशाली मंत्र को नियमित पूजा के समय किया जा सकता है। विधान के अनुसार इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए सवा लाख मंत्रों का जप और 12 लाख आहूतियों को विधान है, लेकिन आप यदि इस शक्तिशाली मंत्र को सिद्ध करने में असमर्थ है तो आप इसका जप करके भी आत्मकल्याण कर सकते हैं। हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए प्रतिदिन इस मंत्र की तीन माला का जप करना चाहिए। मंत्र जप के विषय में किसी को न बताये तो बेहतर रहता है।
यह एक परम शक्तिशाली मंत्र है। इस मं को भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण से अर्जुन को बताया था और अर्जुन ने इस शक्तिशाली मंत्र को सिद्ध कर श्री राम भक्त हनुमान जी के शक्तिशाली मंत्र को सिद्ध कर लिया था। इस मंत्र के प्रभाव से अर्जुन ने त्रैलोक्य विजय पद पाया था और इसी पावन मंत्र के वशीभूत होकर भगवान हनुमान जी अर्जुन के ध्वजा के रथ पर विराजमान रहे।
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