पाकिस्तानी राजनयिक का दावा
इस्लामाबाद, 24 अप्रैल (एजेंसी) भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने गुरुवार को दावा किया कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने का भारत का निर्णय वास्तविक नहीं, बल्कि ‘प्रतीकात्मक’ है, क्योंकि उसके (भारत के) पश्चिमी नदियों को मोड़ने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे का अभाव है।
ज्ञातव्य है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमलों के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाये, जिनमें दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल था। सरकार का यह कदम पाकिस्तान को मुसीबत में डाल सकता है, क्योंकि यह देश सिंचाई आदि कामों के लिए सिंधु नदी प्रणाली पर बहुत अधिक निर्भर है। पहलगाम के बैसरन में मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गये थे।
श्री बासित ने ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के साथ एक साक्षात्कार में दावा किया कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने का भारत का निर्णय वास्तविक नहीं बल्कि ‘प्रतीकात्मक’ था। उनका मानना है कि इस समय सिंधु जल को रोका नहीं जा सकता है क्योंकि भारत के पास पश्चिमी नदियों को मोड़ने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी है।
उन्होंने कहा, “इस समय भारत पानी के प्रवाह को नहीं रोक सकता है। सिंधु जल संधि को न तो समाप्त किया जा सकता है, न ही निलंबित किया जा सकता है और न ही एकतरफा संशोधित किया जा सकता है। यह एक स्थायी संधि है जब तक कि दोनों पक्ष सहमत न हों।”
गौरतलब है कि भारत ने की संधि निलंबित करने की घोषणा से पाकिस्तान में खलबली मच गयी है। उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने कहा है कि भारत द्वारा नदी के पानी के प्रवाह को रोकने का कोई भी प्रयास ‘युद्ध की कार्रवाई’ के समान होगा। श्री बासित ने अटारी-वाघा सीमा को बंद करने के बारे में कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार पहले ही निलंबित हो चुका है और इसलिए, यह मुद्दा पाकिस्तान के लिए कोई विशेष महत्व नहीं रखता है।
राजनयिक ने सुझाव दिया कि पाकिस्तानी अधिकारी कानून-व्यवस्था की और अधिक अस्थिरता के लिए तैयार रहें, खासकर बलूचिस्तान में। इस प्रांत में भीषण लड़ाई देखी जा रही है, क्योंकि अलगाववादी बलूच सेना बलूचियों के साथ देश के खराब व्यवहार के जवाब में सेना पर लगातार हमला कर रही है।