इटावा : वर्षों से कायम है होली पर फाग गायन की ऐतिहासिक परम्परा

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इटावा , 9 मार्च :रंगों के पर्व के लोकप्रिय होली पर उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरबिया टोला मुहाल में वर्षों से फाग गायन की परम्परा आज भी बरकरार है।

पुरबिया टोला मुहाल अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विशाल होलिका दहन के लिए प्रसिद्ध है।

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करीब 30 हजार की आबादी वाले इस मोहल्ले में कुर्मी समाज का बाहुल्य है, जो आज भी पारंपरिक रीति-रिवाजों को संजोए हुए है जहां होली के रंग यहां होली से एक सप्ताह पूर्व ही बिखरने लगते हैं, जब पूरे मोहल्ले में पारंपरिक फाग गायन की गूंज सुनाई देने लगती है। ढोलक, झाल और मंजीरों की धुन पर गाए जाने वाले होली गीत समाज के लोगों को जोड़ने का काम करते हैं। यहां शहरी इलाकों में होली महज रंग और औपचारिक मुलाकातों तक सीमित हो गई है, वहीं पुरबिया टोला में यह त्योहार आज भी संस्कृति, समरसता और आपसी भाईचारे का प्रतीक बना हुआ है।

पुरबिया टोला में फाग गायन की परंपरा सदियों पुरानी है। होली से सात दिन पहले से ही हर शाम मोहल्ले के पुरुष और युवा इकठ्ठा होकर पारंपरिक होली गीत गाते हैं। ये गीत सिर्फ संगीत का हिस्सा नहीं, बल्कि समाज के लोगों के बीच प्रेम और सौहार्द का संदेश भी देते हैं।

कई वर्षों से फाग गायन से जुड़े श्याम वर्मा बताते हैं कि हमारी होली की खासियत ही यही है कि हम इसे गानों के जरिए मनाते हैं। ढोलक की थाप और मंजीरे की झंकार के साथ जब पूरा मोहल्ला एक स्वर में गाता है, तो इसकी गूंज आत्मा तक पहुंचती है। यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की पहचान है। हालांकि, आधुनिकता की दौड़ में नई पीढ़ी की रुचि फाग गायन में कम होती जा रही है। फिर भी, समाज के कई युवा इसे जीवंत बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं।

फाग गायक बॉबी वर्मा कहते हैं कि आजकल के युवा सोशल मीडिया और डिजिटल एंटरटेनमेंट में ज्यादा व्यस्त हो गए हैं, लेकिन हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए। हम कोशिश कर रहे हैं कि नई पीढ़ी भी फाग गायन का हिस्सा बने और इस परंपरा को आगे बढ़ाए।

पुरबिया टोला में होलिका दहन का आयोजन पूरे प्रदेश में सबसे बड़ा और भव्य माना जाता है। यहां पूरे मोहल्ले की 30 हजार की आबादी एक ही जगह पर एकत्र होकर एक साथ होलिका दहन करती है। होलिका दहन का यह दृश्य तलैया मैदान में देखने को मिलता है, जहां एक विशाल लकड़ियों का ढेर तैयार किया जाता है। मोहल्ले के बुजुर्गों और युवाओं की देखरेख में होली का आयोजन किया जाता है।

स्थानीय पत्रकार नील कमल और डॉ.विशेष पटेल बताते हैं कि हमारे यहां एक ही जगह पर पूरी आबादी की सामूहिक होलिका दहन की परंपरा वर्षों पुरानी है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पूरे मोहल्ले को एकजुट करने का अवसर भी है। यहाँ सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोग मिलकर इस आयोजन में भाग लेते हैं।

पुरबिया टोला की फाग में बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी करने वाले योगेन्द्र सिंह के अनुसार होली के दिन की सुबह से ही पुरबिया टोला की गलियां रंगों और गुलाल से सराबोर हो जाती हैं। लोग अपने घरों से निकलकर एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयों से मुंह मीठा कराते हैं। महिलाएं गुजिया, मालपुआ, ठंडाई और अन्य पारंपरिक पकवान तैयार करती हैं। बच्चे पिचकारी लेकर गलियों में मस्ती करते हैं और हर ओर हंसी-ठिठोली का माहौल बना रहता है।

बदलते समय के साथ फाग गायन और पारंपरिक होली मनाने की परंपरा को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। नई पीढ़ी मोबाइल और डिजिटल मनोरंजन में अधिक व्यस्त हो गई है, जिससे फाग गायन में भागीदारी कम होती जा रही है। लेकिन फिर भी, पुरबिया टोला के समाज के बुजुर्ग और संस्कृति प्रेमी युवा इसे जीवित रखने के लिए प्रयासरत हैं। यहां के लोग मानते हैं कि जब तक ये परंपराएं जीवित रहेंगी, तब तक समाज में आपसी मेल-जोल, प्रेम और भाईचारा बना रहेगा।

पुरबिया टोला, इटावा में होली केवल रंगों का त्यौहार नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। यहां की फाग गायन की परंपरा और विशाल होलिका दहन इस मोहल्ले की पहचान हैं। जब पूरा मोहल्ला एक साथ बैठकर फाग गाता है, होलिका दहन करता है और रंगों में डूब जाता है, तो यह केवल त्योहार नहीं, बल्कि एकता और संस्कारों की सजीव तस्वीर बन जाती है।

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