लखनऊ। पिछले चार महीने से जैन मुनि विशोक सागर मुनिराज एवं सुरत्न सागर मुनिराज का चाराबाग जैन मन्दिर में चातुर्मास सम्पन्न करने के बाद बुधवार को अपने ससंघ के साथ तीसरे तीर्थंकर भगवान श्री संभव नाथ की जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र श्रावस्थी के लिए पदविहार किया। विहार करते हुये शाम को नरही स्थित चैत्यालय में मुनि ने रात्रि विश्राम किया।
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इससे पूर्व जैन मन्दिर में मुनि का प्रवचन और आरती हुई। बाद में मुनि ने सभी को अपना मंगल आशीर्वाद देते हुये विहार किया। विहार के दौरान लोग ‘गली गली, गली गली जैन धर्म की ज्योत जली‘ तथा ‘‘एक दो तीन चार जैन धर्म की जय जयकार‘‘ जैसे जयकारों का जयघोष करते हुये चल रहे थे।
संयोजक संजीव जैन ने बताया कि चार महीने के दौरान मुनि ने राजधानी सभी जैन मन्दिरों में जाकर कई धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न कराये। साथ ही प्रवचन के माध्यम से सभी को अहिंसा के रास्ते पर चलने का सन्देश दिया। इस मौके पर संजीव जैन, विशाल जैन, डा एके जैन, नीरज जैन, विकास जैन, अशोक जैन मौजूद रहे।